Shravan Purnima 2024: श्रावण पूर्णिमा को साल का सर्वश्रेष्ठ पूर्णिमा क्यों कहते हैं? जानें इस पूर्णिमा पर मनाये जाने वाले 6 विशेष पर्व!
भगवान विष्णु के योग-निद्रा में जाने और भगवान शिव द्वारा सृष्टि का संचालन अपने हाथ में लेने के कारण हिंदू धर्म शास्त्रों में सावन माह का विशेष महत्व बताया गया है. इस माह भगवान शिव एवं माता पार्वती के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस तरह इस एक दिन में क्षेत्र विशेषों में भिन्न नामों से पर्व मनाये जाते हैं.
भगवान विष्णु के योग-निद्रा में जाने और भगवान शिव द्वारा सृष्टि का संचालन अपने हाथ में लेने के कारण हिंदू धर्म शास्त्रों में सावन माह का विशेष महत्व बताया गया है. इस माह भगवान शिव एवं माता पार्वती के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस तरह इस एक दिन में क्षेत्र विशेषों में भिन्न नामों से पर्व मनाये जाते हैं. महाराष्ट्र में इस दिन को नारली पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है, जबकि इसी दिन साल का अत्यंत महत्वाकांक्षी पर्व रक्षाबंधन भी मनाया जाता हैं. मध्य भारत के कुछ राज्यों में इस दिन को कजरी पूर्णिमा के नाम से भी मनाया जाता है. इस तरह श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन विभिन्न किस्म के पर्व मनाये जाते हैं. यहां हम उन्हीं पर्वों के बारे में बात करेंगे.
रक्षाबंधन
हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में एक है रक्षाबंधन. यह पर्व आदिकाल से मनाया जा रहा है, आज भी इस पर्व का विशेष महत्व है. इस दिन बहनें शुभ मुहूर्त पर अपने भाई की कलाई पर सुरक्षा सूत्र बांधती हैं और भगवान से उनके अच्छे स्वास्थ्य एवं लंबी उम्र की कामना करती हैं, और भाई उसे जीवन पर्यंत उसकी सुरक्षा करने का वचन देता है. इतिहास के पन्नों पर रक्षाबंधन की तमाम गाथाएं अंकित हैं. यह भी पढ़ें : Chanakya Niti: घर में सबसे बड़ा शत्रु कौन पिता, माता, पत्नी अथवा पुत्र? जानें इस संदर्भ में क्या कहती है चाणक्य-नीति?
श्रावण पूर्णिमा
हिंदू संस्कृति और समाज में श्रावण पूर्णिमा को अत्यंत शुभ दिन माना जाता है. श्रावण पूर्णिमा पर किए जाने वाले विभिन्न अनुष्ठानों का अत्यधिक महत्व है. इस दिन बहुत से लोग 'यज्ञोपवीत' संस्कार भी करते हैं. स्वयं ब्राह्मण भी श्रावण पूर्णिमा पर 'शुद्धिकरण' अनुष्ठान का पालन करते हैं, क्योंकि विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन माना जाता है.
नारियल या नारली पूर्णिमा
भारत के तटीय प्रांतों में नारली पूर्णिमा का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. श्रावण पूर्णिमा के दिन समुद्र में मछलियां पकड़ने वाले नाविकों के लिए इस दिन का विशेष महत्व होता है. इस दिन नाविक अपने परिवार के साथ वरुण देव की पूजा करते हैं, समुद्र देवता को नारियल चढ़ाते हैं. मान्यता है कि यह पूजा करने से नाविकों को समुद्र या जल से किसी प्रकार का खतरा नहीं रहता.
कजरी पूर्णिमा
श्रावण पूर्णिमा के दिन मध्य भारत में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में कजरी पूर्णिमा के नाम से भी मनाया जाता है. वास्तव में श्रावण अमावस्या के नौंवे दिन यानी कजरी नवमी से इस पर्व की तैयारी शुरु हो जाती है. इस दिन हिंदू महिलाएं मिट्टी और पेड़ों की पत्तियों से भरे बर्तनों में जौ बोती हैं. इन घड़ों को वे अपने सिर पर रखकर नजदीकी जलाशय जाती हैं, और जौ को जल में प्रवाहित कर देते हैं. इसके बाद वे देवी भगवती की पूजा करते हुए, गेहूं बोती हैं. इसके साथ ही गेहूं की बुआई शुरू हो जाती है.
पवित्रोपना
यह एक गुजराती पर्व है, जो श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. सनातन धर्म को मानने वाले भक्त इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं. भगवान शिव का आशीर्वाद पाने हेतु प्रार्थना करते हैं. इस दिन व्रत-अनुष्ठान करने वालों की आस्था के अनुसार ऐसा करने से उनके पिछले सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
अमरनाथ यात्रा का समापन
इस दिन का पवित्र अमरनाथ यात्रा का गहरा संबंध है. वस्तुतः गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर, पवित्र अमरनाथ यात्रा शुरू होती है और श्रावण पूर्णिमा के दिन इसका समापन होता है. इस दिन सभी कांवरिये सैकड़ो किमी दूरी तय करने के बाद शिवलिंग पर अपना गंगाजल चढ़ाते हैं, और शिवजी की पूजा करते हैं.