Sankashti Chaturthis in 2022: क्यों रखते हैं संकष्टि चतुर्थी व्रत? जानें साल के तीन प्रमुख चतुर्थी के बारे में! और देखें नववर्ष 2022 की संकष्टी चतुर्थियों की सूची!
संकष्टी चतुर्थी 2022 (Photo Credits: File Image)

संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी. संकष्टी संस्कृत भाषा से उद्घृत है, जिसका अर्थ है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’. इस दिन महिलाएं तमाम कष्टों से छुटकारा पाने, पति एवं पुत्र की सुरक्षा और अच्छी सेहत के लिए गणेशजी का व्रत एवं पूजा-अर्चना करती हैं. पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत सर्वफल की प्राप्ति वाला होता है. इस दिन व्रती सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जल उपवास रखती हैं. संकष्टी चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति के साथ भगवान शिव एवं माँ पार्वती की पूजा करती हैं. मान्यता है कि संकष्टि चतुर्थी का व्रत रखने वाली महिलाओं को प्रथम पूज्य श्रीगणेश के आशीष से पुत्र-लाभ, अखण्ड सौभाग्यवती होने के साथ-साथ सुख, शांति एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

नए साल 2022 में कब है संकष्टी चतुर्थी

21 जनवरी, शुक्रवार- सकट चौथ या लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी, (चंद्रोदयः 09.25 PM)

20 फरवरी, रविवार- द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी, (चंद्रोदयः 10.07 PM)

21 मार्च, सोमवार- भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी, (चंद्रोदयः09.59 PM)

09 अप्रैल, मंगलवार- विकट संकष्टी चतुर्थी, (चंद्रोदय 09.57 PM)

19 मई, गुरुवार- एकदंत संकष्टी चतुर्थी, (चंद्रोदय 11.01 PM)

17 जून, शुक्रवार- कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी, (चंद्रोदय 10.40 PM)

16 जुलाई, शनिवार- गजानन संकष्टी चतुर्थी, (चंद्रोदय 10.01 PM)

15 अगस्त, सोमवार- बहुला चतुर्थी या हेरंब संकष्टी चतुर्थी, (चंद्रोदय: PM 09.46 PM)

13 सितंबर, मंगलवार- विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी, (चंद्रोदय: 08.51 PM)

13 अक्टूबर, गुरुवार- वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी और करवा चौथ व्रत, (चंद्रोदय:08.41PM)

12 नवंबर, शनिवार- गणाधिपति संकष्टी चतुर्थी, (चंद्रोदय: 08.55PM)

11 दिसंबर, रविवार- अखुरथ संकष्टी चतुर्थी, (चंद्रोदय: 08.34PM)

क्यों खास होती हैं ये तीन संकष्टी चतुर्थियां

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार साल की सभी संकष्टि चतुर्थी व्रतों का विशेष महात्म्य है. सभी संकष्टि चतुर्थी का व्रत एवं श्रीगणेश जी की पूजा संतान-लाभ एवं उसकी अच्छी सेहत के लिए रखा जाता है. लेकिन जहां तक सकट चतुर्थी, बहुला चतुर्थी एवं वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी की बात है तो गणेश पुराण में इन चतुर्थियों का विशेष महात्म्य वर्णित है. जानें इन चारों संकष्टियों की क्या खास बात है.

* सकट चौथ 2022:

हिंदू धर्म में सकट चौथ का व्रत सुखी जीवन और संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. यह साल का पहला सकट चौथ होता है. इसे लंबोदर संकष्टि चतुर्थी भी कहते हैंय नये वर्ष में सकट चौथ का व्रत 21 जनवरी 2022 दिन शुक्रवार को पड़ रहा है. सकट चौथ व्रत के दिन गणेशजी के साथ देवी सकट की पूजा की जाती है, और प्रसाद में गणेशजी को तिल के लड्डू का भोग चढ़ाया जाता है. यह भी पढ़ें : Amla Health & Beauty Benefits 2021: सर्दी में आंवला सेहत के साथ सौंदर्य की भी करता है रक्षा! जाने इस खट्टे-कसैले फल में हैं कैसे-कैसे गुण?

* बहुला चतुर्थी 2022:

बहुला चतुर्थी का व्रत श्रावण मास के कृष्णपक्ष में नागपंचमी के ठीक एक दिन पहले मनायी जाती है. यह व्रत माएं अपने पुत्रों की रक्षा के लिए रखती हैं. आज के दिन चूंकि गाय के दूध पर उसके बछड़े के हक को प्राथमिकता दी जाती है, इसलिए इस दिन दूध या दूध से बना कोई भी खाद्य-पदार्थ वर्ज्य होता है. साल 2022 में बहुला चौथ 15 अगस्त के दिन मनाया जायेगा.

* वक्रतुण्ड संकष्टि चतुर्थी 2022:

कार्तिक मास कृष्णपक्ष की चौथे दिन वक्रतुण्ड संकष्टि चतुर्थी का व्रत मनाया जायेगा. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 13 अक्टूबर 2022 दिन गुरुवार को इस चतुर्थी के ही दिन करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. करवा चौथ भारत ही नहीं दुनिया भर में सर्वाधिक लोकप्रिय व्रत है. यह निर्जल व्रत सुहागन स्त्रियां अखण्ड सौभाग्य के लिए रखती हैं.