पुण्यतिथि विशेष: साईं बाबा ने महा समाधि से पहले भक्तों को दिया था ये वचन, आज भी होता है चमत्कार
चित्रकार सुनील शेगावकर द्वारा बनाई गई साईं बाबा की पेंटिंग

साईं भक्तों के लिए 'साईं बाबा' सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि उनका पूरा संसार है. साईं के भक्तों को हर ओर बस साईं ही नजर आते हैं. कोई उन्हें फकीर कहता है तो कोई योगी, कोई साधू तो कोई संत. उन्होंने 15 अक्टूबर, 1918 में शिर्डी के द्वारकामाई मस्जिद में अपनी अंतिम सांस ली थी. साईं बाबा को समाधी लिए अब 100 साल हो गए हैं. ऐसे में शिर्डी स्थित साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट ने उनकी याद में 17 और 18 अक्टूबर को भव्य उत्सव का आयोजन किया है जिसमें पूजा पाट से लेकर सामाजिक सम्मलेन जैसे कायर्क्रम शामिल हैं. साईं बाबा ने हमेशा से ही अपने भक्तों को श्रद्धा और सबूरी का संदेश दिया. उन्होंने मनुष्य ही नहीं बल्कि हर जीती जागती चीज के प्रति प्रेम और सदभावना की सीख दी. इसी वजह से बाबा हर उस शख्स के दिल पर राज करते हैं जिन्होंने उनके संदेश को गंभीरता से लिया है.

श्री साईं पुण्यतिथि उत्सव 2018 (Photo Credits: Shirdi Sansthan Official Website)

आपको बताना चाहेंगे कि गोविंदराव रघुनाथ दाभोलकर द्वारा लिखी गई किताब 'श्री साईं सच्चरित्र' में दी गई जानकारी के अनुसार, जब साईं बाबा की महा समाधि का समय आया तो उनकी परम भक्तों में से एक लक्ष्मीबाई उनके पास मौजूद थी.

जाने से पहले लक्ष्मीबाई की उनके प्रति अपार भक्ति को देखते हुए साईं ने उन्हें 9 सिक्के दिए और उनकी पूजा करना को कहा. इसी के साथ उन्होंने सभी को 11 वचन दिए और कहा कि समाधी के बाद भी वो सदेव अपने भक्तों के हित के लिए कार्य करते रहेंगे. ये हैं साईं बाबा के 11 वचन.

"जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा"

"चढ़े समाधि की सीढ़ी पर, पाव तले दुख की पीढ़ी पर"

"त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु भागा आऊंगा"

"मन में रखना पूरण विश्वास, करे समाधि पूरी आस"

"मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो"

 

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"मेरी शरण आ खाली जाए, हो तो कोई मुझे बताए"

"जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप रहा मेरे मन का"

"भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा"

"आ सहायता ले भरपूर, जो मांगा वह नहीं है दूर"

"मुझमें लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया"

आज भी साईं भक्तों का दावा है कि बाबा अपने इस वचन का हर रूप में पालन करते हैं और सदेव उनकी रक्षा करते हैं.