पितृपक्ष या श्राद्धपक्ष के दौरान लोग अपने परिवार के पूर्वजों व पितरों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पिंडदान और तर्पण जैसे श्राद्ध कर्म करते हैं. भाद्रपद की पूर्णिमा से अश्विन की अमावस्या तक पितरों की आत्मा की शांति और उनकी मुक्ति के लिए तमाम तरह के कर्म कांड किए जाते हैं. इस दौरान कई लोग अपने पितरों की मुक्ति के लिए बिहार के गया तीर्थ जाते हैं. मान्यता है कि गया में पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को मुक्ति मिल जाती है, लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो चाहते हुए भी अपने पितरों की मुक्ति के लिए गया नहीं जा पाते हैं.
हालांकि गया के अलावा भारत में कई ऐसे पवित्र तीर्थ स्थल हैं, जहां पितरों की आत्मा को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति दिलाने के लिए पितृपक्ष में पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जा सकते हैं. चलिए जानते हैं ऐसे ही 8 तीर्थ स्थल जहां श्राद्ध और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को मुक्ति मिल सकती है.
1- बद्रीनाथ का ब्रह्मकपाल घाट
अगर आप गया नहीं जा सकते तो उत्तराखंड के बद्रीनाथ स्थित ब्रह्मकपाल घाट पर अपने पितरों का श्राद्ध और पिंडदान कर सकते हैं. मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान शिव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली थी. कहा जाता है कि महाभारत युद्ध में मारे गए परिजनों की मुक्ति के लिए पांडवों ने भी इसी स्थान पर पिंडदान किया था. यह पवित्र तीर्थ स्थल बद्रीनाथ धाम से कुछ ही कदम की दूरी पर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है.
2- केदारनाथ का रेतस कुंड
उत्तराखंड के केदारनाथ के पास स्थित रेतस कुंड को श्राद्ध और पिंडदान जैसे कर्म कांड के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि यहां पर पिंडदान और श्राद्ध करने से पितरों की भटकती हुई आत्मा को मुक्ति मिल जाती है.
3- वाराणसी, उत्तर प्रदेश
बाबा भोलेनाथ की नगरी बनारस को सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. वाराणसी के घाट पर पिंडदान और श्राद्ध करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. मान्यता है कि जिन लोगों की यहां मृत्यु होती है उन्हें यमलोक नहीं जाना पड़ता है. इसके अलावा यहां पिंडदान व श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को मुक्ति मिलती है.
4- इलाहाबाद स्थित प्रयाग
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद स्थित गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल को प्रयाग के नाम से जाना जाता है. पितृपक्ष के दौरान प्रयाग में बड़ा मेला लगता है और इस स्थान पर पितरों का तर्पण करना श्रेष्ठ माना जाता है. यहां हर साल पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं.
5- मथुरा, उत्तर प्रदेश
अगर आप अपने पितरों का पिंडदान करने के लिए गया जाने में असमर्थ हैं तो भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा भी पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने के लिए काफी मशहूर है. बता दें कि मथुरा के वायुतीर्थ में पितरों के लिए पिंडदान किया जाता है.
6- उज्जैन, मध्यप्रदेश
महाकाल की नगरी उज्जैन में बहती हुई शिप्रा नदी के पास श्राद्ध और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है. मान्यता है कि शिप्रा नदी भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुई थीं. पितृपक्ष के दौरान आप अपने पितरों के लिए इस स्थान पर श्राद्ध कर्म कर सकते हैं.
7- मेघंकर तीर्थ, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र का मेघंकर तीर्थ श्राद्ध कर्म के लिए जाना जाता है और इसका जिक्र ब्रह्मपुराण, पद्मपुराण जैसे धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है. यह पवित्र स्थल भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि इस स्थान पर श्राद्ध और तर्पण करने से पापियों के लिए भी मुक्ति का मार्ग खुल जाता है.
8- लक्ष्मण बाण, कर्नाटक
मान्यता है कि कर्नाटक के लक्ष्मण बाण में स्वयं भगवान राम ने लक्ष्मण और सीता जी के साथ राजा दशरथ का पिंडदान किया था. इसलिए कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस स्थान पर पिंडदान करता है उसके पितरों की आत्मा को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिल जाती है.