Navratri 2019: क्या मधुमेह के रोगियों को नवरात्रि व्रत रखना चाहिए? आइये जानें शोध एवं चिकित्सक क्या कहते हैं!
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PxHere and Wikimedia Commons)

श्राद्ध के बाद ‘शक्ति पूजा’ का प्रतीक नवरात्रि शुरू हो जायेगा. नौ दिनों तक चलनेवाले इस पर्व में हिंदू समाज माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं. आदि शक्ति को प्रसन्न करने के लिए कुछ श्रद्धालु नौ दिन का उपवास रखते हैं तो कुछ प्रथम एवं अष्टमी के दिन उपवास की परंपरा का निर्वाह करते हैं. क्या नियमित डाइट लेने वालों के सेहत पर इसका अच्छा या बुरा असर पड़ता है? विशेष रूप से डायबिटीज के मरीजों के लिए. क्योंकि मधुमेह के रोगियों के लिए नियमित एवं संतुलित डायट जरूरी होता है. इस संदर्भ में हमने दिल्ली स्थित डॉ जीतेंद्र सिंह से बात की. आइये जानते हैं कि नवरात्रि पर उपवास सेहत के लिए लाभकारी है या नुकसानदेह...

डॉ. जितेंद्र सिंह गुसाईं के अनुसार शरीर विज्ञान के अनुसार नार्मल डाइट लेने वाले दिनों में हमारा पाचन तंत्र 24 घंटे सक्रिय रहता है, लेकिन जब हम उपवास रखते हैं तो पाचन तंत्र को कुछ पल की राहत मिल जाती है. इससे हमारी सेहत से जुड़ी कई प्रकार की समस्याओं का समाधान हो जाता है. यानी उपवास रखने से शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क पर भी सकारात्मक असर होता है. पिछले दिनों अमेरिका की एक विज्ञान पत्रिका सेल रिपोर्ट्स द्वारा कराये गये शोध में भी पाया गया कि उपवास यानी फास्ट रहने से शरीर की पाचन क्रिया पर सकारात्मक असर पड़ता है. जिसकी वजह से बढ़ती आयु से होने वाली सेहत संबंधी समस्याएं स्वमेव दूर होती हैं. यही नहीं आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी उपवास के संदर्भ में उल्लेखित है कि ‘लंघनम् सर्वोत्तम औषधं’ यानी उपवास सर्वश्रेष्ठ औषधि होती है.

ख्यातिप्राप्त आयुर्वेदाचार्यों का मानना है कि व्रत अथवा उपवास को धार्मिक परिप्रेक्ष्य से नहीं देखकर इसके चिकित्सीय रूपों को समझना चाहिए और इसका लाभ उठाना चाहिए. आयुर्वेद में बीमारी दूर करने के लिए शरीर के विषैले तत्वों को दूर करने की बात की जाती है. व्रत रखकर इन्हें शरीर से बाहर निकाला जा सकता है. लेकिन चिकित्सक से परामर्श जरूर ले लें कि आपका शरीर व्रत रखने योग्य है या नहीं.

बात मधुमेह और नवरात्रि व्रत के कनेक्शन की

कुछ दिनों पूर्व जर्नल एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया ने मधुमेह के उन रोगियों के लिए एक खास दिशा निर्देश जारी किया है, जो नवरात्रि पर नौ दिन का व्रत रखते हैं. उनके दिशा निर्देशन के अनुसार नवरात्रि व्रत शुरू करने से पूर्व ठोस आहार के रूप में गेहूं, दाल, नट्स एवं प्रोटीन्स पर्याप्त मात्रा में लेना जरूरी होता है. इससे शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलती है, जिससे व्यक्ति पूरी आस्था एवं उत्साह के साथ व्रत रख लेते हैं. निर्जल व्रत रखनेवालों को भी उपवास शुरू करने से पूर्व ताजे फलों का जूस, लौकी, नेनुवा, तरोई जैसी हरी सब्जियों का पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिए. मधुमेह के रोगियों को नौ अथवा ज्यादा दिनों तक उपवास रखने से बचना चाहिए. क्योंकि ज्यादा समय तक खाली पेट रहने से शुगर की क्षमता प्रभावित होती है. शुगर लेवल बढ़ सकता है, जो सेहत के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता.

अगर व्रत रखने वाले को मधुमेह के साथ-साथ हाई ब्लडप्रेशर की भी शिकायत है तो उन्हें बिना नमक वाले व्रत नहीं रखना चाहिए. उपवास के दौरान ताजे फलों के सेवन से पौष्टिक तत्वों की कमी पूरी होती है. पपीता, सेब, नाशपाती और अनार जैसे फल आपके शरीर को ऊर्जावान एवं चुस्त-दुरुस्त बनाते हैं. विशेष रूप से पपीता सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है और सुपाच्य भी होता है.

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सावधानियां बरतें तो व्रत भी रहेगा सफल

कहावत मशहूर है कि ‘यथा शक्ति व्यथा भक्ति’. यानी आपके शरीर में ताकत होगी, तभी आप ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति रख सकते हैं. विशेषकर अगर आप मधुमेह से ग्रस्त हैं तो व्रत रखने से पूर्व अपने चिकित्सक से सलाह मशविरा जरूर करें. जहां दवा की जरूरत है, वहां दवाएं जरूर लेनी चाहिए. व्रत के दौरान ज्यादा तैलीय अथवा घी से बनी वस्तुओं के सेवन से परहेज रखना श्रेयस्कर होगा. क्योंकि अत्यधिक चिकनाई वाले खाद्य पदार्थ के सेवन से इंसुलिन में समस्या पैदा हो सकती है. रक्त शर्करा के स्तर की जांच नियमित करवाते रहना चाहिए. ऐसा करने से आपका व्रत सुफल एवं फलदायक साबित होगा.