प्रथम पूज्य भगवान गणेश की जयंती का पर्व गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. साल भर में आने वाली चतुर्थियों में इस चतुर्थी को सबसे बड़ी चतुर्थी माना जाता है. इस दिन 'बप्पा' के भक्त भगवान गणपति जी की प्रतिमा को अपने घर में लाने के लिए पूरी श्रद्धा से इंतजार करते हैं. वैसे तो साल भर में पड़ने वाली प्रत्येक चतुर्थी पर गणपति जी का पूजन और उपासना करने से घर में संपन्नता, समृद्धि, सौभाग्य और धन का आगमन होता है. मगर शास्त्रों में गणेश चतुर्थी के दिन किए गए व्रत और पूजन का विशेष महत्व बतलाया गया है.
इस साल गणेश चतुर्थी 13 सितंबर को मनाई जाएगी. गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिन तक मनाया जाता है. यह गणेश चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक चलता है. लोग भगवान गणेश की मूर्ति घर में, पंडाल में स्थापित कर विधि विधान से पूजन करते हैं और अपने मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और फिर पूरे धूम-धाम से मूर्ति विसर्जन करते हैं. वैसे तो यह उत्सव पूरे भारत में मनाया जाता है, पर महाराष्ट्र और मुंबई का गणेशोत्सव विशेष रूप से प्रसिद्ध है. मुंबई में सार्वजनिक रूप से बड़े-बड़े पंडालों में भगवान गणेश जी प्रतिमा की स्थापना की जाती है. मुंबई में लालबाग के राजा का विशेष महत्व है.
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पूजा के लिए जरुरी सामग्री
गणपति की मूर्ति को घर में स्थापित करने के समय जिन सामग्रियों की जरूरत होती है, वो इस प्रकार हैं. लाल फूल, दूर्वा, मोदक, नारियल, लाल चंदन, धूप और अगरबत्ती.
मूर्ती स्थापना और पूजन विधि
गणपति मूर्ति को सदैव पूर्व दिशा में ही स्थापित करें, ध्यान रखें कि उनका श्री मुख पश्चिम की ओर ही रहे. गणपति मूर्ति स्थापना के दौरान मंत्र ' ऊं गं गणपतये नम:' का जाप करें. यदि यह विधि आप पुजारी द्वारा करवा रहे हैं तो उन्हें दक्षिणा भी जरूर अर्पित करें. जो श्रद्धालु गणेश जी की मूर्ति को चतुर्थी से पहले अपने घर ला रहे हैं, उन्हें मूर्ति को एक कपड़े से ढक कर लाना चाहिए और पूजा के दिन मूर्ति स्थापना के समय ही इसे हटाना चाहिए. घर में मूर्ति के प्रवेश से पहले इस पर अक्षत जरूर डालना चाहिए. स्थापना के समय भी अक्षत को आसन के निकट डाले. साथ ही, वहां सुपारी, हल्दी, कुमकुम और दक्षिणा भी रखें.
गणेश चतुर्थी के दिन ब्रह्म मूहर्त में उठकर स्नान आदि से शुद्ध होकर शुद्ध कपड़े पहनें. इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना अति शुभ माना जाता है.
पंचामृत से श्री गणेश को स्नान कराएं तत्पश्चात केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वा अर्पित कर कपूर जलाकर उनकी पूजा और आरती करें. उन्हें मोदक और लड्डू अर्पित करें. पूजा के दौरान लाल रंगों के फूलों को प्राथमिकता दें, माना जाता है कि गणेश जी को लाल रंग के फूल अधिक प्रिय हैं.
गणपति पूजन के लिए इस मंत्र का करें जाप
“ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।”
भगवान गणेश जी की आरती से पूरी होती है हर मनोकामना
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चार भुजाधारी,
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
(माथे पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी)
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा,
(हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा),
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अँन्धे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया।
'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
(दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी )
(कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी)॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥