पुण्य कमाने के लिए लोग क्या नहीं करते, गंगा में डूबकी लगाते हैं. दान धर्म करते हैं. लेकिन जाने अनजाने में कुछ ऐसा कर जाते हैं जिससे कमाया हुआ सारा पुण्य मिट्टी में मिल जाता है. हिन्दू धर्म शास्त्रों में कुछ ऐसी चीजों का वर्णन है जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए. हिन्दू धर्म में गाय को इंसानों ने ही नहीं बल्कि देवता और साधू संतों ने भी बहुत उंचा दर्जा दिया है.
गाय मनुष्य को दूध, दही, घी, गोबर जैसे पंचतत्त्व प्रदान करती है. सृष्टि की रचना भी पंचभूत से हुई है. ब्रह्माण्ड, पृथ्वी, जल , अग्नि, वायु और आकाश पंचभूतों के पांच तत्त्वों से बना है. इन पंचतत्त्वों का पोषण गोवंश से प्राप्त पंचतत्त्वों से होता है. इसलिए गाय को पंचभूत की मां कहा गया है. पुराणों में गौमाता का अपमान करना इतना बड़ा पाप है कि इसका कोई प्रायश्चित नहीं है. जो पुण्य दान धर्म से कमाया जाता है उसे गौ माता की सेवा से कमाया जा सकता है.
यह भी पढ़ें: Vinayak Chaturthi 2019: कल 10 मार्च को है विनायक चतुर्थी, जानें व्रत कथा और पूजा विधि
पुराणों में तुलसी को बहुत बड़ी उपाधि दी गई है. कोई भी पूजा और शुभ कार्य तुलसी के पत्तों के बीना पूरी नहीं होती है. विष्णु पुराण के अनुसार तुलसी का अपमान स्वयं ईश्वर भी नहीं कर सकते. तुलसी का सबसे बड़ा अपमान ये है कि घर में तुलसी के पौधे होने के बावजूद उनकी पूजा न करना. जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वह स्थान पूजनीय होता है और उस घर में किसी भी तरह की बीमारी नहीं आ सकती. तुलसी धार्मिक कार्यों में महत्त्वपूर्ण है ही ये विज्ञान की दृष्टि से भी बहुत फायदेमंद है.
सभी लोग ये जानते हैं कि भगीरथ की कड़ी तपस्या के बाद गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आई थीं. हिन्दू धर्म में गंगा नदी को सबसे पवित्र नदी और मां का दर्जा दिया गया है. पुराणों के अनुसार जो भी व्यक्ति गंगा का अपमान करता है उसके सारे पुण्य समाप्त हो जाते हैं. जिस कमरे में गंगा जल रखा हो वहां मांस और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए. गंगा जल को प्लास्टिक की बोतल में नहीं रखना चाहिए. प्लास्टिक की बोतल में रखा हुआ गंगाजल पूजा के लिए अपवित्र माना जाता है. बुरी शक्तियों से दूर रहने के लिए घर के चारों कोने में गंगा जल का छिड़काव करना चाहिए.