कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन माता काली की पूजा होती है. इस पूजा से घर के सभी नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. मान्यता है कि जिस जातक की राशि में शनि दोष होता है, वह अगर इस पूजा पूरे विधि विधान से करे तो उसके सारे दोष मिट जाते हैं, तथा शत्रु द्वारा कराया काला जादू भी नष्ट हो जाता है. वह ताउम्र सुख, शांति और समृद्धि के साथ जीवन गुजारता है. गुजरात (Gujarat) में इसी दिन हनुमान जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. यह पर्व 26 अक्टूबर 2019 यानि की शनिवार को पड़ रहा है.
महाकाली (Mahakali) की प्रतिमा के सामने महाकाली के मंत्रों का जाप करते हैं. काली की पूजा काली चौदस के दिन मध्य रात्रि में 11.50 से शुरु होकर सुबह 12.30 तक होती है. पूजा करते समय जातक का मुंह दक्षिण पश्चिम अथवा पश्चिम की ओर होना चाहिए. मान्यतानुसार पूजा के दौरान सरसों के तेल का दीपक जलाते हैं. महाकाली मंत्रों के उच्चारण एवं उनके पसंदीदा भोग चढ़ाकर मां को खुश करने की कोशिश करते हैं. मान्यता है कि अगर बिना किसी भूल अथवा त्रुटि के पूरी श्रद्धा के साथ मां की उपासना की जाए तो जातक की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है. आपके भाग्य के सारे रास्ते खुलते चले जाते हैं. आप फर्श से अर्श पर पहुंच सकते हैं.
कौन हैं माता काली
शिव पुराण में भगवान शिव की चार पत्नियों में मां काली को सबसे जागृत देवी माना जाता है. भगवान शिव की पहली पत्नी दक्ष की पुत्री सती थीं, दूसरी हिमालय-पुत्री माता पार्वती थीं, तीसरी माता उमा और चौथी मां कालिका हैं. कालिका (Kalika) की उपासना से जीवन में सुख, शांति, शक्ति और विद्या की प्राप्ति होती है, लेकिन किसी तरह की गलती अथवा भूल होने पर उसके परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं. कहा जाता है कि जैसे अग्नि के संपर्क में आकर पतंगे जलकर भस्म हो जाता है, उसी तरह काली की उपासना के बाद सारे राग, द्वेष, विघ्न आदि नष्ट हो जाते हैं, एवं वैवाहिक जीवन में लंबे समय से चली आ रही समस्याएं स्वतः दूर हो जाती हैं.
माता काली का महात्म्य
मां काली के चार रूप हैं दक्षिणा काली, श्मशान काली, मातृ काली और महाकाली. यद्यपि मां कालिका के कुछ प्रचण्ड रूप भी हैं, उदाहरण के लिए श्मशान काली, काम कला काली, गुह्य काली, अष्ट काली, दक्षिण काली, सिद्ध काली, भद्र काली इत्यादि की आराधना कर कई चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं. लेकिन आम जातकों को मां काली के प्रति केवल सात्विक भक्ति ही करनी चाहिए. यहां एक बात और ध्यान देने की यह है कि किसी विशेषज्ञ की सलाह लेकर ही माता की पूजा करनी चाहिए. मां काली की पूजा या भक्ति करने वालों को मां सभी तरह से निर्भीक और सुखी बनाती हैं, उन्हें तमाम कष्टों से बचाकर रखती हैं. उदाहरण के लिए..
* दीर्घकालीन बीमारियों से मुक्ति मिलती हैं.
* कई असाध्य बीमारियां मां काली की पूजा कर खत्म की जा सकती हैं.
* मां काली की नियमित पूजा करने वालों पर किसी के काले जादू अथवा टोना-टोटकों का कोई असर नहीं पड़ता.
* माता काली अपने भक्तों का हर बुरी आत्माओं से बचाती हैं.
* कर्ज को बोझ से छुटकारा दिलाती हैं.
* व्यवसाय में आ रही शिथिलता एवं अन्य समस्याओं से माँ काली मुक्ति दिलाती हैं.
कालिका के हैं तीन प्रिय स्थल
देश में माता कालिका के कई मंदिर हैं, लेकिन उनके सबसे प्रमुख तीन स्थान हैं. प्रथम कोलकाता स्थित कालीघाट एवं दूसरा मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित भैरवगढ़ में गढ़कालिका मंदिर है, इन दोनों ही स्थल को शक्तिपीठ माना गया है. माता कालिका का तीसरा स्थल गुजरात के पावागढ़ की पहाड़ी पर स्थित महाकाली का जागृतत मंदिर है. माता कालिका के ये तीनों ही मंदिर चमत्कारिक रूप से मनोकामना पूर्ण करने वाले स्थल हैं.