Angarki Sankashti Chaturthi 2021: क्या है अंगारकी चतुर्थी? जानें इसका महात्म्य एवं पूजा विधि! क्यों करना पड़ा था माँ पार्वती को यह व्रत?
अंगारकी संकष्टी चतुर्थी 2021 (Photo Credits: File Image)

Angarki Sankashti Chaturthi 2021: हिंदी पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण मास में कृष्णपक्ष की चतुर्थी को अंगारकी संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है. यदि यह चतुर्थी मंगलवार के दिन पड़ती है तो इसका महात्म्य कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है. इस बार 27 जुलाई 2021 दिन मंगलवार अंगारकी संकष्टी चतुर्थी मनाई जायेगी. कृष्णपक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. कभी-कभी ऐसे संयोग भी बनते हैं, जब कृष्णपक्ष की चतुर्थी मंगलवार के दिन पड़ती है, तब यह अंगारकी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है.

इस वर्ष श्रावण मास में यह चतुर्थी 27 जुलाई 2021 को पड़ रही है. इस दिन का संबंध भगवान गणेश से होता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चना एवं व्रत करने से सारे संकटों का निदान होता है, घर में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है. विशेष संयोग में होने से अंगारकी संकष्टी चतुर्थी की पूजा करने वालों के जीवन में मंगल ही मंगल होता है. संतान की उम्र लंबी एवं सेहत अच्छी रहती है. यह भी पढ़े: Angarki Sankashti Chaturthi 2021: गणेश संकष्टि चतुर्थी का महत्व? जानें तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त, एवं कथा!

अंगारकी संकष्टी चतुर्थी की पूजा-विधि

इस दिन यानी गणेश अंगारकी संकष्टि चतुर्थी के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान एवं नित्य क्रिया से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान श्रीगणेश का ध्यान करते हुए उनका व्रत एवं पूजा करें. अब अपने घर के मंदिर के सामने उत्तर दिशा की ओर मुंह करके साफ आसन पर बैठें. सर्वप्रथम गणपति को दूर्वा अर्पित करें. ध्यान रहे गणपति का जब भी पूजन-अर्चना करें, उऩ्हें दूर्वा अवश्य चढ़ाएं. अब उनके सामने धूप-दीप प्रज्जलित करें तथा लाल पुष्प, रोली, अक्षत, चंदन, इत्र एवं सुहाग की चीजें चढ़ाते हुए ‘ॐ श्री गणेशाय नमः’ अथवा ‘ॐ गं गणपते नमः’ इनमें से किसी एक मंत्र का जाप करें. शाम के समय श्रीगणेश जी की पुनः पूजा करें, तथा व्रत कथा पढ़ने के बाद आरती उतारें. चंद्रोदय के पश्चात चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें. मान्यता है कि पारण करने से पूर्व गरीबों को दान देने से कई गुणा ज्यादा पुण्य की प्राप्ति होती है.

अंगारकी संकष्टी का महात्म्य

मंगलवार के दिन यह चतुर्थी होने से इसे अंगारकी चतुर्थी कहते हैं. मंगलवार के दिन यह चतुर्थी होने से इसका महात्म्य बढ़ जाता है. क्योंकि इस दिन श्रीगणेश जी के साथ हनुमान जी की भी पूजा अर्चना का विधान है. ज्योतिषियों के अनुसार जिनकी कुंडली में मंगल दोष होता है, उन्हें इस दिन गणपति बप्पा की पूजा के साथ-साथ हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए. इससे मंगल बाधा दूर होती है. पूजा के समय भगवान श्रीगणेश जी को दूर्वा एवं मोदक अर्पित करें, इसके बाद हनुमान जी को पीला सिंदूर एवं लड्डू चढ़ाएं.

प्रचलित कथाएं

श्रावण कृष्णपक्ष की चतुर्थी के बारे में कहा जाता है कि जब माता पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं. लेकिन शिवजी प्रसन्न नहीं हो रहे थे, तब माता पार्वती ने यह व्रत किया था, इसके बाद ही शिवजी के साथ उनका विवाह सम्पन्न हो सका. कहते हैं कि हनुमान जी ने भी सीता जी की खोज में जाने से पूर्व यह व्रत किया था. रावण को जब राजा बलि ने कैद कर लिया था, तब उससे मुक्ति पाने के लिए स्वयं रावण ने भी यह व्रत किया था और गणेश जी के आशीर्वाद से बलि की कैद से आजाद हो सका था