Raja Ram Mohan Roy Birth Anniversary: आधुनिक भारत के जनक राजा राममोहन राय की 248 वीं जयंती! जानें क्यों जिंदा जलाया उनकी ही भाभी को!

राममोहन राय ने उन दिनों सती प्रथा के खिलाफ अपनी आवाज खूब बुलंद कर रहे थे,. लेकिन उन्होंने सोचा नहीं था कि जिस प्रथा के खिलाफ वे बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, एक दिन वही विरोध उनके ही घर में आग लगा देगा.

लाइफस्टाइल Rajesh Srivastav|
Raja Ram Mohan Roy Birth  Anniversary: आधुनिक भारत के जनक राजा राममोहन राय की 248 वीं जयंती! जानें क्यों जिंदा जलाया उनकी ही भाभी को!
राजा राममोहन राय (Photo Credits: File Image)

Raja Ram Mohan Roy Birth  Anniversary: राजा राममोहन राय को आधुनिक भारत का ‘जनक’ कहा जाता है. उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और पत्रकारिता दोनों ही क्षेत्रों में अपार सफलता हासिल की. बंगाल में उन्हें 'नव-जागरण युग का पितामह’ भी कहा जाता है. तो हिंदी भाषा के प्रति भी उनका हमेशा से अगाध स्नेह रहा है, लेकिन रूढ़िवाद और कुरीतियों के वे हमेशा सख्त विरोधी रहे हैं. आज देश इस बहुमुखी प्रतिभा के धनी राजा राममोहन �an>

लाइफस्टाइल Rajesh Srivastav|
Raja Ram Mohan Roy Birth  Anniversary: आधुनिक भारत के जनक राजा राममोहन राय की 248 वीं जयंती! जानें क्यों जिंदा जलाया उनकी ही भाभी को!
राजा राममोहन राय (Photo Credits: File Image)

Raja Ram Mohan Roy Birth  Anniversary: राजा राममोहन राय को आधुनिक भारत का ‘जनक’ कहा जाता है. उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और पत्रकारिता दोनों ही क्षेत्रों में अपार सफलता हासिल की. बंगाल में उन्हें 'नव-जागरण युग का पितामह’ भी कहा जाता है. तो हिंदी भाषा के प्रति भी उनका हमेशा से अगाध स्नेह रहा है, लेकिन रूढ़िवाद और कुरीतियों के वे हमेशा सख्त विरोधी रहे हैं. आज देश इस बहुमुखी प्रतिभा के धनी राजा राममोहन राय की 248वीं वर्षगांठ मना रहा है.

क्य़ों छोड़ी ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी!

राम मोहन का जन्म 22 मई 1772 को बंगाल के हूगली जिले के राधा नगर गाँव में हुआ था. वे जाति के ब्राह्मण थे, और बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे. 15 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते उन्हें बंगला के साथ-साथ, संस्कृत, उर्दू, अरबी तथा फ़ारसी भाषा का भी बेहतर ज्ञान हो गया था और इन भाषाओं पर तमाम पुस्तकें लिखीं.

किशोरावस्था में ही उन्होंने देश-विदेश में खूब भ्रमण किया. हैरानी की बात यह है कि जिन अंग्रेजों के खिलाफ उन्होंने जीवनपर्यंत आग उगली, ब्रिटिशर्स के खिलाफ तमाम आंदोलनों में सक्रिय रहे, उसी की कंपनी (ईस्ट इंडिया कंपनी) के संरक्षण में पांच साल (1809 से 1814) तक नौकरी की. ‘राजा’ की उपाधि उन्हें अंग्रेजों ने ही दी थी. राममोहन राय ने अंग्रेजी हुकूमत द्वारा भारत में तमाम कुरीतियों को हवा देने के खिलाफ आवाज उठाई, और उनके द्वारा प्रदत्त ‘राजा’ की उपाधि लौटा दिया.

इसलिए छोड़ी ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी

राजा राममोहन राय के युग में बाल-विवाह, सती प्रथा, जातिवाद, कर्मकांड, पर्दा प्रथा आदि का दौर था. उन्होंने ऐसी हर कुप्रथाओं के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद किया. अंग्रेजों के प्रति मोह भंग होने के बाद राजा राममोहन राय देश को अंग्रेजी दासता से मुक्ति दिलाने के लिए सक्रिय रूप से राजनीति में कूद पड़े थे. यद्यपि यहां भी उन्हें दोहरी लड़ाई लड़नी पड़ी. एक तरफ ब्रिटिश हुकूमत द्वारा आम भारतीयों को प्रताड़ना दिया जाना, जिसे वे किंचित पसंद नहीं करते थे, इसके अलावा देश में पनप रहे तमाम कुप्रथाओं का भी कट्टर प्रतिरोध करते रहे.

क्यों जिंदा जलाया उनकी भाभी को:

राममोहन राय ने उन दिनों सती प्रथा के खिलाफ अपनी आवाज खूब बुलंद कर रहे थे,. लेकिन उन्होंने सोचा नहीं था कि जिस प्रथा के खिलाफ वे बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, एक दिन वही विरोध उनके ही घर में आग लगा देगा. एक बार राजा राममोहन राय किसी काम से विदेश गए हुए थे. इसी बीच उनके भाई की मृत्यु हो गई. समाज के ठेकेदारों ने सती प्रथा के नाम पर उनकी भाभी को जिंदा जला दिया.

निधन

साल 1833 को 27 सितम्बर 1833 के दिन राजा राममोहन रॉय का इंग्लैंड में निधन हो गया.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को  सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. 

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