Putrada Ekadashi: ऐसे व्रत करने पर पूरी हो जाएगी संतान प्राप्ति की इच्छा; जानें मुहूर्त, कथा और महत्व
श्रावण पुत्रदा एकादशी (Photo Credit-Twitter)

श्रावण मास शुक्ल पक्ष की एकादशी संतान प्राप्ति की इच्छा रखनेवाले लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. सावन महीने के खास त्योहारों की तरह इस एकादशी का भी विशेष महत्व है. यह व्रत मुख्य रूप से भगवान विष्णु की उपासना में किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को संतान सुख मिलता है.

यह एकादशी अपने नाम के अनुरूप विशेषकर संतान प्राप्ति के लिए ही होता है. कुछ कथाओं में कहा गया है कि इस एकादशी के व्रत का लाभ स्त्री और पुरुष दोनों समान रूप से ले सकते हैं. पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रखने और विधिवत पूजन करने वाले लोगो की गोद सूनी नहीं रहती. उन्हें संतान सुख जरूर प्राप्त होता है. यह एकादशी सभी पापों को नाश करने वाली होती है. इस व्रत से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

शुभ मुहूर्त:

श्रावण पुत्रदा एकादशी पारणा मुहूर्त : दिनांक 23 को प्रातः 05 बजकर 55 मिनट से 08 बजकर 30 मिनट तक

अवधि: 2 घंटे 35 मिनट

पूजा एवं व्रत विधि:

इस दिन ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर घर की साफ़-सफाई करने के बाद स्नान करना चाहिए. उसके बाद नए कपड़ों को पहनकर भगवान विष्णु के सामने घी का दीप जलाएं और व्रत करने का संकल्प लें. जिसके बाद भगवान को फल, फूल, तिल व तुलसी चढ़ाएं.

इसके बाद भक्त को नीचे दिए गए कथा का पाठ करना चाहिए और भगवान विष्णु की आरती गाकर पूजा करें. शाम को फल ग्रहण कर सकते हैं.  इस दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है. एकादशी के दिन जागरण और भजन कीर्तन करने से विशेष लाभ मिलता है. इसके अलावा द्वादशी तिथि को ब्राह्मण को भोजन करवाएं. अतं में उन्हें दान-दक्षिणा देने के बाद खुद भोजन करें.

व्रत कथा:

द्वापर युग में राजा महीजित बहुत धर्मप्रिय और विद्वान राजा था. उसमें एक ही कमी थी कि वह संतान विहीन था. यह कथा उसने अपने गुरु लोमेश जी को सुनाई. लोमेश ने राजा के पूर्व जन्म की बात बताए. उन्होनें कुछ ऐसे बड़े पाप पूर्व जन्म में किये थे जिसके कारण उनको इस जन्म में संतान की प्राप्ति नहीं हुई. लोमेश गुरु जी ने कहा कि यदि वो श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी का व्रत रहे तो उसको पुत्र की प्राप्ति हो जाएगी. राजा ने कुछ वर्षों तक इस व्रत को लगातार रखा और उनको सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई. यह कथा पद्मपुराण में आती है. इस प्रकार जो भी श्रद्धा पूर्वक इस व्रत को रखता है उसको सुंदर पुत्र की प्राप्ति होती है. इस दिन श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें.