यह साल का पहला प्रदोष है. चूंकि यह प्रदोष शनिवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे शनि प्रदोष भी कहते हैं. इस दिन भगवान शिव एवं उनके परिवार की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इससे भगवान शिव प्रसन्न होकर सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं, एवं अंत में मोक्ष प्रदान करते हैं. आइये जानें साल 2022 के इस पहले शनि-प्रदोष व्रत का महात्म्य, मुहूर्त एवं पूजा-विधि
शनि प्रदोष का महात्म्य
हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि के दिन आता है. माह के दो प्रदोषों में पहला प्रदोष कृष्णपक्ष में और दूसरा शुक्लपक्ष में पड़ता है. इस वर्ष का पहला प्रदोष पौष मास के शुक्लपक्ष की त्रयोदशी यानी 15 जनवरी 2022 शनिवार के दिन पड़ रहा है. इसे शनि प्रदोष भी कहा जाता है. इस व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि प्रत्येक प्रदोष के दिन स्नान-ध्यान के पश्चात शिवजी की पूजा-अर्चना करने से जीवन के सारे पाप नष्ट होते हैं, और हर दृष्टि से खुशहाल जीवन जीने के बाद व्यक्ति को सद्गति प्राप्त होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष का व्रत संतान प्राप्ति एवं उनकी अच्छी सेहत तथा दीर्घायु के लिए रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव से सुयोग्य संतान की प्राप्ति के लिए मनोकामनाएं की जाती है.
पूजा-अर्चना की विधि
पूजन विधि प्रदोष के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव एवं उनके परिवार का ध्यान करते हुए व्रत एवं पूजा का संकल्प लें और अपनी मनोकामनाओं को व्यक्त करें. वैसे तो शनि प्रदोष में निर्जल व्रत का विधान है, लेकिन किसी वजह से व्रत नहीं रख पा रहे या रही हैं, तो भी इस दिन शिवजी का ध्यान एवं पूजा अवश्य करें. गौरतलब है कि प्रदोषकाल में भगवान शिवजी की पूजा शाम के समय ही करना श्रेयस्कर होता है. पूजा की शुरुआत शिवलिंग पर गंगाजल के अभिषेक से करें. उनके सामने धूप-दीप प्रज्जवलित कर बेलपत्र, भांग, शमी पत्ता, धतूरा, गंगाजल, गाय का दूध, एवं सफेद चंदन आदि अर्पित करें. सफेद चंदन, सफेद पुष्प और बिल्व-पत्र अर्पित करें और प्रसाद स्वरूप मौसमी फल चढ़ाएं. भगवान शिव एवं उनके परिवार की पूजा करते हुए इस मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' का जाप अवश्य करें. अब शिव चालीसा पढें और शिव परिवार की आरती उतार कर पूजा सम्पन्न करें. अगर व्रत हैं तो कोशिश करें कि निर्जल व्रत ही रहें, अन्यथा फलाहार व्रत भी रह सकते हैं, लेकिन शिवजी के व्रत में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. शिवजी को भोलेनाथ कहते हैं, लेकिन उनकी पूजा में किंचित त्रुटि से रुष्ट भी हो जाते हैं, इसलिए अंत में पूजा में हुई कमी या त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना कर लें.
शनि प्रदोष का शुभ मुहूर्त
पौष त्रयोदशी प्रारंभ: 10.19 PM (14 जनवरी, शुक्रवार 2022) से
पौष त्रयोदशी समाप्त: 12.57 PM (15 जनवरी, शनिवार 2022) तक
प्रदोष काल शुरू: 05.46 PM से 08.28 PM तक (15 जनवरी, शनिवार 2022) तक