प्रत्येक वर्ष कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष के तेरहवें दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार प्रदोष तिथि भगवान शिव को समर्पित है. इसलिए इस दिन प्रदोषकाल में भगवान शिव की पूजा-अनुष्ठान का विधान है. अन्य माहों की तुलना में कार्तिक मास के प्रदोष तिथि एवं व्रत-पूजा का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसी दिन से दीपावली की शुरुआत होती और इसी दिन धनतेरस पर्व भी मनाया जाता है. गौरतलब है कि इस वर्ष 29 अक्टूबर 2024, को प्रदोष व्रत रखा जाएगा. आइये जानते हैं, कार्तिक कृष्ण मास प्रदोष व्रत के महत्व, मुहूर्त एवं पूजा विधि आदि के बारे में...
कार्तिक प्रदोष व्रत 2024 का महात्म्य
कार्तिक प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा का विधान है, जिससे भक्तों को सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य प्रदान करती है. इस दिन उपवास एवं पूजा-अनुष्ठान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन उपवास एवं पूजा-पाठ करने वाले जातकों को उनके अच्छे कर्मों का फल मिलता है. चूंकि यह व्रत दीपावली से पहले पड़ता है, इस वजह से भी इसका महत्व बढ़ जाता है. यह व्रत-पूजा करने से समाज में भाईचारा और सद्भावना बढ़ती है, जिससे परिवार और समाज में सुख-शांति आती है, साथ ही जातक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यह भी पढ़ें : World Occupational Therapy Day 2024: कब और क्यों मनाया जाता है विश्व व्यावसायिक चिकित्सा दिवस? जानें इस संदर्भ में महत्वपूर्ण तथ्य!
कार्तिक प्रदोष व्रत 2024 तिथि एवं शुभ योग
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी प्रारंभः 10.31 AM (29 अक्टूबर 2024, मंगलवार)
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी समाप्तः 01.15 PM (30 अक्टूबर 2024, बुधवार)
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है इसलिए प्रदोष व्रत 29 अक्टूबर को रखा जाएगा.
पूजा का शुभ मुहूर्तः 05.38 PM से 08.13 PM तक (29 अक्टूबर 2024, मंगलवार) पूजा कर सकते हैं.
शिववासः 10.31 AM तक भगवान शिव नंदी पर सवार रहेंगे (इस काल में शिवजी का अभिषेक से जातक को हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी)
इंद्र योगः प्रदोष काल में इंद्र योग भी बन रहा है, साथ ही तैतिल और गर, करण के भी योग बन रहे हैं.
उपयुक्त योग में शिवजी की पूजा करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते हैं.
कार्तिक प्रदोष व्रत एवं पूजा के नियम
प्रदोष व्रत पूजा विधि बहुत आसान और पवित्र होती है. जातक को पूरे दिन उपवास रखते हुए सायंकाल शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करके व्रत का पारण करना चाहिए. इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. मंदिर की सफाई करें. धूप-दीप प्रज्वलित करें, निम्न मंत्र का 108 जाप करें.
‘ॐ नमः शिवाय’
अब शिवलिंग पर बेल-पत्र, सफेद पुष्प एवं चंदन अर्पित करें. इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और शक्कर के पंचामृत से अभिषेक कराएं. फल, मिष्ठान चढ़ाएं. भगवान शिव की स्तुति-गान करें.
कर्पूरगौरं करुणावतारम् संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् |
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि ||
अब शिवजी की आरती उतारें और प्रसाद का वितरण करें.