Phalgun Amavasya 2025: पितर-दोष से मुक्ति हेतु फाल्गुन अमावस्या पर दें पितरों को तर्पण! इस बार बन रहे हैं, 6 शुभ मुहूर्त!

  हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार पूर्वजों एवं पितरों की पूजा एवं उनके नाम पर दान देने के लिए अमावस्या का दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है. वस्तुतः यह दिन उन्हीं के नाम पर समर्पित होता है. इस दिन अधिकांश लोगों के घरों में हवन, जाप, मंत्र, और दान जैसे कार्य सम्पन्न किये जाते हैं. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं, जिनकी कुंडली में पितृ-दोष होता है, उन्हें राहत मिलती है. इस वर्ष फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी 2025, गुरुवार के दिन पड़ रहा है. आइये जानें फाल्गुन अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व, मुहूर्त एवं पूजा अनुष्ठान इत्यादि के बारे में... यह भी पढ़ें : Mahashivratri 2025: कब मनाया जाएगा महाशिवरात्रि 26 या 27 फरवरी को? जानें सटीक मुहूर्त-तिथि, महाशिवरात्रि की तीन कथाएं एवं रात्रि पूजा का महत्व!

फाल्गुन अमावस्या (27 अक्टूबर 2025) मूल तिथि

फाल्गुन अमावस्या आरंभः 08:54 AM (27 फरवरी 2025, गुरुवार)

फाल्गुन अमावस्या समाप्तः 06:14 AM (28 फरवरी 2025, शुक्रवार)

उदया तिथि के अनुसार इस वर्ष फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी 2025 को मनाुया जाएगा.

पूजा के लिए छह शुभ योगों का संयोग

ब्रह्म मुहूर्तः 05.09 AM  से 09.58 AM (27 फरवरी 2025) तक

गोधूलि मुहूर्तः 06.07 PM से 06.42 PM (27 फरवरी 2025) तक

निशिता मुहूर्तः 12.08 AM से 12.08 AM तक

शिव योगः पूरे दिन विद्यमान रहेगा

अभिजीत मुहूर्तः (पूजा हेतु सर्वश्रेष्ठ काल) 12.16 PM से 01.02 PM

अमृत कालः 06.02 AM से 0731 AM तक  

फाल्गुन अमावस्या (2025) महत्व

फाल्गुन अमावस्या के दिन गंगा अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान एवं दान का विशेष महत्व बताया गया है. इस वर्ष महाकुंभ लगे होने के कारण इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है. बहुत से लोग इस दिन स्नान-दान के पश्चात पितरों को श्राद्ध, तर्पण एवं पिण्डदान करते हैं. ऐसा करने से जातक को पितरों का आशीर्वाद तो मिलता ही है, साथ ही पितर दोषों से भी मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही लोग श्राद्ध स्वरूप दिवंगतों के नाम भोजन पानी निकालकर उसे गरीबों को खिलाना बहुत पुण्यदायी कार्य होता है.

फाल्गुन अमावस्या 2025: पूजा अनुष्ठान

   फाल्गुन अमावस्या 2025 के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान करें. सुलभ है तो इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें. भगवान शिव का ध्यान करें, तथा व्रत एवं पूजा का संकल्प लें.  इस दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए यज्ञ-हवन का प्राचीन विधान है. हवन से पूर्व भगवद गीता एवं रामचरितमानस के एक दो अध्याय जरूर पढ़ें. जरूरतमंदों अथवा गरीबों को वस्त्र एवं अन्न दान करें. इसके अलावा अन्य जरूरत की वस्तुएं दान करें. मान्यता है. इस दिन गायत्री मंत्र का पाठ करना भी श्रेयस्कर होता है. ऐसा करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है, और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.