पंचक का जिक्र होते ही मन में नकारात्मक विचार आने लगते हैं. आखिर क्या है पंचक? जानें पंचक में कौन कौन से कार्य करें और कौन से नहीं. पंचक' का नाम सुनते ही मन में नकारात्मक विचार आने लगते हैं. पंचक का प्रयोग प्रायः किसी के निधन पर सुनने को मिलता है. मान्यता है कि पंचक काल में किसी के निधन की खबर मिलती है तो आने वाले दिनों में चार और ऐसी खबरें आ सकती हैं. इसीलिए अकसर लोग पंचक में किसी के निधन होने पर उसकी अंत्येष्टि में जाने से कतराते हैं, कि कहीं ऐसा ना हो कि आने वाले दिनों में उन्हें कुछ और अंत्येष्टि में शामिल होना पड़े. पंचक 18 जून 2022 की शाम 06.42 से प्रारंभ हो रहा है. जो 23 जून शाम 06.13 बजे तक रहेगा.
पंचक क्या है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पांच नक्षत्रों धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती इन पांच नक्षत्रों के समूह को 'पंचक' कहते हैं. इन पांचों नक्षत्रों में बहुत ही संभावनाएं होती हैं, और इसका प्रभाव हमेशा बढ़ते क्रम में होता है. यानी धनिष्ठा से मध्यम गति से शुरु होकर रेवती तक आते-आते पूरे परिणाम दे देता है. ऐसा भी कहा जाता है कि जब चंद्रमा कुंभ एवं मीन राशि में होता है तब भी पंचक होता है. पंचक को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियां हैं कि पंचक में शुभ कार्य वर्जित हैं, कुछ का मानना है कि पंचक में शुरु किये गये काम को दोबारा और पांच बार करना ही पड़ता है.
पंचक से अंत्येष्टि प्रभावित है मृत्यु नहीं!
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मृत्यु एक परालौकिक सत्य है. पंचक का संबंध निधन से नहीं बल्कि अंत्येष्टि से होता है. उदाहरणस्वरूप मान लीजिये किसी का निधन हुआ और उसके चार घंटे बाद पंचक लगने वाला है तो विलंब किए बिना मृतक की अंत्येष्टि करवा देना चाहिए. इसके ठीक विपरीत अगर किसी की मृत्यु पंचक में हुई है और चार-पांच घंटे बाद पंचक हट रहा है तो पंचक निकलने की प्रतीक्षा करें और उसके बाद ही शव की अंत्येष्टि करनी चाहिए. ऐसी स्थिति में पंचक का दोष नहीं लगता है. और अगर पंचक में अंत्येष्टि की मजबूरी होती है तो किसी बहुत ज्ञानी पुरोहित से अंत्येष्टि करवानी चाहिए. और इससे मन की सारी शंकाओं पर बात कर लेनी चाहिए. यह भी पढ़ें : Rani Lakshmibai Death Anniversary: 1857 में स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने वाली महारानी लक्ष्मीबाई! जिनकी तलवार की चमक से खौफ खाते थे अंग्रेज सिपाही!
पंचक में ये पांच कार्य वर्जित होते हैं!
पंचक में जो पांच मुख्य कार्य वर्जित हैं, ये हैं लकड़ी के फर्नीचर खरीदना, चारपाई बुनने, कैंप लगाना, स्लैब डालना एवं दक्षिण दिशा की यात्रा करना. वस्तुतः ये पांच चीजें शैय्या संबद्ध हैं, जिस पर नींद पूरी करते हैं, नींद जिसे लघु मृत्यु भी माना जाता है. यानी सोना और जागना जीवन और मृत्यु का प्रतीक है. इसलिए इससे संबंधित वस्तुएं मसलन गद्दे, चादर, तकिये, सोफा, बेड इत्यादि भी नहीं खरीदना चाहिए.
दक्षिण दिशा में यात्रा वर्जित है!
पंचक काल में दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए. क्योंकि हिंदू धर्म में दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना गया है. यम मृत्यु के देवता हैं. मान्यता अनुसार जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसका प्राण लेकर यम दक्षिण दिशा की ओर जाते हैं.
अस्पताल में एडमिट होने से बचना चाहिए!
पंचक काल में अगर कोई आपातकाल नहीं हो तो अस्पताल जाने अथवा डॉक्टर के पास जाने से बचना चाहिए. संभव है तो किसी भी प्रकार की शल्य क्रिया को कुछ समय के लिए टलवा देना चाहिए, वरना शल्य क्रिया में सफलता की संभावना न्यूनतम होगी.
पंचक में ये कार्य किये जा सकते हैं
* नये घर का निर्माण कार्य शुरु किया जा सकता है.
* पंचक काल में गृह प्रवेश वर्जित नहीं है.
* नये वाहन की डिलीवरी कराई जा सकती है
* जमीन अथवा घर की रजिस्ट्री कराई जा सकती है
* नये व्यापार की शुरुआत कराई जा सकती है.
* मुंडन अथवा यज्ञोपवीत संस्कार कराये जा सकते हैं.