PanchaK 2022: सनातन धर्म में ऐसी कई मान्यताएं हैं कि अमुक दिन बहुत शुभ होता है और अमुक दिन में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है, और ये सारी मान्यताएं ग्रहों एवं नक्षत्रों की चाल के अनुरूप निर्धारित की जाती हैं, ऐसा ही एक है पंचक काल. प्रत्येक माह ऐसे पांच दिन नियत होते हैं, जब कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते. इस बार पंचक काल आज यानी 25 अप्रैल 2022 से 29 अप्रैल 2022 तक रहेगा. कुछ ज्योतिष इसे शनि से जोड़कर देखते हैं तो कुछ का मानना है कि शनि गोचर के साथ पंचक का कोई संबंध नहीं है. आखिर क्या है पंचक, और इन पांच दिनों तक कोई कार्य क्यों नहीं किया जाता? आइये जानते हैं. यह भी पढ़ें: Varuthini Ekadashi Vrat 2022: वरूथिनी एकादशी को श्रीहरि के वामन अवतार की होती है पूजा! जानें व्रत का महात्म्य, व्रत-अनुष्ठान के नियम एवं व्रत कथा!
क्या है पंचक?
सनातन धर्म के अनुसार जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के साथ तीसरे चरण और शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जितने समय तक भ्रमण करता है, उसे पंचक कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा का कुंभ और मीन राशि में संचार (प्रवेश) करने से पंचकों का जन्म होता है ना.
दिन के अनुरूप तय होते हैं पंचक के नाम
जिस दिन पंचक की शुरुआत होती है, उसी के अनुसार इसके नाम तय किये जाते हैं. रविवार
को शुरू हुए पंचक को रोग पंचक, सोमवार को शुरू हुआ है राज पंचक, मंगल से शुरु को अग्नि पंचक, शुक्रवार से शुरु हुआ तो चोर पंचक, और शनिवार के दिन शुरू हुए पंचक को मृत्यु पंचक कहते हैं, वहीं बुधवार अथवा गुरुवार को शुरू हुए पंचक को पंचक कहते हैं.
पंचक काल में ये कार्य ना करें
* पंचक के पांचों दिन लकड़ी से जुड़े कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए.
* पंचक के दिनों में गृह निर्माण के दौरान लेंटर (छत की ढलाई) नहीं करवाना चाहिए.
* पंचक काल में बेड या चारपाई नहीं बनवाना चाहिए.
* पंचक काल में दक्षिण दिशा की ओर प्रस्थान करने से बचना चाहिए. इससे कार्य में अशुभता अथवा अवरोध आता है.
* इस दिन अंत्येष्टि कार्य भी निषेध बताये गये हैं.
पंचक काल में ये कार्य अवश्य करें
* पंचक काल में मजबूरीवश लकड़ी खरीदनी पड़ती है, तो पंचक समाप्त होने पर माँ गायत्री को समर्पित एक हवन करवा लें.
* घर की छत पर लेंटर डलवाना आवश्यक है तो छत डलवाने से पहले छत पर कार्य कर रहे मजदूरों को मिठाई अवश्य खिला दें, इससे पंचक का दोष मिट जाता है.
* पंचक काल में दाह संस्कार करने के साथ ही पांच और पुतले जलाएं.
* अगर पंचक काल में फर्नीचर अथवा लकड़ी की कोई वस्तु खरीदकर लाते हैं तो उनका इस्तेमाल पंचक काल की समाप्ति के बाद ही करें.
* अगर इस काल में दक्षिण की यात्रा मजबूरीवश करनी जरूरी हो तो यात्रा प्रारंभ करने से पूर्व हनुमान मंदिर में फल चढ़ाकर ही यात्रा की शुरुआत करें.