एक मनुष्य अपने जीवन के पश्चात, जब किसी को अपनी आंख दान करता है, तो किसी की अंधेरी दुनिया को रोशनी मिलती है. यह रोशनी उसके लिए एक नवजीवन समान होता है. आंखों की उपयोगिता को देखते हुए हर वर्ष 25 अगस्त से 8 सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है. इसका उद्देश्य लोगों को नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूक करना और इसके लिए प्रेरित करना है. इस दरम्यान देश भर में विभिन्न मंचों पर सेमिनार, जागरुकता कार्यक्रम और वर्कशॉप आदि का आयोजन किया जाता है, ताकि लोग इसके लाभ और भ्रांतियों के पीछे सच्चाई को समझ सकें. आइये जानते हैं, दिल्ली-एनसीआर की विख्यात नेत्ररोग विशेषज्ञ और सर्जन डॉ पारुल सोनी से कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां..
नेत्रदान का महत्व
नेत्रदान का मानवता के लिए एक अमूल्य योगदान है. इसके महत्व को निम्न बिंदुओं से समझा जा सकता है. नेत्रदान से प्राप्त नेत्रहीन व्यक्ति को नई जिंदगी मिल सकती है. नेत्रहीन व्यक्ति के लिए नेत्रदान से न केवल आंखों को रोशनी मिलती है, बल्कि यह उनके जीवन की गुणवत्ता को भी सुधारता है, उन्हें शिक्षा, रोजगार, और स्वतंत्रता की संभावनाएं बनती हैं. नेत्रदान से जागरूकता फैलाने से समाज में इस महत्वपूर्ण कार्य के प्रति समझ और संवेदनशीलता बढ़ती है. नेत्रदान से हमें यह समझने का अवसर मिलता है कि हम मृत्यु के बाद भी दूसरों की मदद कर सकते हैं. नेत्रदान एक प्रकार का सामाजिक उत्तरदायित्व भी है. यह भी पढ़े : World Senior Citizens Day 2024: बुजुर्गों के अनुभवों को सलाम करने का दिन, ताकि हम अपनी जड़ों से जुड़े रह सकें
क्या है नेत्रदान?
नेत्रदान, जिसे कॉर्निया प्रत्यारोपण भी कहते हैं. कॉर्निया ब्लाइंडनेस से पीड़ितों की आंखों की रोशनी वापस लाने के लिए मृत्यु के बाद किसी को भी अपनी आंखें दान करने की प्रक्रिया है. बता दें कि आज भी कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ितों की संख्या लाखों में हैं. नेत्र विशेषज्ञों के अनुसार कॉर्निया प्रत्यारोपण नेत्रहीनों के जीवन को आशा की किरण प्रदान करता है. नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस एंड विजुअल इम्पेयरमेंट (NPCBVI के अनुसार, लगभग 10 लाख लोग कॉर्निया ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं.
क्या है कॉर्निया ट्रांसप्लांट
कॉर्निया ट्रांसप्लांट, जिसे कॉर्निया ग्राफ्ट या कॉर्निया ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है, एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें एक स्वस्थ कॉर्निया (नेत्रगोलक के सतह का पारदर्शी हिस्सा) एक नेत्रदाता से प्राप्त किया जाता है. इसे नेत्रहीन मरीज की आंख में प्रत्यारोपित किया जाता है. अमूमन यह प्रक्रिया उन लोगों के लिए की जाती है, जिनकी कॉर्निया में किसी प्रकार की क्षति या रोग के कारण नेत्रहीनता आ गई हो.
कॉर्निया ट्रांसप्लांट के मुख्य कारण
कॉर्निया डिस्ट्रोफिया: यह एक प्रकार का रोग है, जिसमें कॉर्निया की संरचना बदल जाती है और दृष्टि प्रभावित होती है.
कॉर्नियल संक्रमण: कुछ संक्रमण ऐसे होते हैं जो कॉर्निया को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त कर देते हैं.
कॉर्निया घाव या आघात: किसी दुर्घटना या चोट की वजह से कॉर्निया में गहरा घाव हो सकता है.
केलेडोकोसिस: यह एक स्थिति है जिसमें कॉर्निया पतली हो जाती है और बाहर की ओर उभर कर आ जाती है.
कैसे होती है कार्निया की ट्रांसप्लांटिंग
डॉक्टर पारुल के अनुसार सर्जरी के समय सर्जन दानदाता के कॉर्निया को मरीज की आंख में ट्रांसप्लांट करता है, इसे कुछ विशेष टांकों से स्थिर किया जाता है. ऑपरेशन के बाद, मरीज को कुछ समय तक दवाइयों और विशेष ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है, ताकि ग्राफ्ट शरीर द्वारा एक्सेप्ट कर ले. कॉर्निया ट्रांसप्लांट एक सफल प्रक्रिया हो सकती है, इससे मरीज की दृष्टि में महत्वपूर्ण सुधार होता है. हालांकि, सर्जरी के बाद कुछ रिस्क भी होते हैं, जैसे ग्राफ्ट अस्वीकार होना या संक्रमण इत्यादि. इसलिए, सर्जरी के बाद नियमित जांच और देखभाल बहुत जरूरी है.