Mokshda Ekadashi 2021: कब है मोक्षदा एकादशी? जानें इसका महत्व, मंत्र, मुहूर्त, पूजा विधि एवं व्रत कथा!
मोक्षदा एकादशी (Photo Credits: File Image)

मोक्षदा एकादशी का व्रत प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन रखा जाता है. सनातन धर्म के अनुसार प्रत्येक एकादशी की तिथि भगवान श्रीविष्णु को समर्पित होता है, इसलिए मोक्षदा एकादशी के दिन भी विष्णुजी के साथ माँ लक्ष्मी की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर, मंगलवार को पड़ रहा है. आइये जानें मोक्षदा एकादशी का महात्म्य, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं व्रत कथा.

मोक्षदा एकादशी का महात्म्य!

इस वर्ष मार्गशीर्ष मास की मोक्षदा एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है, इसलिए इस मोक्षदा एकादशी का विशेष महात्म्य बताया जा रहा है. धार्मिक मान्यतानुसार मोक्षदा एकादशी को विष्णुजी का व्रत एवं पंचोपचार विधि पूजा करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, और मृत्युलोक में सांसारिक सुख भोगने के पश्चात जातक को भी मोक्ष मिलता है. इसीलिए इसे मोक्षदा एकादशी कहते हैं. इस व्रत का महात्म्य इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन का मोह भंग करने के लिए मोक्ष प्रदायिनी श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था. इसलिए इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है.

इन विधियों से करें श्रीहरि का व्रत एवं पूजा!

एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के पश्चात पीले वस्त्र धारण करें. अब सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात श्रीहरि का ध्यान करते हुए व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. श्रीहरि को पीले फूल, पीले वस्त्र, पीला फल, पीला मिष्ठान अर्पित करने का विधान है, इससे श्रीहरि प्रसन्न होते हैं. अब श्रीहरि एवं माँ लक्ष्मी का पंचामृत से अभिषेक कर उन्हें तुलसी दल अर्पित करें. ध्यान रहे श्रीहरि की पूजा में तुलसी दल अर्पित किये बिना पूजा के फल प्राप्त नहीं होते. श्रीहरि को रोली का तिलक लगाएं एवं लक्ष्मी जी को सिंदूर अर्पित करें. श्रीहरि के इस मंत्र का 108 बार जप करने के पश्चात उनकी आरती उतारें और प्रसाद को लोगों में वितरित करें. यह भी पढ़ें : Festivals And Vrat In January 2022: नए वर्ष के पहले माह जनवरी के महत्वपूर्ण व्रत एवं त्यौहार

‘ॐ अं वासुदेवाय नम:’

मोक्षदा एकादशी (14 दिसंबर, मंगलवार 2022) शुभ मुहूर्त!

एकादशी प्रारंभ: 09.32 PM (13 दिसंबर, सोमवार, 2022) से

एकादशी समाप्त: 11.35 PM (14 दिसंबर, मंगलवार, 2022) तक

पारण का समय: 07.05 AM से प्रातः 09.09 AM तक (15 दिसंबर, बुधवार 2022)

मोक्षदा एकादशी कथा!

प्राचीनकाल में गोकल नगर में वैखानस नामक राजा थे. एक रात उन्होंने स्वप्न में अपने पिता को नर्क में कष्ट भोगते देखा. पिता की स्थिति देख राजा बहुत दुःखी हुए. अगले दिन उन्होंने राज्य के सभी विद्वान पंडितों को बुलवाकर स्वप्न की चर्चा करते हुए पिता के कष्टों से मुक्ति का उपाय पूछा. एक विद्वान ने राजा को बताया, कि उनकी समस्या का निवारण पर्वत नामक सिद्ध महात्मा कर सकते हैं. राजा पर्वत महात्मा के आश्रम में पहुंचकर साक्षात दंडवत करते हुए अपने पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा. महात्मा ने बताया कि पूर्व जन्म में आपके पिता ने एक पाप किया था, जिस कारण वे नर्क भोग रहे हैं. आनेवाले मार्गशीर्ष मास शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन आप व्रत एवं श्रीहरि की पूजा करें, आपके पिता को मोक्ष मिलेगा. उनके सारे कष्ट दूर होंगे. राजा वैखानस ने ऐसा ही किया. परिणामस्वरूप उनके पिता को मोक्ष मिला. स्वर्गलोक को प्रस्थान करते हुए पिता ने पुत्र को आशीर्वाद देते हुए कहा, पुत्र तेरा कल्याण हो.