भारत का ह्रदय कहे जाने वाले मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस प्रत्येक वर्ष पहली नवंबर को मनाया जाता है. मध्य प्रदेश वर्तमान भारत का दूसरा सबसे बड़ा प्रदेश है, जो तत्कालीन मध्य प्रांत, सीपी और बरार, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्य को मिलाकर बनाया गया था. साल 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के दरमियान 1 नवंबर 1956 को यह नया प्रदेश अस्तित्व में आया. यहां मीडिया, खेल, और राजनीति से लेकर शिक्षा, पर्यटन और अर्थव्यवस्था तक मध्य प्रदेश के संदर्भ में तमाम कहानियां प्रचलित हैं. गौरतलब है कि इसी दिन छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, पंजाब, और हरियाणा सहित पांच राज्यों का भी स्थापना दिवस मनाया जाता है. हमेशा की तरह इस वर्ष भी मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस (1 नवंबर 2022, मंगलवार) पर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. इस अवसर विशेष पर आइये जानें क्या है मध्य प्रदेश का इतिहास, महत्व, उद्देश्य एवं उत्सव मनाने का तरीका.
मध्य प्रदेश का इतिहास
ऐतिहासिक दृष्टिकोण से 18वीं शताब्दी में अधिकांश राज्यों में मराठा साम्राज्य हावी था, 19वीं शताब्दी आते-आते आंग्ल-मराठा युद्धों के पश्चात यह क्षेत्र ब्रिटिश शासन में छोटे-छोटे रियासतों में विभाजित हो गया. मध्य भारत प्रांत का गठन 28 मई 1948 को भाषाई आधार पर हुआ था, जिसमें ग्वालियर और मालवा शामिल था. मध्य भारत के पहले राज प्रमुख ग्वालियर रियासत के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया थे. जिसकी दो राजधानियां थीं. शीत ऋतु में ग्वालियर और ग्रीष्म ऋतु में इंदौर को राजधानी बनाया गया. इस राज्य में मध्य प्रदेश के दक्षिणी और वर्तमान महाराष्ट्र के पूर्वोत्तर भाग शामिल थे. 1950 में मध्य प्रांत और बरार को छत्तीसगढ़ तथा मकराई और रियासतों के साथ मिलकर मध्य प्रदेश का गठन किया गया. नागपुर राजधानी बनी. 1 नवंबर 1956 को मध्य भारत, विंध्य प्रदेश एवं भोपाल राज्यों को मिलाया गया, जबकि दक्षिण के मराठी भाषी विदर्भ क्षेत्र को (राजधानी नागपुर सहित) को बॉम्बे प्रांत से जोड़ दिया गया. नये मध्य प्रदेश राज्य के लिए पहले जबलपुर को राजधानी के रूप में देखा गया, लेकिन राजधानी बनी भोपाल. लेकिन 1 नवंबर 2000 को एक बार पुनः मध्य प्रदेश का पुनर्गठन हुआ और मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ को अलग किया गया. यह भी पढ़ें : Happy Punjab Formation Day 2022 Greetings: पंजाब फ़ॉर्मेशन डे पर ये हिंदी ग्रीटिंग्स WhatsApp Stickers और GIF Images के जरिए भेजकर दें बधाई
जबलपुर की जगह भोपाल को राजधानी क्यों बनाया गया?
1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश के गठन के साथ ही उनकी राजधानी और विधानसभा के लिए भोपाल का चयन कर लिया गया. कहते हैं कि भोपाल को राजधानी बनाने में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. शंकर दयाल शर्मा, भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्ला खान और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की अहम भूमिका रही है. राजधानी बनने के बाद 1972 में भोपाल को जिला घोषित किया गया. बता दें कि मध्य प्रदेश की राजधानी के तौर पर जबलपुर के अलावा ग्वालियर और इंदौर भी दावा कर रहे थे. उधर भोपाल के नवाब भारत के साथ संबंध ही नहीं रखना चाहते थे. वे हैदराबाद के निजाम के साथ मिलकर भारत का विरोध कर रहे थे. तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल नहीं चाहते थे कि देश के हृदय स्थल में राष्ट्र विरोधी गतिविधियां बढ़ें. उन्होंने कूटनीतिक चाल चलते हुए भोपाल को राजधानी के रूप में चुनकर विरोधियों का मुँह ही बंद कर दिया गया.
कैसे करते हैं सेलिब्रेशन
मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदेश के विकास से संबंधित तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. इस अवसर पर मध्य प्रदेश के विभिन्न स्थलों विशेष कर भोपाल में पहली नवंबर से 7 नवंबर तक विभिन्न पहलुओं से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. इस दिन भोपाल के परेड ग्राउंड परेड स्थापना दिवस पर विभिन्न प्रकार के रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं.