Date of Krishna Janmashtami 2021: प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह में कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म संपूर्ण भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 30 अगस्त 2021 के दिन मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में इस पर्व का बहुत महत्व है. यह भी पढ़ें: Krishna Janmashtami 2019 Recipe: जन्माष्टमी के व्रत में क्या खाएं फलाहार, जो जायकेदार और पौष्टिक हो, देखें रेसिपी
जन्म दिन पर बन रहे हैं विशेष संयोग
ज्योतिषाचार्य पंडित रवींद्र पाण्डेय के अनुसार इस वर्ष जन्माष्टमी (Janmashtami) पर कई विशेष संयोग बन रहे हैं. श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, और इस बार भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami ) पर रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि होगी. इस वजह से जयंती योग का निर्माण हो रहा है. इसके साथ ही वृष राशि में चंद्रमा रहेगा. जयंती योग का यह संयोग पूरे 101 साल बाद बन रहा है. इस योग में व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलती है और मनोकामना पूरी होती है. इस दिन लोग पूरे समय उपवास रखते हैं. दिन के समय घरों एवं मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण के भजन एवं कीर्तन आदि समारोह आयोजित किये जाते हैं. रात बारह बजते ही परंपरागत तरीके से भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस रात देश के सारे श्रीकृष्ण मंदिरों में कुछ ना कुछ आध्यात्मिक आयोजन किये जाते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत एवं उपासना करने से भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से संतान सुख की प्राप्ति होती है.
कृष्ण जन्मोत्सव (30 अगस्त 2021, सोमवार) का शुभ मुहूर्त
अष्टमी प्रारंभ रात्रिः 11.25 बजे से (29 अगस्त 2021)
अष्टमी समाप्त रात्रिः 01.59 बजे तक (30 अगस्त 2021)
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पूजा का अभिजीत मुहूर्त-
शुभ मुहूर्त रात 11.59 बजे से 12.44 बजे तक (कुल 45 मिनट)
ऐसे करें कृष्ण जन्मोत्सव पर पूजा-अर्चना
भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहनकर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर उपवास एवं पूजा-अर्चना का संकल्प लें. इसके पश्चात घर के में मंदिर की अच्छे से सफाई करके उसकी साज-सज्जा करें. भगवान श्रीकृष्ण के लिए झूला डेकोरेट करें. भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करवायें, इसके पश्चात पंचामृत से स्नान करवाकर प्रतिमा को स्वच्छ वस्त्र से पोछें. अब उन्हें नये वस्त्र पहनाकर झूले पर बिठा दें. अब भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष अक्षत, पान, फूल, रोली, चंदन, मिश्री, मेवा, खीरा एवं सात्विक भोजन तथा फल एवं मिष्ठान तैयार रखें. अब शुभ मुहूर्त पर जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हो, धूप दीप प्रज्जवलित कर भगवान श्रीकृष्ण का झूला झुलाएं. उन्हें जलाभिषेक करें. भोग लगाने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की आरती उतारें. अगर संँभव हो तो इस पूरी रात भगवान श्रीकृ्ष्ण के भजन एवं कीर्तन करें.