Kalki Jayanti 2022: क्या कल्कि श्रीहरि का आखिरी अवतार होंगे, एवं कलियुग के बाद सृष्टि खत्म हो जायेगी? जानें भगवान कल्कि का महात्म्य, मुहूर्त एवं पूजा-विधि!
भगवान विष्णु (Photo Credits: Facebook)

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार जब-जब पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ा है, भगवान विष्णु ने अलग-अलग रूपों में अवतार लिया है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु अब तक 9 अवतार (1- मत्स्य, 2- कूर्मा, 3- वराह, 4- नरसिम्हा, 5- वामन, 6- परशुराम, 7-राम, 8- कृष्ण एवं 9- बुद्ध) ले चुके हैं. माना जा रहा है कि कलियुग में वह कल्कि के रूप में 10वां अवतार लेंगे. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु भविष्य में जिस तारीख को कल्कि के रूप में अपना 10वां एवं आखिरी अवतार लेंगे. उसी तिथि को हिंदू धर्म में हर वर्ष कल्कि जयंती के रूप में मनाया जाता है. कल्कि जयंती के दिन भगवान विष्णु का व्रत एवं पूजा-अर्चना का विशेष विधान है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 3 अगस्त 2022, बुधवार के दिन कल्कि जयंती मनाई जायेगी. आइये जानें कल्कि जयंती का महात्म्य, पूजा-विधि एवं शुभ मुहूर्त.

कल्कि जयंती का महात्म्य

हिंदू शास्त्रों के अनुसार श्रीहरि के रूप में सावन मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी के दिन अवतार लेंगे. इन्हें श्रीहरि के क्रूरतम अवतारों में एक माना जा रहा है. कल्कि जयंती के दिन भक्त मोक्ष की प्राप्ति के लिए श्रीहरि की पूजा और उपवास रखते हैं. उन्हें लगता है कि सृष्टि का कभी भी अंत हो सकता है. इसलिए अपने अपराधों के लिए छमा याचना करते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कल्कि को देवताओं के आठ सर्वोच्च गुणों का प्रतीक माना जाता है. उनके अवतार का मुख्य उद्देश्य एक विश्वासहीन दुनिया की मुक्ति का है. कलयुग में लोगों का धर्म-कर्म से विश्वास उठ चुका है. वे भौतिकवादी और लालच में धर्म-कर्म को भूल रहे हैं. माना जा रहा है कि भ्रष्ट राजाओं की हत्या के बाद, कल्कि मानव जगत में भक्ति भाव जगाएंगे. लोगों का एक बार पुनः धर्म कर्म के प्रति लोगों का विश्वास जागेगा. इसके पश्चात एक नई सृष्टि की रचना होगी.

कल्कि जयंती (3 अगस्त 2022) का शुभ मुहूर्त!

षष्ठी तिथि प्रारंभः 05.41 A.M. (03 अगस्त 2022, बुधवार)

षष्ठी तिथि समाप्तः 05.40 A.M. (04 अगस्त 2022, गुरूवार)

कल्कि जयंती पूजा मुहूर्तः 04.45 P.M. से 07.30 P.M. तक

पूजा विधि

कल्कि जयंती पर पूजा-अनुष्ठान!

कल्कि जयंती के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-दान करें. श्रीहरि का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. घर के मंदिर में भगवान विष्णु को पहले पंचामृत से फिर गंगाजल से स्नान करायें. धूप-दीप प्रज्जवलित करें. पीला फूल, पान, सुपारी, लौंग, इत्र, रोली, पीला सिंदूर, अक्षत, पीला चंदन, तुलसी, मिष्ठान, फल इत्यादि अर्पित करें. तत्पश्चात विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. निम्न लिखित नारायण मंत्र का 108 जाप करते हुए जाने-अनजाने हुए पापों के लिए छमा याचना करें.

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

अंत में भगवान विष्णु की आरती उतारें, और प्रसाद लोगों में वितरित करें. अगले दिन प्रातःकाल स्नान-दान कर व्रत का पारण करें. भगवान विष्णु आपके वर्तमान जीवन को ही खुशहाल नहीं करेंगे बल्कि मृत्योपरांत मोक्ष भी प्रदान देंगे. यह भी पढ़ें : Nagchandreshwar Temple: उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर खुलता है साल में एक दिन, जानें इसके बारे में कुछ अनसुने तथ्य

कल्कि जयंती का इतिहास!

प्राप्त जानकारी के अनुसार कल्कि जयंती की शुरुआत करीब 300 साल पहले राजस्थान के मावजी महाराज ने की थी. उसी समय से सावन मास के शुक्लपक्ष के छठवें दिन कल्कि जयंती परंपरागत तरीके से मनाई जा रही है, जो कि इस वर्ष 3 अगस्त 2022 को मनाई जायेगी.