International Tiger Day 2023: कब और क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस? जाने इसका महत्व, इतिहास एवं 10 रोचक फैक्ट!
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विश्व वन्यजीव कोष (WWF) के अनुसार, 20वीं सदी आते-आते बाघों की 95 प्र.श. आबादी नष्ट हो चुकी थी. ताजा गणना के अनुसार वर्तमान में जंगलों में केवल 3900 बाघ उपलब्ध हैं. लेकिन इसके साथ ही भारत में बाघों की आबादी में लगभग 33 प्र.श. की वृद्धि की उपलब्धि को भी उजागर किया गया था, हालांकि, बाघ संरक्षण के संदर्भ में अभी भी बहुत ज्यादा जागरूकता लाने की जरूरत है. बाघों की आबादी कम होने का मुख्य कारण अवैध शिकार, जलवायु परिवर्तन और उनके प्राकृतिक आवास को मनुष्यों द्वारा नष्ट करना है. यह भी पढ़ें: Bank Holiday August 2023: अगस्त माह में 14 दिन बंद रहेंगे बैंक! बैंकिंग संबंधी जरूरी काम समय से निपटा लें!

बाघों की निरंतर घटती संख्या पर नियंत्रण पाने, बाघों की प्रजाति की सुरक्षा एवं संरक्षण को ध्यान में रखते हुए को प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के माध्यम से हम एक ऐसे सुनहरे भविष्य के लिए सक्रियता के साथ कार्य कर सकते हैं. जहां मनुष्य और बाघ शांति से रह सकें.

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस का इतिहास!

सर्वप्रथम 2010 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया गया था, क्योंकि पिछली शताब्दी तक जंगली बाघों की संख्या में लगभग 97 फीसदी बाघों में कमी पाई गई थी, जिनमे केवल 3,000 बाघ शेष बताये गए थे, और इसमें भी लगातार गिरावट जारी है. इसी बात को ध्यान में रखकर साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में बाघ सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें हर वर्ष 29 जुलाई को बाघ दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था.

बाघों की आबादी वाले 13 टाइगर रेंज देशों ने शिखर सम्मेलन के दौरान 2023 तक अपने देश के बाघों की आबादी को दोगुना करने की प्रतिबद्धता जताई अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस शुरू करने का मुख्य उद्देश्य बाघों की कम होती संख्या में निरंतर कम होने से रोकना है. कई शोधों के बाद पाया गया कि पर्यावास का नुकसान, जलवायु परिवर्तन, मनुष्य और बाघों के बीच संघर्ष एवं अवैध शिकार जैसे कई कारण हैं, जिसके कारण बाघों की संख्या में कम हो रही है. अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का उद्देश्य इनके संरक्षण के साथ-साथ, उनके आवासों (वनों) की सुरक्षा और बाघों की संख्या में विस्तार करना है.

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस महत्व!

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस सेलिब्रेशन का मुख्य उद्देश्य जंगल में बाघों के आवास संरक्षण और विकास की आवश्यकता के बारे में दुनिया भर में जन जागरण करना था.. यहां बता दें कि अवैध शिकार और निरंतर वनों की कटाई के कारण दुनिया भर के कई देशों में बाघों की संख्या में काफी गिरावट आई है. साल 2023 तक इस शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधित्व करने वाले कई देशों की सरकारों को बाघों की संख्या दोगुनी होने की उम्मीद जताई है.

बाघों से संबंधित 10 रोचक फैक्ट!

* बाघ की दहाड़ लगभग तीन किमी दूर तक सुनी जा सकती है.

* प्रत्येक बाघ की धारियां एक दूसरे से भिन्न होती हैं.

* किसी समय में बाघ की कुल आठ उप-प्रजातियाँ थीं, लेकिन 20वीं सदी में तीन विलुप्त हो गईं.

* बाघ हमेशा अकेले रहते हैं और अपने प्रतिद्वंद्वियों को दूर रखने के लिए आक्रामक रूप से क्षेत्रों को सूंघते हुए चलते हैं.

* एक युवा बाघ 65 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकते हैं.

* बाघ बहुत अच्छे तैराक भी होते हैं.

* बाघ दुनिया की सबसे बड़ी जंगली बिल्लियां हैं. इनका वजन लगभग 363 किग्रा हो सकता है.

* बाघ पेड़ों पर भी चढ़ सकते हैं.

* बाघ के बच्चे अंधे पैदा होते हैं. लेकिन जन्म के 6-8 सप्ताह बाद स्पष्ट दृष्टि प्राप्त कर लेते हैं.

* जंगल में बाघ का औसत जीवन काल लगभग 11 वर्ष होता है