International Nurses Day 2021: सेवा भाव की जिंदा मिसाल हैं नर्स! जानें 12 मई को ही क्यों मनाते हैं, अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस?
अन्तराष्ट्रीय नर्स दिवस की शुभकामनाएं (Photo Credits: File Image)

एक डॉक्टर और मरीज के बीच नर्स की भूमिका एक सूत्रधार की होती है. डॉक्टर रोगी का रोग तभी ठीक कर पाता है, जब नर्स मरीज की अपने स्नेहिल स्पर्श से उसकी पीड़ा कम करती है. नर्स कभी भी अपने कार्य को व्यवसायिक नजरिये से अंजाम नहीं देती, वह अपना कार्य सच्ची सेवा भाव, समर्पण और स्नेह के साथ करती है, मरीज के साथ उसका भावनात्मक जुड़ाव होता है. विकट से विकट मरीज की सेवा करते हुए कभी भी उसके मन में मरीज के प्रति घृर्णित या अस्पर्श्यता के भाव नहीं आते. आज जब पूरी दुनिया कोविड जैसे खतरनाक संक्रमण से जूझ रही है, एक नर्स ही कोविड मरीज के सबसे ज्यादा करीब रहकर उसकी सेवा करती है, बिना खुद की परवाह किये. मरीज को स्वस्थ करके घर भेजते समय सबसे ज्यादा खुशी उसके चेहरे पर ही देखी जाती है. नर्सों के इसी सेवा भाव को सम्मानित करने एवं उनके कार्यों की सराहना करने हेतु हम हर वर्ष 12 मई को अंतराष्ट्रीय नर्स दिवस (International Nurses Day) मनाते हैं. आइये जानें अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 12 मई के दिन ही क्यों मनाई जाती है, और इसे मनाने का मूल मकसद क्या है.

इतिहास!

साल 1953 में अमेरिकी स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण विभाग के एक अधिकारी डोरोथी सदरलैंड ने राष्ट्रपति ड्वाइट डी आइजनहावर से ‘नर्स दिवस’ मनाने का प्रस्ताव रखा था. उस समय इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली, लेकिन साल 1965 में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स (ICN) द्वारा इस दिन को बड़े धूमधाम के साथ सेलीब्रेट किया गया. अंततः जनवरी 1974 में राष्ट्रपति द्वारा आधिकारिक रूप से 12 मई को ‘इंटरनेशनल नर्स डे’ के रूप में मनाने की घोषणा की गई. 12 मई को इसलिए क्योंकि इसी दिन फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म हुआ था, जिन्हें आधुनिक नर्सिंग का संस्थापक माना जाता है. गौरतलब है कि 8 मई 1998 से भारत में भी राष्ट्रीय छात्र नर्स दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी. यह भी पढ़ें : Ramazan Eid 2021: ईद की खुशियां हजार! जानें क्यों मनाया जाता है यह त्यौहार!

फ्लोरेंस नाइटिंगेल का परिचय!

फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म 12 मई 1820 में हुआ था. उन्हें आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक दार्शनिक के रूप में जाना जाता है. वे ‘लेडी विद द लैंप’ के नाम से भी काफी लोकप्रिय हैं. फ्लोरेंस नाइटिंगेल ब्रिटिश नर्स, सांख्यिकीविद और समाज सुधारक थीं, जो आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक दार्शनिक थीं. क्रीमियन युद्ध के दौरान, उन्हें तुर्की में नर्सिंग ब्रिटिश एवं सैनिकों का प्रभारी बनाया गया था. वे पूरी-पूरी रात युद्ध में घायल मरीजों की सेवा एवं देखभाल करती थीं. कहा जाता है कि युद्ध में घायल सैनिकों की तलाश में वह हाथ में दीपक लेकर रात-रात भर घूमती थी, इसीलिए उन्हें ‘लेडी विद द लैंप’ की उपाधि मिली थी. उनके अथक प्रयासों से 1860 में पहली बार लंदन स्थित सेंट थोमा अस्पताल में नाइटिंगेल स्कूल ऑफ़ नर्सिंग शुरु किया गया. यहां दाइयों एवं नर्सों के लिए प्रशिक्षण शिविर शुरु किया जाता था.

कैसे मनाया जाता है?

प्रत्येक वर्ष 12 मई के दिन लंदन के वेस्टमिंस्टर एब्बे में एक कैंडल लैंप सेवा का आयोजन किया जाता है. यह कैंडल लैंप एक नर्स से दूसरी नर्स को सौंपा जाता है, इसके पीछे तथ्य यह है कि इस ज्ञान को एक नर्स से दूसरी नर्स के पास भेजा जाता है. वस्तुतः सेंट मार्गरेट चर्च में ही फ्लोरेंस नाइटिंगेल को दफन किया गया था, उनके जन्म-दिन के उपलक्ष्य में इसी चर्च में एक विशाल समारोह का आयोजन किया जाता है. अमेरिका और कनाडा में पूरे सप्ताह इसे राष्ट्रीय नर्सिंग सप्ताह के रूप में मनाया जाता है. ऑस्ट्रेलिया में भी भिन्न-भिन्न तरीकों से इस दिन का आयोजन किया जाता है. इस पूरे सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का प्रदर्शन किया जाता है. इस अवसर पर शैक्षिक संगोष्ठी, विभिन्न सामुदायिक कार्यक्रम, वाद-विवाद, डिबेट्स आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस दिन अस्पतालों एवं क्लीनिक में कार्यरत नर्सों को पुष्प-गुच्छ, गिफ्ट देकर उनके लिए डिनर का आयोजन किया जाता है. इस कार्यक्रम में उन्हें डॉक्टर्स, प्रशासकों एव रोगियों द्वारा सम्मानित किया जाता है.