भाषाई, सांस्कृतिक विविधता एवं बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day) मनाया जाता है. इस दिन दुनिया भर में लोग सोशल मीडिया, वर्कशॉप एवं विभिन्न आयोजनों के माध्यम से लोग अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को सेलिब्रेट करते हैं, ताकि उस मातृभाषा के महत्व को परिभाषित किया जा सके, जो एक बच्चा अपनी माँ से सीखा है. आइये जानें क्यों और कैसे मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस एवं क्या है इसका महत्व एवं इतिहास...
क्या है मातृभाषा?
एक बच्चा अपने माता-पिता से जो पहली भाषा सीखता है, वास्तव में वही मातृभाषा होती है, इसके अलावा आपने अपने पूर्वजों से जो भाषा सीखी है, वह भी आपकी मातृभाषा हो सकती है. बहुत संभव है कि आपकी मातृभाषा आपकी राज्य भाषा या क्षेत्रीय भाषा से अलग हो सकती है और एक से अधिक भी हो सकती है. आपकी मातृभाषा, लेकिन आपकी मुख्य मातृभाषा हमेशा वही होती है, जो आपके परिवार के सदस्य घर में प्रयोग किया जाता है. यह भी पढ़ें :Chatrapati Shivaji Maharaj Anniversary Celebration: दिल्ली में महाराष्ट्र सदन में गाजे- बाजे के साथ मनाई गई शिवाजी महाराज जयन्ती, देखें वीडियो
बांग्लादेश से उपजा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस!
साल 1952 में ढाका विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बांग्ला मातृभाषा के अस्तित्व के लिए धरना प्रदर्शन शुरू किया था. देखते-देखते यह प्रदर्शन इतना उग्र हुआ कि तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई, जिसमें बेहिसाब लोगों की जानें गई. बांग्लादेश सरकार के अस्तित्व में आने के बाद बांग्लादेश सरकार ने यूनेस्को के सामने एक प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव के बाद 17 नवंबर, 1999 को यूनेस्को ने निर्णय लिया कि 1952 में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों की याद में 21 फरवरी को संपूर्ण विश्व में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जायेगा. बांग्लादेशी इस दिन शहीदों की स्मृति में बने स्मारक पर संवेदना और सम्मान व्यक्त करते हैं.
भारत में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मायने!
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के संदर्भ में भारत की भूमिका विशेष मायने रखती है, क्योंकि बहुभाषी राष्ट्र होने के नाते मातृभाषाओं के प्रति भारत का उत्तरदायित्व ज्यादा मायने रखता है. भारत में दुनिया की तुलना में द्विभाषिकता और बहुभाषिकता का बहुत ज्यादा प्रचलन है. भारत में मातृ भाषाओं को लेकर विवाद होते रहते हैं, खासतौर पर भाषायी द्वंद्व राजभाषा हिंदी और देश की अन्य शेष भाषाओं के बीच बना रहता है. गैर हिंदी भाषियों का हमेशा आरोप रहता है कि उन पर हिंदी थोपी जाती है. वहीं हिंदी भाषा भी देश की अन्य भाषाओं को सीखने के प्रति न तो रुझान दिखाते हैं और ना ही उसके प्रति उनका कोई इमोशन देखने को मिलता है. अगर ऐसा हो जाये तो भारतीय भाषाओं के बीच लोगों वैमनस्य समाप्त किया जा सकता है.
अंतरराष्ट्रीय के प्रमुख तथ्य!
* संयुक्त राष्ट्रसंघ की मानें तो प्रत्येक दो सप्ताह में एक स्थानीय भाषा लुप्त हो रही है. लुप्त होती भाषाओं के साथ एक पूरी सांस्कृतिक एवं बौद्धिक विरासत भी खत्म हो जाती है.
* मातृभाषाओं के लुप्त होने में एक प्रमुख वजह है बेहतर रोजगार के लिए लोगों का विदेशी भाषाओं के पीछे भागना भी है. इस होड़ में मातृभाषाएं क्रमशः लुप्त होती जा रही हैं.
* एक कड़वा सत्य है कि विभिन्न वजहों से दुनिया भर की 6 हजार भाषाओं में से 43 भाषाएं अपना अस्तित्व खत्म कर चुकी हैं.
* आज डिजिटल भाषा का दौर है, हैरानी की बात यह है कि हजारों भाषाओं में डिजिटल दुनिया में कुल मिलाकर सौ भाषाएं भी नहीं हैं.