Importance of Navami in Sharad Navratri 2023: नवरात्रि नवमी पर क्यों होती है, दुर्गा-बलि, आयुध-पूजा, एवं नवमी-हवन? जानें इनका महात्म्य और पूजा-विधान!
Sharad Navratri Pooja 2023, Day-1

सनातन धर्म में नौ रातों का महान पर्व नवरात्रि माँ दुर्गा को समर्पित होता है, जो देवी की गहन भक्ति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है. नौ दिवसीय इस पर्व के दौरान कई अनुष्ठान एवं समारोहों के आयोजन किये जाते हैं, इनमें प्रमुख है, मां दुर्गा को पशु-बलि, आयुध-पूजा एवं महानवमी-हवन इत्यादि. आइये जानते हैं इन अनुष्ठानों का विधान एवं महात्म्य आदि के बारे में विस्तार से..

दुर्गा बलिदान

दुर्गा बलिदान का आयोजन पशु-बलि के रूप में किया जाता है. नवरात्रि के नवें दिन यानी नवमी को एक अनुष्ठान के रूप में दुर्गा जी को पवित्र भेंट के रूप में पशु की बलि दी जाती है. यह आयोजन बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में किया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार निम्नलिखित शुभ मुहूर्त के अनुरूप देवी को बलि दी जाती है. यह प्रक्रिया बड़े विधि-विधान से की जाती है. यह भी पढ़ें : Chandra Grahan 2023: क्यों उठ रहे हैं साल के अंतिम चंद्र ग्रहण पर? जानें इसके बारे में विस्तार से!

बलि के लिए शुभ मुहूर्तः 13.13 AM से 15.28 AM (23 अक्टूबर 2023, सोमवार)

कुल अवधि 2 घंटे 15 मिनट

बलि का महत्व

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार शारदीय नवरात्रि की नवमी को माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध करके बुराई पर अच्छाई की जीत की कहावत चरितार्थ किया था. माँ दुर्गा के क्रोध को शांत करने के लिए उन्हें बकरे की बलि चढ़ाई जाती है. मान्यता है कि दुर्गा बलिदान पर्यावरण को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक ऊर्जा से नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव से मुक्त करता है.

आयुध पूजा

आयुध पूजा नवरात्रि का ही एक विशेष अनुष्ठान है. यह पूजा भी शारदीय नवरात्रि के दिन आयोजित किया जाता है. इस दिन लोग हथियारों के अलावा अपने अन्य उपकरणों एवं वाहनों की भी पूजा करते हैं. इस वर्ष यह पूजा हिंदू पंचांग के अनुसार निम्नलिखित मुहूर्त पर किया जाएगा.

आयुध पूजा का विजय मुहूर्तः 01.58 PM से 02.43 PM तक

कुल अवधि 45 मिनट

शस्त्रों की पूजा का महत्वः

आयुध, औजारों एवं यंत्रों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक है, जो लोगों को आजीविका कमाने के योग्य बनते हैं. इनमें प्रमुख है अस्त्र-शस्त्र, कृषि उपकरण, मशीनरी एवं वाहन इत्यादि. इन वस्तुओं की पूजा का तात्पर्य इसकी सफलता और सुरक्षित संचालन के लिए देवी से प्रार्थना करना है.

नवमी होम

नवरात्रि में नौ दिन व्रत रखने वाले अथवा जिन घरों में कलश-पूजन होता है, वहां नवमी के दिन होम अथवा हवन करने के बाद ही पूजा के पूर्ण प्रतिफल प्राप्त होते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार नवरात्रि की नवमी को निम मुहूर्त पर किया गया हवन लाभकारी सिद्ध होता है.

नवमी हवन के लिए मुहूर्त: 06.27 AM से 05.44 PM तक

कुल अवधि: 11 घंटे 17 मिनट

नवमी होम का महत्व:

हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी पूजा-पाठ में हवन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. नवमी का होम अग्नि के माध्यम से ईश्वर से जुड़ने का तरीका होता है, इसके अलावा यह देवी के प्रति भक्ति एवं समर्पण का एक रूप है. मान्यता है कि अग्नि भक्त की प्रार्थनाओं को परमात्मा तक ले जाती है.