Shardiya Navratri 2024:चैत्र अथवा आश्विन नवरात्रि के अवसर पर बहुत से लोग माँ दुर्गा के प्रति असीम निष्ठा एवं समर्पण भाव से नौ दिन का उपवास रखते हैं. अष्टमी को हवन एवं कन्या-पूजन के पश्चात वे व्रत का पारण करते हैं. लेकिन कभी-कभी अपरिहार्य कारणवश व्रत भंग हो जाता है.
उदाहरणार्थ गलती से सादा नमक खा लिया, प्रसाद स्वरूप अनजाने में अन्न-ग्रहण कर लिया हो, अथवा अचानक स्वास्थ्य में कुछ उलटफेर हो जाए. ऐसा होने पर बहुत से लोगों के मन में नकारात्मकता के भाव आ जाते हैं, अरे! अब तो माँ दुर्गा के कोप का भाजन बनना पड़ेगा. वे निरुत्तर हो जाते हैं कि अब क्या करें. अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ हुआ है तो ये सुझाव आपके लिए महत्वपूर्ण हैं. ये भी पढ़े:शारदीय नवरात्रि 2024: शुभकामनाएं, घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, मां शैलपुत्री की आरती, कथा और दुर्गा चालीसा समेत पूरी जानकारी
स्वयं के भीतर धैर्यपूर्वक सकारात्मक सोच लाएं
अगर किसी गलती अथवा डॉक्टर के सुझाव पर आपने कुछ ऐसा खा लिया हो, और आपको लगता है कि आपका व्रत भंग हो गया है, तो आप मन में नकारात्मकता न लाएं. हर धर्म में इस बात का विकल्प है, लिहाजा ज्यादा न सोचें. सनातन धर्म में उल्लेखित है कि हर गलती का वैकल्पिक सुधार है. आप माँ भगवती के सामने छमा याचना करें, और अपना उपवास जारी रखें.
आपको अपनी ऊर्जा के साथ शुद्ध भावनात्मक संबंध को बहाल रखना जरूरी हैं, जिस पर आप विश्वास करते हैं. ऐसा अक्सर लोगों के साथ होता है. चिंता न करें. कुछ सुधार और सोच में बदलाव के साथ आप पुनः उसी आस्था और निष्ठा के साथ जुड़ जाएंगे. आपके मन में स्वमेव सकारात्मक एवं भक्तिपूर्ण ऊर्जा उत्पन्न होगी. सुझाव स्वरूप यहां कुछ उपाय प्रस्तुत हैं.
कुछ कारगर उपाय
प्रायश्चित: व्रत भंग होने के बाद, मन में श्रद्धा के साथ प्रायश्चित करें. माँ भगवती से क्षमा याचना करें. गलतियों को सुधारने का प्रयास करें.
व्रत पुनः करें प्रारंभः यदि संभव हो, तो व्रत को पुनः आरंभ करने की कोशिश करें. मन में दृढ़ संकल्प एवं सकारात्मक सोच के साथ अगले दिन से पुनः व्रत का पालन करें.
भक्ति भाव: व्रत भंग होने की स्थिति में नकारात्मक भाव लाए बिना भक्ति और उपवास जारी रखें. देवी-देवताओं की पूजा करें. माँ भगवती प्रसन्न होंगी.
माँ भगवती का स्मरण: व्रत भंग होने पर माँ दुर्गा का ध्यान करें और उन्हें अपनी स्थिति बताएं. इससे मन को शांति मिलेगी.
सकारात्मक सोच: अपने मन को सकारात्मक रखें और सोचें कि हर दिन एक नई शुरुआत है. और उसी सकारात्मकता और सच्ची निष्ठा के साथ व्रत का पालन करें.
शीघ्र ही आप उसी उत्साह, श्रद्धा और आस्था के साथ जुड़ा महसूस करने लगेंगे.