Coronavirus Vaccine: कोरोना संकट (Corona Crisis) के बीच एक अच्छी खबर सामने आ रही है. जी हां, देश के पहले कोरोना वायरस (Coronavirus Vaccine) की देसी वैक्सीन कोवैक्सिन (Covaxin) का मानव परीक्षण (Human Trial) इस हफ्ते से शुरू हो जएगा. दरअसल, इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (Indian Council for Medical Research) यानी आईसीएमआर (ICMR) ने भारत बायोटेक (Bharat Biotech) के साथ मिलकर संयुक्त साझेदारी में कोवैक्सिन (Covaxin) नामक भारत का अपना कोविड-19 वैक्सीन (COVID-19 Vaccine) विकसित किया है. पहले चरण के ट्रायल में 375 लोगों पर और दूसरे चरण के ट्रायल में 750 लोगों पर इस वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा. कुल मिलाकर 1000 से भी ज्यादा लोगों पर इस कोवैक्सिन का मानव परीक्षण किया जाएगा. स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण के ट्रायल के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (Drug Controller General of India) यानी डीसीजीआई (DCGI) से मंजूरी मिली है.
आईसीएमआर द्वारा चुने गए 12 मेडिकल संस्थानों में शामिल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान पटना (AIIMS Patna) इस सप्ताह इस वैक्सीन का क्लिनिकल ह्यूमन ट्रायल शुरू करेगा. इस सप्ताह की शुरूआत में एम्स पटना के अधीक्षक डॉ. सीएम सिंह ने कहा था कि क्लिनिकल ट्रायल अगले दो दिन में शुरू होंगे और वे अन्य प्रक्रियाओं से संबंधित कुछ दिशानिर्देशों व औपचारिकताओं को पूरा करने की प्रक्रिया में हैं.
यहां खुशी की बात यह भी है कि इस वैक्सीन का जानवरों पर परीक्षण सफल रहा है और अब इस वैक्सीन का मानव परीक्षण शुरु होने वाला है. हालांकि क्लिनिकल ट्रायल की अनुमानित समय सीमा 6 से 8 महीने होने की उम्मीद है. वहीं इस वैक्सीन के परिणामों को तेजी से सुनिश्चित करने के लिए आईसीएमआर द्वारा चुने गए चिकित्सा संस्थानों को क्लिनिकल ट्रायल तेजी से ट्रैक करने और इसे अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता वाली परियोजना बनाने के लिए निर्देश दिया गया है. बता दें कि इससे पहले हैदराबाद स्थित निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (NIMS) ने कहा था कि उन्होंने मानव परीक्षण के पहले चरण के लिए प्रतिभागियों के नामांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह भी पढ़ें: कोरोना महामारी: ICMR के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रमन आर गंगाखेडकर से जानें कोवैक्सिन के ट्रायल से जुड़ी खास बातें
इस वैक्सीन का कोडनेम BBV152 है. कोवैक्सिन एक निष्क्रिय टीका है, जिसे SARS-CoV-2 के मृत कणों के साथ बनाया गया है, जो उन्हें संक्रमित या प्रतिकृति से अक्षम करता है. एक बार जब यह टीका स्वस्थ व्यक्तियों में इंजेक्ट किया जाता है तो इससे शरीर में वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन होने लगता है.
परीक्षण 22 से 50 साल की उम्र के बीच के स्वस्थ्य लोगों पर किया जाएगा. यहां तक कि ग्लोबल क्लिनिकल ट्रायल अपने वैक्सीन के ट्रायल के लिए लगभग एक ही उम्र के लोगों का चयन कर रहे हैं, जो चिंता का विषय हो सकता है. फिलहाल यह देखा जाना बाकी है कि अगर यह टीका कम उम्र के लोगों पर काम करता है तो वृद्ध लोगों पर भी काम करेगा या नहीं.