Bipolar Disorder: बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है? आखिर क्यों इससे पीड़ित रोगी का बार-बार बदलता है मूड, जानें इस रोग के लक्षण और बचाव के तरीके
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

Bipolar Disorder: बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की रहस्यमय मौत के मामले में पहले बताया जा रहा था कि वे डिप्रेशन (Depression) से जूझ रहे थे, वहीं एक मनोचिकित्सक ने हाल ही में खुलासा करते हुए बताया था कि सुशांत सिंह बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) के शिकार थे, जिसके बाद उनकी मौत की गुत्थी और उलझ गई. दरअसल, बाइपोलर डिसऑर्डर एक गंभीर मानसिक बीमारी (Mental Health Problem) है, जिससे पीड़ित व्यक्ति का मूड़ बार-बार बदलता (Mood Swings) है. इससे पीड़ित व्यक्ति एक पल के लिए बेहद खुश नजर आता है और दूजे ही पल वो बेहद उदास हो जाता है, यहां तक कि रोगी के मन में आत्महत्या जैसे ख्याल भी आने लगते हैं. यह किसी लाइलाज बीमारी से कम नहीं है. चलिए जानते हैं कि बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है? इसके लक्षण क्या है और इससे बचाव के तरीके...

क्या है बाइपोलर डिसऑर्डर?

बाइपोलर डिसऑर्डर एक ऐसी जटिल मानसिक बीमारी है, जिससे पीड़ित रोगी का मन लगातार कई महीनों या हफ्तों तक उदास रहता है या फिर वो बहुत ज्यादा खुश और उत्साहित रहता है. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का मूड़ बारी-बारी से दो अलग और विपरित अवस्थाओं में परिवर्तित होता रहता है. यहां तक कि कई बार व्यक्ति चाहकर भी अपने व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रख पाता है. बाइपोलर डिसऑर्डर एक प्रकार का मूड डिसऑर्डर है, जिसे उन्माद और हाइपोमेनिया के रूप में समझा जा सकता है. इससे पीड़ित मरीज कभी-कभी खुद को इतना ऊर्जावान महसूस करते हैं कि उन्हें बहुत सारा काम करने के बाद भी थकान महसूस नहीं होती है और कभी-कभी व्यक्ति खुद को ऊर्जाहीन व उदास महसूस करता है.

बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण

बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्‍या ज्यादातर उन लोगों में पाई जाती है, जो डिप्रेशन से बाहर आने के लिए शराब व नशीली दवाओं का उपयोग करते हैं. ऐसे लोग शराब के इस्तेमाल से डिप्रेशन से बाहर तो नहीं आ पाते हैं, लेकिन वे बाइपोलर डिसऑर्डर के शिकार हो जाते हैं. इससे पीड़ित मरीज में कुछ इस तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं. यह भी पढ़ें: सामान्य से दिखने वाले ये लक्षण हैं मानसिक विकार के संकेत, जानें और समय रहते कराएं अपना इलाज

  • नींद न आने की शिकायत होना
  • डिप्रेशन और थकान की समस्या
  • स्वभाव में चिड़चिड़ापन व पागलपन
  • सोचने में परेशानी महसूस होना
  • किसी काम को अच्छे से न कर पाना
  • एनर्जी की कमी महसूस होना
  • हमेशा अपने ख्यालों में खोए रहना
  • दिमाग में चल रही बातों पर काबू न रहना
  • बेकार की चीजों पर बहुत पैसे खर्च करना
  • खाना बहुत कम खाना और चिड़चिड़ापन
  • बेवजह की चीजों को लेकर दुखी होना

इन बातों का रखें ख्याल

बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को हाइपोमेनिक या अवसादग्रस्तता के दौरान मदद की आवश्यकता होती है. उनके मानसिक स्वास्थ्य की जांच करके, फैमिली फोकस्ड थेरेपी के जरिए रोगी की मदद की जा सकती है. इसके अलावा उन्हें कुछ ऐसी दवाएं दी जाती हैं, जिससे रोगी के मूड को सही रखने में मदद मिलती है. मरीज को अपने मेंटल हेल्थ में सुधार लाने के लिए इन बातों का ख्याल रखना चाहिए.

बाइपोलर डिसऑर्डर का सबसे मुख्य कारण तनाव है, इसलिए रोगी को सलाह दी जाती है कि तनाव कम से कम लें. नशीले पदार्थों के सेवन से परहेज करें, क्योंकि सिगरेट या शराब का सेवन करना तनाव को कम करने के बजाय उसे बढ़ा सकता है. अपने डेली रूटीन में व्यायाम करने की आदत को शामिल करें. नियमित व्यायाम करना रोगी के लिए एक बेहतर उपाय है.

इसके अलावा अपने खान-पान पर ध्यान दें, क्योंकि असंतुलित डायट रूटीन आपके तनाव को बढ़ा सकता है. इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को नींद की समस्या हो सकती है, इसलिए समय पर सोने की आदत डालें. अपने दिमाग को सकारात्मक रखने की कोशिश करें और नकारात्मक विचारों को अपने दिमाग में घर न करने दें.