नई दिल्ली, 26 अगस्त : सोडा, फ्रूट पंच और नींबू पानी जैसे अत्यधिक मीठे पेय पदार्थों का सेवन करने वालों को लेकर विशेषज्ञों ने कहा है कि इससे दांतों में इंफेक्शन, किडनी और हृदय रोग जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. 'शुगर-स्वीटेड बेवरेज' (एसएसबी) ऐसे पेय पदार्थ हैं जिनमें अतिरिक्त चीनी या अन्य स्वीटनर होते हैं, जिसमें हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप (एचएफसीएस), सुक्रोज या फ्रूट जूस कंसंट्रेट, नॉन-डाइट सोडा, फ्लेवर्ड जूस, एनर्जी ड्रिंक, मीठी चाय और कॉफी आदि शामिल हैं.
वडोदरा के भाईलाल अमीन जनरल हॉस्पिटल में कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. मनीष मित्तल ने आईएएनएस को बताया, "ये स्वीटनर एक बड़ी चिंता का विषय हैं जो मोटापा और मधुमेह जैसी कई स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकते हैं. इसके साथ ही इसके हार्ट और किडनी पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं.'' दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के लीड कंसल्टेंट डॉ. नरेंद्र सिंघला ने कहा कि फ्रुक्टोज, हाई फ्रुक्टोज कॉर्न और ब्राउन शुगर जैसे पदार्थ "मोटापे, टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाते हैं." यह भी पढ़ें : Microplastics: माइक्रोप्लास्टिक्स का मानव मस्तिष्क पर आक्रमण, शोधकर्ताओं ने वैश्विक आपातकाल का किया आह्वान
उन्होंने कहा, '' चीनी की अतिरिक्त मात्रा वजन बढ़ाने के साथ सूजन और इंसुलिन प्रतिरोधकता पैदा कर सकती है. इन जोखिमों को रोकने के लिए, बिना चीनी वाले पेय पदार्थों का सेवन करें और चीनी युक्त पेय पदार्थों का सेवन दैनिक कैलोरी की आवश्यकता के हिसाब से 10 प्रतिशत से कम रखें.'' अमेरिका में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि चीनी युक्त पेय पदार्थों के अधिक सेवन से हृदय संबंधी रोग की घटनाओं और मृत्यु दर में भी वृद्धि हो सकती है. खासकर यह मधुमेह रोगियों के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है.
डॉ. मित्तल ने कहा, “चीनी-मीठे पेय पदार्थों का लंबे समय तक सेवन हृदय स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है. मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी मौजूदा बीमारियों से पीड़ित लोग अगर इन पेय पदार्थों का रोजाना सेवन करते हैं तो वे अधिक प्रभावित होंगे. अगर किसी व्यक्ति को पहले से ही मधुमेह है और फिर भी वह इन मीठे पदार्थों का सेवन कर रहा है, तो मधुमेह स्वाभाविक रूप से नियंत्रण से बाहर हो जाएगा.''
डॉक्टर ने कहा, “यहां तक कि चीनी-मुक्त सप्लीमेंट्स का सेवन भी उतना ही हानिकारक है और इसके दुष्प्रभाव भी समान हैं और यह पेट के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है.” सिंघला ने फलों और सब्जियों जैसे मिठास के प्राकृतिक स्रोतों को चुनने और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में मिली हुई शर्करा के प्रति सचेत रहने का सुझाव दिया है. इसके साथ ही विशेषज्ञों ने बेहतर स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार और नियमित शारीरिक गतिविधि अपनाने को कहा है.