Ganeshotsav 2019: अष्टविनायक के स्वरूपों में चौथा है महागणपति, जानिए क्यों पड़ा था बाप्पा का ये नाम
महागणपति, (फोटो क्रेडिट्स: Twitter)

Ganeshotsav 2019: गणेशोत्सव का त्योहार चल रहा है, पूरी मुंबई बाप्पा के रंग में रंगी हुई है. जगह-जगह पांडाल सजे हुए हैं, बाप्पा के दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा है. हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का त्योहार उनके जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दौरान बाप्पा के अष्टविनायक स्वरूपों की पूजा होती है. अष्टविनायक यानि उनके आठ स्वरूप हैं. प्रतिदिन उनके आठ स्वरूपों के क्रम अनुसार पूजा की जाती है. आज गणेशोत्सव का चौथा दिन है, यानी आज उनके महागणपति स्वरूप की पूजा की जाएगी. महागणपति मंदिर पुणे अहमदनगर मार्ग में शिरूर जिले में स्थित है. यहां स्थित महागणपति की प्रतिमा स्वयंभू है, यानी इसकी स्थापना किसी ने नहीं की ये खुद ही प्रकट हुई थी. पौराणिक कथानुसार त्रिपुरासुर नमक दैत्य को भगवान ने शक्ति प्रदान की थी, जिसके बाद वो अपनी शक्ति का बुरा प्रयोग करने लगा. वो स्वर्गलोक और पृथ्वीलोक के लोगों को परेशान करने लगा. उसने इतनी अति कर दी थी कि भगवान शिव को गणपति से उसका वध करवाना पड़ा. शक्तिमान दैत्य का वध करने के बाद उन्हें महागणपति कहा जाने लगा. बाप्पा के अष्टविनायक स्वरूपों में से महागणपति का रूप सबसे ज्यादा शक्तिमान है.

महागणपति को त्रिपुरारी महागणपति के रूप में भी जाना जाता है. भगवान श्री गणेश जी के सभी आठ प्रमुख मंदिरों में से एक महागणपति जी का मंदिर भी है. यह मंदिर पुणे के रांजणगांव में स्थित है. श्री महागणपति जी का मंदिर पुणे अहमदनगर राजमार्ग पर 50 किलोमीटर की दूरी पर है. महागणपति जी मंदिर का इतिहास 9वीं व 10वीं सदी के बीच का जाना जाता है.

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शुरूआत में इस स्थान को मणिपुर के नाम से जाना जाता था, पर आज इसे लोग रांजणगांव कहते हैं. महागणपति की ये प्रतिमा दाई सूंड वाली है और कमल के आसन पर विराजमान है. माधवराव पेशवा काल में यहां मंदिर का निर्माण किया गया.