Ganeshotsav 2019: गणेशोत्सव का आज दूसरा दिन है, घरों और पंडालों में रौनक है, ऐसे में बाप्पा के दर्शन के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है. चारों ओर गणपति मंत्र और गीत बजाए जा रहे हैं. ये सिलसिला मुंबई और महाराष्ट्र में पूरे दस दिन तक चलेगा. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को सोमवार में मध्याह्न काल यानी दोपहर के समय में हुआ था. इसलिए चतुर्थी के दिन ही बाप्पा की स्थापना की जाती है और दस दिन तक पूजा आराधना के बाद गाजे-बाजे के साथ उनका विसर्जन कर दिया जाता है. भगवान गणेश के आठ स्वरूप हैं, इसलिए इन्हें अष्टविनायक कहा जाता है. बाप्पा के अष्टविनायक स्वरूपों के मंदिर पुणे में स्थित हैं. ये सभी मंदिर स्वयं प्रकट हुए हैं, इनकी किसी ने स्थापना नहीं की इसलिए ये स्वयं भू कहलाते हैं. आज गणेशोत्सव का दूसरा दिन है, इसलिए आज उनके दूसरे स्वरूप श्री चिंतामणि की पूजा की जाएगी. बाप्पा के इस स्वरूप को चिंतामणि इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वो अपने भक्तों की सारी चिंताओं को हर लेते हैं. श्री चिंतामणि मंदिर पुणे के थेऊर में हवेली क्षेत्र में स्थित है. बाप्पा की चिंतामणि प्रतिमा कदंब वृक्ष के नीचे स्थित है.
मंदिर के पास ही भीम, मुला और मुथा तीन नदियों का संगम है. जिन भक्तों की जिंदगी में दुखों का पहाड़ टूट जाता है या जो लंबे समय से मुश्किल में हैं वो श्री चिंतामणि आकर बाप्पा से अपने सारे दुख हर लेने की प्रार्थना करते हैं. यहां आनेवाला कोई भी भक्त दुखी नहीं जाता है, बल्कि श्री चिंतामणि आकर सबके दुख कम हो जाते हैं. मान्यता है कि सृष्टि के रचेता भगवान ब्रम्हा जब एक बार विचलित हुए थे तो, अपने मन को शांत करने के लिए इसी स्थान पर आकर तपस्या की थी.
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बता दें कि थेऊर का विस्तार पुणे के माधवराव पेशवा ने किया था. पेशवा परिवार गणपति बाप्पा का बहुत बड़ा भक्त है, आज भी पेशवा परिवार के लोग श्री चिंतामणि के दर्शन करने लगातार आते रहते हैं. इस जगह पर बाप्पा खुद प्रकट हुए थे, यहां उनकी कदंब के पेड़ के नीचे स्वयं भू प्रतिमा है. इस जगह जो भी चिंतित भक्त आकर बैठता है उसकी सारी चिंताएं दूर हो जाती है, इसलिए बाप्पा के इस दूसरे स्वरूप को श्री चिंतामणि कहा जाने लगा.