Your Home & Vastu Tips: अपने आवास स्थल को सकारात्मक एवं ऊर्जावान बनाने के लिये अपनाएं ये वास्तु टिप्स!
वास्तु टिप्स (Photo: Wikimedia Commons)

Your Home & Vastu Tips: ज्योतिष शास्त्र वास्तव में विज्ञान ही है. मनुष्य के जीवन पर सितारों, ग्रहों और अन्य खगोलीय पिंडों का गहरा प्रभाव पड़ता है, वहीं वास्तु का प्रभाव मनुष्य के आवास पर पड़ता है, इसमें कोई शक नहीं कि सभी 9 ग्रह, 27 नक्षत्र और 12 राशियां हमारे कार्य स्थल एवं निवास स्थान को गहराई से प्रभावित करती हैं. ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि आपको अपने निवास स्थल एवं कार्यालय की वास्तुकला के संदर्भ में सदा सावधान रहना चाहिए. यहां हमारे वास्तु शास्त्री पंडित रवींद्र पांडेय आपके निवास स्थल को अधिक सकारात्मक और ऊर्जावान बनाने तथा पंचतत्व (आकाश, पृथ्वी, वायु, अग्नि और जल) के अधिक से अधिक लाभ को अवशोषित करने के लिए वास्तु के बारे में कुछ विशेष उपाय बता रहे हैं. यह भी पढ़े: Bedroom Vastu Tips to Improve Sex Life: सेक्स लाइफ को बेहतर बनाने के लिए 7 बेडरूम वास्तु टिप्स

* घर की साज-सज्जा करते समय ध्यान रहे कि आपका आवास रोशनी युक्त हो. इससे घर में सुख एवं समृद्धि आती है, क्योंकि वास्तु शास्त्र के अनुसार सूर्य आत्मकारक होता है और सिंह राशि का शासकीय निवास होता है.

* केतु की उत्तर-पूर्व दिशा के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर सीढ़ी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है, यह स्थिति आपके आवास को कम भाग्यशाली बना सकता है.

* घर में पूजा स्थल यानी का निर्माण बहुत महत्वपूर्ण होता है. इसका सबसे उचित स्थान उत्तर-पूर्व दिशा होता है, क्योंकि यह बृहस्पति की दिशा होती है.

* घर के प्रवेश द्वार पर जूते-चप्पलों के लिए उत्तर एवं पूर्व दोनों ही दिशाएं उपयुक्त होती हैं, यहां जूते के रैक रखने से नकारात्मक ऊर्जा प्रभावित हो सकती है.

* घर में पेंटिंग लगाने का शौक हर किसी को होता है, अगर आप भी ऐसी कुछ योजना बना रहे हैं तो समुद्र, के दृश्य, बहते पानी अथवा समुद्र की कलात्मक पेंटिंग लगाने से आपके जीवन में शुभता आती है.

* आपके आवास में रसोईघर का स्थान दक्षिण पूर्व दिशा होनी चाहिए, क्योंकि वास्तु नियमों के अनुसार अग्नि देव का आधिपत्य भी दक्षिण पूर्व दिशा में होनी चाहिए, तथा खाना बनाने वाले का मुंह पूर्व दिशा में होना चाहिए.

* घर में ऐसी कोई भी तस्वीर लगाने से बचना चाहिए, जिसमें हिंसा दर्शाई गई हो, मसलन महाभारत अथवा किसी अन्य ऐतिहासिक युद्ध की तस्वीरें इत्यादि. इससे नक्षत्रों के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है.

* बृहस्पति ग्रह उत्तर पूर्व दिशा पर शासन करता है, इसलिए मंदिर उत्तर पूर्व दिशा में स्थित होना चाहिए, जबकि देवी-देवताओं और मूर्तियों की तस्वीर पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. इसके साथ ही मंदिर में दिवंगत आत्माओं की तस्वीरें अथवा मूर्तियां नहीं रखना चाहिए.