Happy Vishu 2020: खगोलीय घटना क्रम में सूर्य जब अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो राशि चक्र में आवश्यक परिवर्तन देखने को मिलता है. इसे सौर नववर्ष भी कहते हैं. दक्षिण के अधिकांश प्रदेश खासकर केरल में इसी दिन से नववर्ष का प्रारंभ होता है, और इसी दिवस विशेष पर विषु पर्व मनाया जाता है. केरल प्रदेश का यह मुख्य पर्व माना जाता है. आज 14 अप्रैल (मंगलवार) को विषु पर्व संपूर्ण दक्षिण भारत में मनाया जा रहा है. इस पर्व का आध्यात्मिक संबंध श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु और सूर्यदेव के अलावा रावण से भी है. आइये जानें कैसे मनाते हैं यह पर्व और क्या है इस दिन का विशेष महात्म्य!
आज का दिन संपूर्ण भारत के लिए बहुत खास दिन होता है, क्योंकि आज ही असम में सात दिनों के पर्व ‘बिहु’ की शुरुआत होती है, पंजाब में ‘बैसाखी’, तमिलनाडु में ‘पुथेंदु’ और उड़ीसा में ‘विष्णु संक्रांति’ मनाया जाता है. जबकि उत्तर भारत में गंगा-स्नान और दक्षिण भारत विशेषकर केरला में विषु पर्व परंपरागत तरीके से मनाया जाता है. विषु पर्व पर श्रीविष्णु एवं श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना होती है.
विषु पर्व का महात्म्य
मलयालम पंचांग के अनुसार, इस दिन को केरलावासी नववर्ष के रूप में भी मनाते हैं. इसी दिन से सौर नव वर्ष भी प्रारंभ होता है. इसी दिन सूर्य भी अपनी राशि बदलकर मेष राशि में प्रवेश करता है, यही से वह एक वर्ष के लिए राशिचक्र की यात्रा प्रारंभ करता है. धार्मिक मतों के अनुसार श्रीकृष्ण भगवान ने इसी दिन असुरराज नरकासुर का संहार कर संपूर्ण जगत को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई दिलाई थी. इसलिए इस दिन भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.
ऐसे करते हैं विषु का सेलीब्रेशन
कर्नाटक एवं केरल का मुख्य पर्व होने के कारण इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है. इस दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान कर विषु कानी अर्थात भगवान विष्णु जी का दर्शन एवं पूजन करते हैं. इस दिन श्रद्धालुओं द्वारा भगवान विष्णुजी के लिए दिव्य भोजन का आयोजन किया जाता है. इसमें 26 प्रकार के शाकाहारी पकवान परोसे जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णुजी की झांकी निकाली जाती है. मान्यता है कि आज के दिन विष्णुजी का दर्शन एवं पूजन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन लोग अपने घरों को बिजली की झालर, मोमबत्तियों, फूलों और तोरण से सजाते हैं. बच्चे पटाखे छोडते हैं. लोग एक दूसरे को विषु दिवस की बधाइयां देते हैं.
जब रावण से मुक्ति मिली थी सूर्य को
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार विषु पर्व सूर्य देवता की मुक्ति के रूप में भी मनाया जाता है. मान्यता है कि एक बार लंकाधिपति राक्षसराज रावण ने अपने तपोबल से सूर्य भगवान को पूर्व से निकलने पर रोक लगा दिया था. लेकिन श्रीराम द्वारा रावण का संहार किये जाने के बाद सूर्य देवता को पुनः पूर्व से उदय होने की स्वतंत्रता मिली थी. कहा जाता है कि विषु पर्व मनाने की शुरुआत इसी दिन से हुई थी.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.