Vinayaka Chaturthi March 2019: पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हर चन्द्र माह में दो चतुर्थी होती हैं. इसमें कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं जबकि शुक्ल पक्ष की तिथि को ‘विनायक चतुर्थी’ (Vinayaka Chaturthi) कहते हैं. कहीं-कहीं इस दिन को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दु धर्मग्रन्थों के अनुसार चतुर्थी तिथि (Chaturthi Tithi) को भगवान गणेश (Lord Ganesha) की तिथि माना गया है. विनायक वरद चतुर्थी का उत्सव सिंहस्थ सूर्य, भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी और हस्त-नक्षत्र के योग में होता है.
श्री गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए विनायक या विनायकी चतुर्थी का व्रत और पूजन पूरे विधि-विधान के साथ किया जाता है. इसलिए इस दिन देश के सभी गणेंश मंदिरों में भक्त भारी संख्या में उपस्थित होकर पूजन एवं दर्शन लाभ लेते हैं. अमावस्या के बाद आने वाली हर विनायकी चतुर्थी को श्रीगणेश का पूजन-अर्चन करना परम सौभाग्यशाली एवं लाभदायी माना गया है. इस दिन गणेश की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, और आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि की प्राप्ति भी होती है. इस माह यह पर्व 10 मार्च को पड़ रहा है.
कैसे करें पूजा?
प्रातःकाल उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होने के पश्चात स्नान कर श्री गणेश जी का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प करें. गणेश जी को लाल रंग बहुत पसंद है, हो सके तो श्री गणेश जी की पूजा करने से पहले लाल रंग के वस्त्र पहनें. शास्त्रों के अनुसार विनायक चतुर्थी की पूजा दोपहर के समय किया जाता है. पूजन के पूर्व श्रीगणेश जी की चांदी, पीतल, तांबा अथवा मिट्टी से निर्मित प्रतिमा की स्थापना करें.
इसके पश्चात श्री गणेश जी का षोडशोपचार पूजन कर श्री गणेश जी की आरती उतारें.
आरती के पश्चात श्री गणेश जी की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाएं. अब 'ॐ गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करते हुए 21 दूर्वा दल अर्पित करें. अंत में बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इन्हीं 21 लड्डुओं में से 5 लड्डू श्री गणेश के चरणों में रखें, 5 लड्डू ब्राह्मण को दान दें, और शेष को प्रसाद स्वरूप वितरित करें. यह भी पढ़ें: Magha Ganesh Jayanti 2019: जब असुरों का संहार करने के लिए गणेश जी ने लिए 8 अवतार, जानें इसकी महिमा
विधिवत पूजा से मिलता है पूरा लाभ
विनायक चतुर्थी पर पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करना श्रेयस्कर माना जाता है. मान्यता है कि श्री गणेश जी की पूजा के पश्चात सामर्थ्यनुसार ब्राह्मण को भोजन कराने के पश्चात दक्षिणा देकर ही विदा किया जाता है.
शाम के समय व्रत का पारण करने से पूर्व श्री गणेश चतुर्थी कथा, श्री गणेश स्तुति, श्री गणेश सहस्रनामावली, श्री गणेश चालीसा एवं श्री गणेश पुराण आदि का शांति और ध्यानपूर्वक पाठ करना चाहिए. इसके पश्चात संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश जी की सायंकालीन आरती और 'ॐ गणेशाय नम:' मंत्र के जाप के साथ पूजा सम्पन्न करें. इसके पश्चात ही भोजन ग्रहण करना चाहिए. विधिवत पूजा करने से सभी मनोकामना पूरी होती है,