Vat Savitri Vrat 2022 Wishes in Hindi: वैसे तो विवाहित स्त्रियां साल भर में अखंड सौभाग्य की कामना से कई व्रत करती हैं, जिनमें से वट सावित्री व्रत को ज्येष्ठ मास की अमावस्या (Jyestha Amavasya) तिथि को रखा जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं (Married Women) अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं. इस दिन सावित्री, सत्यवान और वट वृक्ष यानी बरगद के वृक्ष की पूजा की जाती है. इसके साथ ही वट सावित्री व्रत की कथा सुनी जाती है. इस साल वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) का पर्व 30 मई 2022 को मनाया जा रहा है. अमावस्या तिथि 29 मई को दोपहर 02.54 बजे से शुरू हो रही है और समापन 30 मई को शाम 04.59 बजे हो रहा है. ऐसे में वट सावित्री का पर्व 30 मई को मनाया जा रहा है.
वट सावित्री के दिन व्रत रखकर सच्चे मन से वट वृक्ष की पूजा करने से विवाहित महिलाओं को अंखड सौभाग्य और सुखी-वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है. ऐसे में इस अवसर पर व्रत रखने वाली महिलाओं को लोग शुभकामना संदेश भेजकर बधाई भी देते हैं. आप भी इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस को भेजकर वट सावित्री व्रत की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- माथे की बिंदिया चमकती रहे,
हाथों में चूड़ियां खनकती रहे,
पैरों की पायल छनकती रहे,
पिया संग प्रेम बेला सजती रहे.
वट सावित्री की शुभकामनाएं
2- एक फेरा स्वास्थ्य के लिए,
एक फेरा प्रेम के लिए,
एक फेरा दीर्घायु के लिए,
एक फेरा आपके और मेरे,
अटूट सुंदर संबंध के लिए.
वट सावित्री की शुभकामनाएं
3- सुख-दुख में हम तुम,
हर पल साथ निभाएंगे,
एक जन्म नहीं सातों जन्म,
हम पति-पत्नी बन आएंगे.
वट सावित्री की शुभकामनाएं
4- बिना खाए पिए व्रत करना,
प्रेम की अटूट परिभाषा है,
हम यूं ही प्रेम बंधन में बंधे रहें,
मेरे दिल की बस यही आशा है.
वट सावित्री की शुभकामनाएं
5- आपका साथ मुझे जीवनभर मिले,
हर सुख-दुख में आप सदा मेरे संग रहें.
वट सावित्री की शुभकामनाएं
इस व्रत से जुड़ी कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज जब सावित्री के पति सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगते हैं, तब सावित्री भी उनके पीछे चल देती हैं. सावित्री अपने पत्नी धर्म की बात करते हुए कहती हैं कि जहां उनके पति जाएंगे, वहां वह भी जाएंगी. सावित्री के पतिव्रता धर्म से प्रसन्न होकर यमराज उन्हें तीन वर देते हैं, जिसमें सावित्री को 100 पुत्रों की माता होने का भी आशीर्वाद शामिल था. ऐसे में इस वरदान के चलते यमराज को सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े, इसलिए महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करती हैं.