Vat Purnima Vrat 2020: अखंड सौभाग्य का पर्व है वट पूर्णिमा व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा और महत्व
वट पूर्णिमा व्रत 2020 (Photo Credits: File Image)

Vat Purnima Vrat 2020: ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और बिहार (Bihar) में सुहागन महिलाएं (Married Women) वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) का पर्व बहुत श्रद्धाभाव से मनाती हैं. इसके बाद देश के अन्य हिस्सों में ज्येष्ठ पूर्णिमा (Jyestha Purnima) के दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट पूर्णिमा का व्रत रखती हैं. कोरोना वायरस संकट के बीच इस साल वट पूर्णिमा व्रत (Vat Purnima Vrat) का त्योहार 5 जून (शुक्रवार) को मनाया जा रहा है. मान्यता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से वापस लेकर आई थीं. इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और पति की अच्छी सेहत के लिए व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की विधि-विधान से पूजा करती हैं. खासकर महाराष्ट्र और गुजरात में इस पर्व की अनोखी छटा देखने को मिलती है. चलिए जानते हैं वट पूर्णिमा व्रत के लिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और इसका महत्व.

वट पूर्णिमा व्रत शुभ मुहूर्त

वट पूर्णिमा तिथि- 5 जून 2020, शुक्रवार

पूर्णिमा प्रारंभ- 5 जून 2020, सुबह 03.17 बजे से,

पूर्णिमा समाप्त- 6 जून 2020, रात 12.41 बजे तक.

वट पूर्णिमा व्रत विधि

  • ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.
  • स्नान के बाद नए वस्त्र धारण करें और व्रत शुरु करने से पहले सोलह श्रृंगार करें.
  • इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना और पीला सिंदूर लगाना शुभ माना जाता है.
  • पूजन के लिए वट वृक्ष के नीच सावित्री, सत्यवान और यमराज की प्रतिमा स्थापित करें.
  • अब बरगद के पेड़ पर जल चढ़ाएं, फिर पुष्प, अक्षत, फूल और मिठाई अर्पित करें.
  • वट वृक्ष को रक्षा सूत्र बांधकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगे, फिर वृक्ष की सात परिक्रमा करें.
  • परिक्रमा के बाद हाथ में काला चना लेकर वट पूर्णिमा व्रत की कथा सुनें.
  • आखिर में वट वृक्ष और यमराज से घर में सुख, शांति और पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें.
  • कथा पूर्ण होने और पूजन समाप्त होने के बाद पंडित को दान दक्षिणा देनी चाहिए
  • इस दिन किसी सुहागन महिला को सुहाग की सामग्री अर्पित करना शुभ माना जाता है.
  • दिन भर व्रत रखें, शाम को फलाहार करें और अगले दिन इस व्रत का पारण करें. यह भी पढ़ें: Vat Purnima Vrat 2020: वट पूर्णिमा व्रत का पर्व कल, पति की लंबी उम्र के लिए सुहागन महिलाएं इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

वट पूर्णिमा व्रत कथा

वट पूर्णिमा की पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज अपने अनेक यमदूतों के साथ सावित्री के पति सत्यवान के प्राण हरने आ पहुंचे. जब यमराज सत्यवान के प्राणों को लेकर चल दिए तो सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ीं. काफी याचना करने के बाद यमराज ने सावित्री से कहा कि वो अपने पति के प्राणों के अलावा कुछ और मांग सकती हैं. यमराज के ऐसे वचन सुनकर सावित्री ने पति सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनने का वरदान मांगा. यमराज तथास्तु कहकर आगे चलने लगे, लेकिन सावित्री फिर उनके पीछे चलने लगीं.

यह देख यमराज क्रोधित हो जाते हैं, जिसके बाद सावित्री कहती हैं कि आपने मुझे सौ पुत्रों की मां बनने का वरदान को दे दिया, लेकिन बिना पति के मैं मां कैसे बन सकती हूं, इसलिए इस वरदान को पूरा करने के लिए मेरे पति को जीवन दान दीजिए. सावित्री के पतिव्रत धर्म की बात सुनकर यमराज ने सत्यवान के प्राण वापस लौटा दिया. सावित्री अपने पति के प्राण को चने के रूप लेकर वट वृक्ष के नीचे पहुंची और अपने पति को फिर से जीवित किया. यह भी पढ़ें: Vat Purnima 2020 Mehndi Designs: वट पूर्णिमा के शुभ अवसर पर 5-मिनट में लगाएं मेहंदी डिजाइन, देखें सरल मेंहदी पैटर्न

वट पूर्णिमा व्रत का महत्व

मान्यता है कि वट पूर्णिमा का व्रत करने और विधि-विधान से पूजा करने पर महिलाओं के सुहाग की उम्र लंबी होती है और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस व्रत के प्रभाव से जीवन साथी की आयु पर किसी प्रकार की बाधा नहीं आती है. शास्त्रों के मुताबिक, वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ में त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है, इसलिए बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना करने से सुहागन महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है.