Utpanna Ekadashi 2019: आज है उत्पन्ना एकादशी, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Utpanna Ekadashi 2019 (Photo Credits: Facebook)

Utpanna Ekadashi 2019: मार्गशीर्ष माह की कृष्णपक्ष एकादशी को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है. इस साल उत्पन्ना एकादशी आज यानी 22 नवंबर शुक्रवार को मनाई जा रही है. आज ही के दिन एकादशी मां की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इस दिन को उत्पन्ना या उत्पत्ति एकादशी कहा जाता है. ये दिन एकादशी व्रत के शुरूआत के लिए बहुत शुभ है. उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत रखने से वर्तमान और पिछले जन्म के सभी पापों से मुक्ति मिलती है. पद्म पुराण के अनुसार खुद भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को उत्पन्ना एकादशी के व्रत का महत्व बताते हुए कहा था कि साल की 24 एकादशियों में उत्पन्ना एकादशी सबसे प्रधान एवं सर्वसिद्धी देनेवाली एकादशी है.

पौराणिक कथा अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने मुरासुर नामक राक्षस का वध कर उस पर जीत हासिल की थी, उनकी जीत के उपलक्ष्य में इस दिन को मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और माता एकादशी की पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि एकादशी माता, विष्णु की मानक पुत्री हैं और इसी दिन उनकी उत्पत्ति हुई थी. इस दिन निर्जल व्रत रखकर माता उत्पन्ना की पूजा-अर्चना करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पूजा विधि

ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर उत्पन्ना एकादशी के व्रत का संकल्प लें.

भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा के सामने धूप-दीप एवं नैवेद्य समेत सोलह सामग्री चढ़ाकर पूजा करें.

रात के समय गंगा अथवा किसी भी पवित्र नदी अथवा सरोवर में दीप दान करें.

रात में जागरण करते हुए भगवान विष्णु जी का भजन-कीर्तन करें.

पूजा-कीर्तन के पश्चात भगवान से जाने-अनजाने में हुई गलतियों अथवा भूल के लिए क्षमा मांगें.

अगली सुबह भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर ब्राह्मण अथवा गरीबों को भोजन कराएं एवं सामर्थ्यानुसार दान-दक्षिणा देकर खुशी-खुशी उन्हें विदा कर पारण करें.

शुभ मुहूर्त उत्पन्ना एकादशी तिथि- 22 नवंबर 2019

एकादशी तिथि प्रारंभः प्रातः 09.01 से प्रारंभ (22 नवंबर)

एकादशी तिथि समाप्तः प्रातः 06.24 मिनट तक (23 नवंबर)

ऐसा कहा जाता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने वाला मृत्यु के बाद सीधे भगवान विष्णु के धाम वैकुण्ठ धाम जाता है. इस दिन की महिमा 1000 गायों के दान करने से भी बढ़कर है. उत्पन्ना एकादशी पर व्रत रखने के बाद पुरे विधि विधान से पूजा करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.