Shivrajyabhishek Diwas 2020: हिंदू हृदय सम्राट और मराठा साम्राज्य (Maratha Empire) के महान शासक छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) का राज्याभिषेक (Shivrajyabhishek) 1674 में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हुआ था. इस साल शिवराज्याभिषेक दिवस (Shivrajyabhishek Sohala) का उत्सव 4 जून को मनाया जा रहा है. बता दें कि ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी के दिन मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज का करीब 5 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित रायगढ़ किले में राज्याभिषेक किया गया था. इसके बाद से वे एक प्रखर हिंदू सम्राट के रूप में स्थापित हुए. शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की थी.
दरअसल, करीब 20 साल पहले शिवराज्याभिषेक समारोह के लिए दुनिया भर के शिवभक्तों में गजब का उत्साह देखते हुए, शिवराज्याभिषेक सेवा समिति और महाड के कोंकण कडा मित्र मंडल ने हर साल इस तिथि पर रायगढ़ में शिवराज्याभिषेक सोहळा आयोजित करने का फैसला किया. इस साल कोरोना वायरस प्रकोप के चलते शिवराज्याभिषेक उत्सव को सादगी से मनाया जाएगा. इस खास अवसर पर चलिए जानते हैं इतिहास के पन्नों में दर्ज इस सुनहरे दिन से जुड़ी रोचक बातें.
शिवराज्याभिषेक दिवस का इतिहास
शिवराज्याभिषेक समारोह को मराठा साम्राज्य के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक दिन माना जाता है. बताया जाता है कि इससे पहले राज्याभिषेक के लिए कोई निश्चित परंपरा निर्धारित नहीं थी. शिवराज्याभिषेक समारोह में छत्रपति शिवाजी महाराज का विधि-विधान से राज्याभिषेक किया गया. इस आयोजन में उनका अभिषेक किया गया और सिर पर छत्र धारण कराया गया, जिसके बाद से वे छत्रपति कहलाए. यह भी पढ़ें: Hindu Samarajya Diwas 2020: छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक दिवस पर ही क्यों मनाजा जाता है हिंदू साम्राज्य दिवस, जानें इसका महत्व
अनुष्ठान के दौरान शिवाजी महाराज को सोने से मढ़े हुए एक मंच पर बिठाया गया, जो दो फीट लंबा और दो फीट चौड़ा था. इसके बाद जल से उनका अभिषेक किया गया. इस दौरान शिवाजी महाराज ने लाल वस्त्र और आभूषण धारण किए थे. अभिषेक के बाद उनके गले में फूलों की माला और सिर पर मुकूट धारण कराया गया. इसके बाद उनकी ढाल, तलवार और धनुष की पूजा की गई, फिर उन्होंने सिंहासन कक्ष में प्रवेश किया.
जिस सिंहासन पर शिवाजी महाराज को बिठाया गया, उसे 32 मन सोने का इस्तेमाल करके सुंदरता से मढ़ा गया था. इस सिंहासन पर शिवाजी महाराज को बिठाने के बाद ब्राह्मणों ने मंत्र उपचार किया. इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने लोग शिवराज की जय, शिवराज की जय के नारे लगाने लगे. मुख्य पुजारी ने ही उन्हें मुकूट और मोतियों का हार पहनाया था. इस तरह एक भव्य समारोज का आयोजन कर शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक को संपन्न कराया गया था.