मुंबई, 15 नवंबर (आईएएनएस). महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ मुंबई का धारावी चर्चा का केंद्र बन गया है. कांग्रेस का सशक्त गढ़ माना जाने वाला धारावी विधानसभा क्षेत्र अब भाजपा के लिए एक रणनीतिक मैदान बन गया है. यहां भाजपा के उम्मीदवार के खिलाफ कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने जोरदार प्रचार किया है. सवाल यह है कि क्या कांग्रेस का यह गढ़ इस बार ढहेगा या भाजपा का विजय रथ यहां रुक जाएगा?
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धारावी को दुनिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी के रूप में जाना जाता है. यह राजनीतिक दृष्टिकोण से हमेशा से ही एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है. इस इलाके में रहने वाले लोग मुख्य रूप से मध्यम वर्गीय और गरीब समुदायों से आते हैं. यहां की जनसंख्या में विभिन्न जातीय और धार्मिक समुदायों का मिश्रण है. धारावी में कांग्रेस का वर्चस्व रहा है और यहां के विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के उम्मीदवारों का दबदबा था. लेकिन पिछले कुछ साल में, भाजपा ने इस क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए कई रणनीतियां अपनाई हैं, जिसके कारण राजनीतिक समीकरण में बदलाव आया है.
धारावी में कांग्रेस का प्रभाव अब पहले जैसा नहीं रहा. साल 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने यहां अपनी पकड़ मजबूत की और अब यह क्षेत्र भाजपा के लिए एक मुख्य लक्ष्य बन चुका है. कांग्रेस के नेता धारावी को लेकर बहुत चिंतित हैं क्योंकि इस क्षेत्र की आबादी में बड़ा परिवर्तन देखा जा रहा है. भाजपा ने यहां अपना प्रचार अभियान तेज कर दिया है. भाजपा के स्थानीय नेता और पार्टी के उम्मीदवार यहां सड़कों पर उतरकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं और कांग्रेस के गढ़ को चुनौती देते हुए नजर आ रहे हैं.
भाजपा ने धारावी में अपने चुनावी प्रचार को खास तौर पर शहरी विकास, सुरक्षा, और रोजगार के मुद्दों पर केंद्रित किया है. उसका दावा है कि उनकी सरकार ने मुंबई को सुशासन दिया है और हर वर्ग के विकास के लिए काम किया है. भाजपा के नेता धारावी में युवाओं और कामकाजी वर्ग को आकर्षित करने के लिए उन्नति और रोजगार के अवसरों पर जोर दे रहे हैं. खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में किए गए विकास कार्यों का प्रचार किया जा रहा है.
धारावी सीट लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ रही है. कांग्रेस के कद्दावर नेता एकनाथ गायकवाड़ कई बार इस सीट से विजयी हुए थे. इसके बाद उनकी बेटी वर्षा गायकवाड़ 20 साल तक इस सीट से विधायक रहीं. लोकसभा चुनाव 2024 में वर्षा गायकवाड़ नॉर्थ सेंट्रल मुंबई सीट से सांसद चुनी गईं और उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिसके चलते यह सीट खाली है.
कांग्रेस ने यहां से वर्षा गायकवाड़ की बहन ज्योति गायकवाड़ को मैदान में उतारा है. दूसरी तरफ, एनडीए में धारावी सीट शिवसेना शिंदे गुट के खाते में गई है. शिवसेना ने राजेश खंडारे को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है. एनडीए के तमाम स्थानीय नेता धारावी में लोगों के बीच अपनी विश्वसनीयता को स्थापित करने के लिए क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. दूसरी तरफ, कांग्रेस अपने पुराने किले को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है, अपने परंपरागत वोट बैंक को बनाए रखने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. कांग्रेस के नेता और स्थानीय प्रतिनिधि दावा करते हैं कि उन्होंने हमेशा धारावी के गरीब और निम्न वर्ग के लोगों के लिए काम किया है.
धारावी के मतदाताओं की राय में भी बहुत बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. युवा मतदाता भाजपा की ओर आकर्षित हो रहे हैं, क्योंकि वे नए रोजगार के अवसरों और बेहतर जीवन की उम्मीद रखते हैं. इसके अलावा, भाजपा के नेतृत्व में मुंबई को सुशासन मिलने का दावा भी एक महत्वपूर्ण कारक बन चुका है. वहीं, बुजुर्ग मतदाता और कांग्रेस के पुराने समर्थक अब भी पार्टी के साथ खड़े हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस अपनी पुरानी पकड़ बनाए रख पाती है या भाजपा की विकासोन्मुख राजनीति यहां रंग लाती है.