Adi Shankaracharya Jayanti 2024 Quotes: जगद्गुरू आदि शंकराचार्य जयंती पर अपनों संग शेयर करें उनके ये 10 अनमोल वचन
शंकराचार्य जयंती 2024 (Phto Credits: File Image)

Shankaracharya Jayanti 2024 Quotes: भारत भूमि में बेशुमार महान दार्शनिक, आध्यात्मिक साधु-संतों एवं ऋषि-मुनियों ने जन्म लिया, और देश-विदेश में अपने ज्ञान मंडल से समग्र आभा को प्रकाशित किया. इन्हीं महानतम विभूतियों में एक हैं जगद्गुरू आदि शंकराचार्य (Jagadguru Adi Shankaracharya). 8वीं शताब्दी में केवल 32 वर्षों के अल्प जीवन में आदि शंकराचार्य जी ने अद्वैत वेदांत की वास्तविकता को औपचारिक स्वरूप दिया. आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) ने अपने जीवनकाल के दौरान पूरे भारत की यात्रा की. मात्र 32 साल की उम्र में देह त्यागने से पूर्व उन्होंने अपने अनमोल विचारों एवं उपदेशों का खजाना छोड़ा है, जिसे समझकर कोई भी सांसारिक अस्तित्व की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है. यहां हम आदि शंकराचार्य के आध्यात्मिक कोट्स (Adi Shankaracharya Quotes), उपनिषदों एवं अमर विचारों को उनकी मूल भाषा संस्कृत में बता रहे हैं. यह भी पढ़ें: Adi Shankaracharya Jayanti 2024: कब है शंकराचार्य जयंती? जानें कितनी कठिन शर्तें होती हैं शंकराचार्य के चुनाव में?

1- अमृतं चैव मृत्युश्च द्वयं देहे प्रतिष्ठितम्। मोहादुत्पद्यते मृत्युः सत्येनोत्पद्यतेऽमृतम्॥

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2- न बभूव पुरातनेषु तत्सदृशो नाद्यतनेषु दृश्यते। भविता किमनागतेषु वा न सुमेरोः सदृशो यथा गिरिः॥

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3- श्रुतिस्मृतिपुराणानाम् आलयं करुणालवम्। नमामि भगवत्पादं शकुरं लोकशङ्करम्॥

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4- अहम् निर्विकल्पो निराकार रूपो, विभुत्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्.

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5- विद्यां यस्यैति श्रितः स निवृत्तिं नैव किंचिदपि चापरोऽस्ति.

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6- जगदेकं सर्वमिदं प्रसूयते, जगदेकं सर्वमिदं प्रलीयते.

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7- विद्यान्ते वाक्यानि गुणानि तत्वानि, विद्या धनं सर्व धन प्रधानी.

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8- श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्परः सन्न्यासिनां लभते निष्ठा ज्ञानं.

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9- ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या, जीवो ब्रह्मैव नापरः

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10- उदये सविता रक्तो रक्तःश्चास्तमये तथा। सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता||

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आदि शंकराचार्य का जन्म कालड़ी गांव (केरल) में 508-9 ईसा में बताया जाता है. उनकी मां का नाम आर्याम्बा और पिता का नाम शिवगुरु था. जब वे मात्र 12 वर्ष के थे, उन्होंने वेदांत के प्रचार के लिए घर-बार छोड़कर जंगलों एवं पहाड़ों में भटकते हुए ओंकारेश्वर में ज्ञान प्राप्त किया. यहां से वह काशी की ओर प्रस्थान कर गये. आज आदि शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत के कारण ही भारत एक है. ग्रंथों में उल्लेख है कि 32 वर्ष की छोटी सी आयु में उन्होंने देश के चार कोनों में चार मठों ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम, श्रृंगेरी पीठ आश्रम, द्वारिका शारदा पीठ और पुरी गोवर्धन पीठ की स्थापना की थी.