आज आश्विन शुक्ल मास की द्वितिया के दिन देवी ब्रह्मचारिणी की विधि-विधान से पूजा का विधान है. देवी पुराण में उल्लेखित है कि माँ दुर्गा शक्ति के आत्मदाह के पश्चात देवी पार्वती के रूप में पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया. महर्षि नारद के सुझाव पर पार्वती जी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की. इस दौरान उन्होंने पहले जड़ी-बूटी खाकर इसके बाद हजारों वर्षों तक निराहार रहकर तपस्या की. इसी कारण उनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा. इनकी कठिन तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए. उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्र के दूसरे दिन इनके इसी रूप की पूजा की जाती है.
नवरात्रि -2 माँ ब्रह्मचारिणी पूजा की मूल तिथि
आश्विन मास शुक्ल पक्ष द्वितिया प्रारंभः 01.15 PM (16 अक्टूबर 2023, सोमवार)
आश्विन मास शुक्ल पक्ष द्वितिया समाप्तः 01.28 PM (17 अक्टूबर 2023, मंगलवार)
ब्रह्मचारिणी पूजा का महात्म्य
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार शारदीय नवरात्रि की द्वितिया को माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है. देवी ब्रह्मचारिणी को तपस्या की देवी माना जाता है. देवी ब्रह्मचारिणी के स्वरूप के अनुसार वह श्वेत रंग की साड़ी पहनती हैं, उन्होंने बाएं हाथ में कमंडल और दाएं हाथ में अक्षमाला धारण कर रखी है. मान्यता है कि माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से शक्ति, बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त होता है. माँ ब्रह्मचारिणी को देवी योगिनी और देवी तपस्विनी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि माँ ब्रह्मचारिणी त्रिक चक्र को नियंत्रित करती हैं और मंगल ग्रह पर शासन करती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिनकी कुंडली में मंगल दोष होता है उन्हें देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा अवश्य करनी चाहिए.
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठें. स्नानादि के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनें. कलश के समीप देवी दुर्गा की प्रतिमा के सामने शुद्ध घी का दीप प्रज्वलित करें. माँ ब्रह्मचारिणी का बीज मंत्र का 108 जाप करें.
ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः'
इसके बाद निम्न मंत्र का जाप करें.
'या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:'
ब्रह्मचारिणी स्वरूपा मां दुर्गा को सफेद मोगरा का पुष्प अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाएं. अब इत्र, अक्षत, पान एवं सुपारी चढ़ाएं. दूध से बने सफेद मिष्ठान का भोग लगाएं. देवी दुर्गा के निम्न मंत्र का जाप करें.
ॐ . देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
इसके बाद माँ दुर्गा की आरती उतारें और सभी को प्रसाद वितरित करें.
किस रंग का वस्त्र धारण करेः देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा श्वेत रंग का वस्त्र पहनना चाहिए. ऐसा करने से सारे दोषों से मुक्ति मिलती है.