Shani Jayanti 2019: देश का इकलौता गांव जहां दरवाजे नहीं होते, क्योंकि यहां की सुरक्षा स्वयं करते हैं शनिदेव
शनि शिंगणापुर (Photo Credit: Facebook)

Shani Jayanti 2019: महाराष्ट्र के अहमद नगर (Ahmednagar) से लगभग 35 किमी की दूरी पर है शिंगणापुर का शनि (Shani Shingnapur). काले रंग की शिला को यहां शनि भगवान (Lord Shani) का प्रतीक स्वरूप मानकर पूजा करते है. इस मंदिर की महिमा ऐसी है कि हर शनिवार के दिन यहां भारी तादाद में भक्तों का जमावड़ा होता है. मान्यता है कि यहां आनेवाले भक्तों की शनि महाराज हर इच्छा पूरी करते हैं. यहां अधिकांशतया शनि के साढ़े साती अथवा अढैया से ग्रस्त व्यक्ति आते हैं और शनि जी का अनुष्ठान करके अपने ऊपर छाये ग्रहों के संकट को दूर करने की मन्नत मांगते हैं.

यह दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां प्रतिमा के ऊपर न किसी तरह की छत है और ना ही दीवारें. यही नहीं यह दुनिया का एकमात्र गांव है, जहां घरों, बैंक शाखाओं, दफ्तरों आदि में दरवाजे नहीं होते. जानवरों आदि से सुरक्षा के लिए अगर दरवाजे दिखते भी हैं तो उन पर ताला नहीं होता. स्थानियों का विश्वास है कि उनके गांव की रक्षा स्वयं शनि भगवान करते हैं. स्वयंभु शनि भगवान की प्रतिमा के बारे में तमाम तरह की कहानियां प्रचलित हैं. आइये जानें दुनिया के इस अनोखे मंदिर की कहानी...

स्वयंभु हैं शिंगणापुर के शनि महाराज

स्थानीयों के अनुसार कई साल पूर्व महाराष्ट्र के इस गांव में भयंकर बाढ़ आई थी. घरों में पानी भर जाने से अधिकांश लोग पेड़ों पर चढ़कर रातें गुजारते थे. इसी दरम्यान एक काले रंग का विशाल शिला बहता हुआ आया और एक पेड़ के नीचे जाकर रुक गया. बाढ़ से बचने के लिए उसी पेड़ पर बैठे एक युवक ने शिला को देखकर सोचा कि इससे अच्छी कमाई हो सकती है. बाढ का पानी थमने के बाद युवक ने शिला को तोड़ने की कोशिश की तो यह देखकर हैरान रह गया कि शिला पर जहां उसने आघात किया था, वहां से रक्त जैसा लाल द्रव निकल रहा है. यह देख वह भयभीत होकर गांव की ओर भागा. थोड़ी देर में वहां पूरा गांव इकट्ठा हो गया. कुछ लोगों ने राय मशविरा किया कि इस शिला का क्या करना है? यह भी पढ़ें: भारत के इस गांव की रक्षा करते हैं स्वयं शनिदेव, यहां किसी भी घर में नहीं है दरवाजा

उसी रात एक ग्रामीण को सपने में शनि देव ने दर्शन देते हुए कहा कि गांव में जो शिला बहकर आयी है, वह मेरा ही प्रतीक है, उसे गांव में किसी पवित्र जगह स्थापित कर दोगे तो तुम्हारे गांव में हमेशा खुशहाली रहेगी.

अगले दिन जब उसकी नींद टूटी तो उसने गांव वालों से अपने सपने की बात कहीं. गांव वाले उस शिला के पास गये, सब ने मिलकर शिला को उठाने की कोशिश की तो टस से मस नहीं हुई. थकहार कर सभी घर चले गये. रात फिर उसी युवक ने शनि भगवान का सपना देखा. शनि भगवान ने उसे शिला उठाने की तरकीब बताई. अगली सुबह उस युवक ने गांव वालों की मदद से शिला को गांव में ही एक साफ सुथरी जगह पर रखवा दिया. इसके पश्चात उस शिला को शनि भगवान का प्रतीक मानकर उसकी पूजा करने लगे.

कहा जाता है कि नियमित पूजा करने के साथ ही गांव की सारी समस्याएं खत्म होने लगी. खेतों की अच्छी फसल से किसानों की आमदनी बढ़ने लगी. लोग दूर-दराज से अपनी मन्नतें लेकर यहां आने लगे. देखते ही देखते वह शिला शिंगणापुर के शनि देवता के नाम से मशहूर हो गया.

पुजारियों की नहीं चलती मनमानी

ज्यों-ज्यों शनि शिंगणापुर की लोकप्रियता बढ़ती गयी, यहां आनेवाले भक्तों की तादाद भी बढ़ने लगी. गौरतलब है कि यहां कोई पुजारी नहीं है. भक्त स्वयं पूजा-अर्चना करते हैं. हां अगर किसी को शनि की साढ़े साती अथवा ढैय्या आदि जैसी समस्याओं से पार पाने के लिए विशेष अनुष्ठान करवाना है तो ट्रस्ट के जरिये पुजारी उपलब्ध हो जाते हैं.

ट्रस्ट ने इन पुजारियों की पारिश्रमिक निर्धारित कर रखी है. ज्यादा पैसा मांगने अथवा लेने पर ट्रस्ट के जरिये उनका रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है. इसके अलावा पहले यहां के दुकानदार तेल के नाम पर लूटपाट करते थे. ट्रस्ट ने उन पर भी लगाम कसी, लिहाजा अब वहां कोई भी व्यक्ति मनमानी नहीं कर सकता. भक्त बड़ी सहजता से शनि भगवान की पूजा अर्चना कर लेते हैं.

अब स्त्रियां भी शनि देव की पूजा कर सकती हैं

कुछ दिन पूर्व तक शनि भगवान की पूजा और तेल चढ़ाने का अधिकार केवल पुरुषों तक ही सीमित था, लेकिन ट्रस्ट की स्थापना के बाद ट्रस्ट अधिकारियों ने स्त्रियों को भी शनि भगवान की पूजा करने की स्वतंत्रता दे दी. अलबत्ता वे शनि भगवान की प्रतिमा को स्पर्श नहीं कर सकतीं. वैसे तो यहां हर दिन भक्तों की भीड़ होती है, लेकिन शनिवार के दिन यहां मेले जैसा स्वरूप नजर आता है. जबकि शनिदेव की जन्मतिथि पर यहां भारी संख्या में शनि भक्त एकत्र होते हैं. यह भी पढ़ें: Shani Jayanti 2019: शनि जयंती पर जरूर करें ये उपाय, शनिदेव होंगे प्रसन्न और दिलाएंगे जीवन की सारी परेशानियों से मुक्ति

शिंगणापुर के रक्षक हैं शनिदेव

पूरे देश में जहां चोरी, डकैती, लूटपाट की असंख्य आपराधिक घटनाओं से जनता का सुख-चैन छिन गया है, वहीं महाराष्ट्र के इस गांव में आज तक किसी ने अपने घरों में ताले नहीं लगवाए. कृषक प्रधान गांव होने के कारण यहां जब फसल की कटाई होती है, तो उसके बेचने से लाखों रूपये की आय किसान अर्जित करते हैं, उनकी यह सारी पूंजी बिना दरवाजों वाले घर में सुरक्षित रहती है. लोग अपने आभूषण तक बिना दरवाजे वाले घरों में रखते हैं. शनि शिंगणापुर में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का एक ब्रांच है.

स्थानीय लोग अपनी साल भर की पूंजी यहां इसलिए रखते हैं, ताकि जरूरत के अनुरूप पैसा निकाल कर खर्च करें. बैंक के मैनेजर बतलाते हैं कि यहां लॉकर की भी व्यवस्था है, मगर हम उसमें ताले नहीं लगाते. लेकिन आज तक कोई ऐसी-वैसी घटना नहीं हुई. स्थानीय लोगों का मानना है कि जब भी कोई खोट नियति के साथ यहां आता है तो उसे स्वमेव सजा मिल जाती है. कैसे? यह आज तक किसी को नहीं पता.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.