ल़ॉक डाउन के कारण संपूर्ण दुऩिया के मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारों इत्यादि को बंद कर दिया हैं. लोग घरों पर ही पूजा एवं इबादत कर रहे हैं, लेकिन आज मुस्लिम समुदाय का प्रिय पर्व शब-ए-बारात है. इस्लाम धर्म के अनुसार इस पूरी रात मुस्लिम मस्जिदों में नमाज अदा कर अल्लाह की इबादत करते हैं, अपने गुनाहों के लिए माफी मांगते हैं. इस दिन नफल एवं तहजूद की नमाज भी पढ़ने का दस्तूर है. लेकिन कोविड-19 जैसी महामारी पर नियंत्रण पाने के लिए भारत सरकार ने अधिकांश शहरों में लॉक डाउन एवं कुछ प्रभावित क्षेत्रों को पूरी तरह सील कर दिया गया है. प्रश्न उठता है कि मुस्लिम कहां नमाज पढ़ें और अल्लाह की इबादत करें. इस संदर्भ में हमारे मुस्लिम धर्म गुरु एजाज अहमद कश्मीरी क्या कहते हैं, आइये जानें...
222 साल में पहली बार बंद हो सकती है हज-यात्रा
कोरोना वायरस का प्रकोप जिस तरह से सारी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले रहा है, इसकी वजह से धार्मिक गतिविधियां पूरी तरह ठप्प पड़ चुकी हैं. यहां तक कि प्रत्येक वर्ष जुलाई माह में मुस्लिम कै समाज भारी संख्या में सऊदी अरब के मक्का-मदीना पहुंचते थे, इस बार यह यात्रा भी रोकी जा सकती है, और अगर ऐसा होता है तो पिछले 222 साल में यह पहला अवसर होगा जब लोग मक्का मदीना नहीं पहुंच सकेंगे. गौरतलब है कि इससे पूर्व 1798 में भी इस यात्रा पर रोक लगी थी. यह भी पढ़े-Shab-e-Barat 2020 Wishes & Images: शब-ए-बारात के पाक मौके पर प्रियजनों को भेजें ये प्यारे हिंदी WhatsApp Status, GIF Images, Facebook Greetings, HD Wallpapers और दें मुबारकबाद
एजाज अहमद कश्मीरी
मेरी निगाह से गुजरी उसका महफूम मैं बयान करना चाहता हूं. मुफ्तसर-सी बात है, .... सरकार ने इसार फरमाया, अंतरीम फितने का दौर आयेगा, उसमें जो बैठा होगा, वह खड़े रहनेवाले से बेहतर है, जो खड़ा होगा, वह चलने वाले से बेहतर है, और जो चलने वाला होगा, वह दौड़ने वाले से बेहतर है. फिर सरकार फरमाते हैं कि उस फितने की तरफ जो झांकेगा, वो उसको अपनी गिरफ्त में ले लेगा और जिसको जो पनाह मिल जाये कहीं, वो पनाह हासिल कर ले. आज भी फितने का दौर है, ये वबा, ये बीमारी, ये आजाबे इलाही हम पर जो खुदा की तरफ से नाजिल किया गया है, ये हमारी बदामहालियों की सजा है. इस हदी से पाक की रोशनी में जो बैठा हुआ है, वह खड़े रहने वाले से बेहतर है. जो खड़ा है, वह चलने वाले से बेहतर है और जो चल रहा है, वह दौड़ने वाले से बेहतर है. इसका मतलब यह है कि जो बैठा हुआ है, वो सुकून में है.
क्यों नाराज है खुदा हमसे
अफसोस की बात यह है कि आज भी मुसलमान बच्चे इन इलाकों में घूम रहे हैं, भिण्डी बाजार के इलाकों में मदन पुरा के इलाके में, दूसरी तरफ के इलाकों में सिगरेट, गुटखा, पान इसके लिए लोग मारे-मारे फिर रहे हैं, उन्हें सिगरेट की फिक्र है, गुटखे की फिक्र है, मसाले की फिक्र है, बेचनेवाले बेशर्म, बेगैरत लोग बेच रहे हैं, मगर उऩ्हें इस बात का फिक्र नहीं है कि अल्लाह हमसे नाराज है. गजब है हमारे इलाही हमारे सरता मुसल्लत है, हम कैसे अल्लाह को राजी करें, हम कैसे रसूल्लाह को राजी करें इसकी फिक्र जरा भी नहीं है. अफसोस का मकाम है. मेरे भाइयों आज शब-ए-बारात की मुबारक रात का दिन है, जिसमें हम गुनहगारों की बख्शीश होती है, जुम्हेरात का दिन गुजरकर मगरिफ के बाद शब-ए-बारात की शब लगेगी. जुमा का दिन बड़ा दिन होगा. अफसोस का मकाम कि वह अपने गुनाहों पर निगाह डाले कि आज उस बड़ी रात में भी हमें मस्जिद में आऩे का मौका नहीं मिलेगा. खुदा हमसे कितना नाराज है. रसूले पाक को हमने कितनी तकलीफ पहुंचाई है.
आइये हम मिलकर अपने मुल्क अपने समाज की रक्षा करें
अपनी बदहमालियों की वजह से अपने घरों में रहें, शब-ए-बारात को नमाज का एहतमाम करें, तौबा करें, जो नमाज पढ़ी जाती है अपने घरों में पढ़ें, अपने मरहूमियों के लिए दुआ करें, अपने लिए दुआ करें, इस वबा से अपने मुल्क अपनी कौम अपने समाज की हिफाजत की दुआ करें, न कि हम इस तरह बाहर रोड पर निकलकर आवारागर्दी करें. मैं उऩ नौजवान बच्चों से कह रहा हूं कि जिन्हें न अपनी जान से प्यार है, ना अपने मा-बाप की जान की परवाह है, न अपनी औलाद की जान से प्यार है, बेशक जिंदगी या मौत अल्लाह के हाथ में है, मगर सरकार ने ये भी फरमाया है कि जहां वबा हो, वहां मत जाओ, जहां दाउन की बीमारी हो वहां मत जाओ, और अगर वहां पहले से मौजूद हो तो वहां से भागो मत. इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है, एहतियात बरतो, लेकिन आप लोग घरों के बाहर निकल रहे हैं, जिन्हें कोई काम नहीं है, घरों के बाहर बैठ कर गप्पे हांक रहे हैं.
शब-ए-बारात की रात घर पर रहिये
आपको अगर अपने मां बाप से, बच्चों से इतनी नफरत है, तो जहर पिला दीजिये उऩ्हें, मार दीजिये पूरे कौम को मार दीजिये, मजाक बना दिया है आपने मजाक. अल्लाह के वास्ते मैं हाथ जोड़ कर आपसे कहता हूं कि अल्लाह की पनाह मांगिये. ये टिकटॉक और व्हाट्सएप पर मजाक के मैसेज मत चलाइये. इस वक्त माफी मांगिये अल्लाह से, बंदों से माफी मांगिये. मैं खुद आप सबसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं. यह बड़ी रात का दिन है. मैं खुद एक गुनहगार अल्ला का एक बंदा हूं, रसूले पाक का मति हूं, हो सकता है मेरी गल्तियों से किसी का दिल दुखा हो, किसी को तकलीफ पहुंची हो, किसी पर तोहमद लगाई हो, किसी के साथ बदजुबानी की हो, जुल्म किया हो, उन सभी से हाथ जोड़कर अल्लाउसूल से माफी मांगता हूं. पता नहीं दुबारा मुलाकात हो कि ना हो. पूरे कौम से माफी मांगता हूं, आप सभी से दरखास्त करता हूं कि किसी का दिल दुखाया है तो माफ कर दीजियेगा. आप सभी एक दूसरे को माफ करिये, अल्लाह की पनाह मांगिये. और कोई रास्ता नहीं है मेरे भाई हाथ जोड़कर बस एक ही दर्खास्त है कि आप घरों में रहकर इबादत कीजिये, शब-ए- बारात की नमाज अदा कीजिए, खुद बचिये और दुनिया को बचाने की कोशिश करिये.