Savitribai Phule Punyatithi 2024 HD Images: देश की महिलाओं को शिक्षा की ओर अग्रसर करने और उनके लिए शिक्षा का मार्ग खोलने का श्रेय एक ही महिला को जाता है, जिनका नाम है सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule). जी हां, सावित्रीबाई फुले को देश की पहली महिला शिक्षिका होने का गौरव प्राप्त है. हर साल 10 मार्च को उनकी पुण्यतिथि (Savitribai Phule Punyatithi) मनाई जाती है. महिलाओं के उद्धार, उनके अधिकारों और उनकी शिक्षा के लिए काम करने वाली सावित्रिबाई फुले का निधन 10 मार्च 1897 को हुआ था, जबकि उनका जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र (Maharashtra) के सातारा जिले (Satara District) के नायगांव में हुआ था. केवल 13 साल की उम्र में उनका विवाह ज्योतिराव फुले से कर दिया गया था. सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए 8 स्कूल खोले. उन्होंने सबसे पहला स्कूल सन 1848 में पुणे में खोला था.
सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवनकाल में सती प्रथा, बाल विवाह और विधवा विवाह निषेध के खिलाफ लड़ाई लड़ी. उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर आप इन एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फोटो एसएमएस, एचडी वॉलपेपर्स को भेजकर देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
1- क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले यांच्या स्मृतिदिनी त्यांना विनम्र अभिवादन!
2- स्त्री शिक्षणाच्या जननी
क्रांतीज्योती सावित्रीबाई फुले यांना
स्मृतीदिनानिमित्त विनम्र अभिवादन!
3- सावित्रीबाई फुले यांच्या स्मृतिदिनानिमित्त विनम्र अभिवादन..!
4- सावित्रीबाई फुले यांच्या स्मृतिदिनानिमित्त त्रिवार अभिवादन..!
5- भारतातील प्रथम महिला
क्रांतीज्योती सावित्रीबाई फुले यांना
स्मृतीदिना निमित्त विनम्र अभिवादन!
6- सावित्रीबाई फुले यांच्या स्मृतिदिनानिमित्त कोटी कोटी प्रमाण!
बताया जाता है कि सामाजिक भेदभाव और कई रुकावटों के बावजूद उन्होंने न सिर्फ अपनी शिक्षा पूरी की, बल्कि उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने का जिम्मा भी उठाया, इसलिए उन्हें देश की पहली महिला शिक्षिका और नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता के तौर पर भी जाना जाता है.
उन्होंने एक विधवा ब्राह्मण महिला को आत्महत्या करने से रोकते हुए उसके नवजात बच्चे को गोद लिया और उसका नाम यशवंत राव रखा. सावित्रीबाई फुले ने उस बच्चे को पढ़ा-लिखाकर डॉक्टर बनाया. सन 1897 में उन्होंने यशवंत राव के साथ मिलकर प्लेग के मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल खोला, लेकिन मरीजों की सेवा करते-करते वे खुद भी इसकी शिकार हो गईं, जिसके चलते 10 मार्च 1897 को उनका निधन हो गया.