Savitribai Phule Punyatithi 2023 Inspirational Quotes: सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि पर उनके ये प्रेरणादायक विचार शेयर कर उन्हें याद करें
Savitribai Phule Punyatithi 2023 (Photo Credits: File Image)

Savitribai Phule Punyatithi 2023: 10 मार्च भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारीख मानी जाती है. यह दिन समाज सुधारक, शिक्षाविद और कवियित्री सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है. फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को वर्तमान महाराष्ट्र में स्थित नायगांव में हुआ था. सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थीं, जिन्होंने भारत और विशेष रूप से महाराष्ट्र में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई. फुले ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने समाज में व्याप्त कई सामाजिक बुराइयों जैसे अस्पृश्यता और बाल विवाह के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी. इस साल सावित्रीबाई फुले की 126वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है. यह भी पढ़ें: Savitribai Phule Punyatithi 2023 Quotes: सावित्रीबाई फुले जयंती! शेयर करें देश की पहली महिला शिक्षिका के ये महान विचार

सावित्री बाई फुले ने 1848 में अपने पति के साथ महिलाओं और युवा लड़कियों के लिए एक स्कूल की स्थापना की. महिलाओं के अधिकारों और लड़कियों को शिक्षित करने की आवश्यकता के लिए अपनी राय देने के अलावा, उन्होंने जातिवाद और पितृसत्ता सहित समाज की बुराइयों के खिलाफ भी बात की.

सावित्री बाई ने देश भर में युवा लड़कियों की बेहतरी के लिए अपना जीवन समर्पित किया और लाखों लोगों को प्रेरित किया. महिलाओं के अधिकारों और समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए किए गए उनके काम को आज तक याद किया जाता है. लड़कियों के लिए पहला स्कूल स्थापित करने के बाद, सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवनकाल में 18 और स्कूल भी स्थापित किए. उनकी 126वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आप सावित्रीबाई फुले के इन महान विचारों को अपनों के साथ शेयर कर श्रद्धांलजि अर्पित कर सकते हैं.

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अपनी बेटी के विवाह से पहले उसे शिक्षित बनाओ, ताकि वह आसानी से अच्छे-बुरे का फर्क कर सके.

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किसी समाज या देश की प्रगति तब तक असंभव हैं, जब तक वहां की महिलाएं शिक्षित ना हों.

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तुम बकरी गाय को सहलाते हो, नाग पंचमी पर नाग को दूध पिलाते हो, लेकिन दलितों को तुम इंसान नहीं अछूत मानते हो.

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इस धरती पर ब्राह्मणों ने खुद को स्वघोषित देवता बना लिया है.

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अगर पत्थर पूजने से बच्चे होते तो नर नारी शादी ही क्यों रचाते.

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उन्हें अक्सर भारत में नारीवाद की जननी के रूप में भी जाना जाता है. सावित्रीबाई फुले ने गर्भवती बलात्कार पीड़ितों के लिए एक देखभाल केंद्र की स्थापना की और उनकी जरूरत के समय उनकी मदद की. उन्होंने भारतीय विधवाओं के लिए एक आश्रय भी खोला, जिन्हें उनके परिवारों ने छोड़ दिया था. सावित्रीबाई ने अपने बेटे यशवंत के साथ, बुबोनिक प्लेग से पीड़ित लोगों के इलाज और मदद के लिए पुणे में एक क्लिनिक शुरू किया. इसी दौरान सावित्रीबाई फुले को यह बीमारी हो गई और 10 मार्च 1897 को उन्होंने अंतिम सांस ली. इंडिया पोस्ट ने 1998 में सावित्रीबाई फुले के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया.