Republic Day 2020: 26 जनवरी 1950 के दिन हम ब्रिटिश हुकूमत से पूरी तरह आजाद हुए थे. इसी दिन से हमारे आजाद देश में अपना संविधान लागू हुआ था. इसलिए गणतंत्र दिवस का पर्व हम भारतीयों के लिए गौरवशाली दिवस माना जाता है. इस दिन हम स्कूलों, कॉलेजों, शासकीय भवनों एवं सार्वजनिक पार्कों में राष्ट्रगान के साथ तिरंगा फहराकर पर्व का पूरे उत्साह एवं उमंगों के साथ स्वागत करते हैं. अगर हम किसी स्कूल में अध्यापक हैं तो हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी युवा पीढ़ी का ध्यानाकर्षण इस दिशा में करें कि कितनी मुश्किलों और शहादतों के बाद हमें संपूर्ण आजादी मिली थी. यह भी पढ़ें: गणतंत्र दिवस 2019: धूम-धाम से मनाया जाएगा 70वां गणतंत्र दिवस, ऐसे दी जाएगी शहीदों को सलामी
एक संदेश विद्यार्थियों के नाम
माननीय प्रधानाचार्य महोदय, मान्यवर मुख्य अतिथि, अध्यापकगण एवं प्यारे बच्चों... सर्वप्रथम हम आप सभी को हमारे आजाद भारत की 71वें गणतंत्र दिवस पर कोटि-कोटि शुभकामनाएं एवं अभिनंदन...
गणतंत्र दिवस की इस पुनीत बेला पर सर्वप्रथम उन सभी शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिनकी शहादत के बाद आज हमें आजादी नसीब हुई. मैं उन महान सैनिकों को भी सम्मान के साथ प्रणाम करता हूं, जो सरहद पर दिन-रात, सर्दी-गर्मी-बरसात, भूख-प्यास की परवाह किए बिना और अपने परिवार से दूर रहते हुए अपनी जान जोखिम में डालकर हमारी सुरक्षा करते हैं. जिनकी वजह से हम चैन की नींद सो पाते हैं.
आज इस पावन पर्व पर आपके सामने हमें जो अपनी बात कहने का अवसर मिला, उसके लिए आप सभी को कोटि कोटि आभार...
बच्चों, सर्वप्रथम हमें यह जानना आवश्यक है कि हम गणतंत्र दिवस क्यों मनाते हैं! और एक भारतीय के लिए इस दिन का क्या महत्व होता है. दरअसल 15 अगस्त 1947 के दिन अंग्रेजों ने भारत को आजाद तो कर दिया था, लेकिन उनका कानून ‘भारत सरकार अधिनियम 1935’ बरकरार था. 26 जनवरी 1950 को डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर की अध्यक्षता में तैयार भारतीय संविधान पूरे देश में लागू हुआ था और हमारा देश पूर्ण स्वतंत्र लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित हुआ था. हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि हम विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश हैं, जो अपनी अनेकता में एकता के लिए संपूर्ण विश्व में अपनी साख रखता है.
कुछ बच्चों के मन में यह प्रश्न भी अवश्य कौंधता होगा कि हम 26 जनवरी को ही यह ऐतिहासिक पर्व क्यों सेलीब्रेट करते हैं, तो मित्रों वह 26 जनवरी 1930 का ही दिन था, जब लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस की अध्यक्षता करते हुए पं. जवाहरलाल नेहरू ने रावी नदी के तट पर पूर्ण आजादी की घोषणा करते हुए कहा था कि आज से हम स्वतंत्र हैं. हमारी स्वतंत्रता पर डाका डालने वाले इन गोरों को सात समंदर पार भेजकर ही संपूर्ण आजादी की सांस ले सकेंगे. इसके बाद से लगातार 26 जनवरी के ही दिन स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित किए जाते रहे.
यह हमारे मन में राष्ट्र के प्रति भक्ति और आशक्ति का जज्बा ही है, जो हमें दिल्ली की ठिठुरती सर्दी की परवाह किए बिना बच्चे, वृद्ध, लड़कियां एवं महिलाएं इस पर्व को देखकर गर्वान्वित महसूस करती हैं. हमारे महामहिम राष्ट्रपति महोदय प्रातः 8 बजे तिरंगा फहराते हैं. हम राष्ट्रपति के साथ राष्ट्र को पूरा सम्मान देते हुए सुर से सुर मिलाकर राष्ट्रगान करते हैं. राजपथ पर यह छटा देखते बनती है. वाकई यह पल किसी भी भारतीय नागरिक के लिए आनंद का चरम होती है.
कमांडर इन चीफ माननीय राष्ट्रपति जल, थल एवं वायु तीनों विंग के सेनाओं की सलामी लेते हैं. राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी जाती है. इसके बाद शुरू होता है सैनिक परेड. जिसमें जल, थल एवं वायु सेनाओं की टुकड़ियां होती हैं. सभी के अपने-अपने बैंड और उनकी पारंपरिक धुनों के साथ परेड करते हैं. इनके पीछे स्कूली बच्चे अपने-अपने ग्रुप में मार्च पास्ट करते हैं. इनके बाद शुरू होती है भारत की अनेकता में एकता का रंगारंग प्रदर्शन. विभिन्न प्रदेशों की अपनी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाती रंग बिरंगी झांकिंयां.. विदेशी मेहमानों को खूब भाती हैं. जल, थल एवं वायु सेना के सिपाही अपनी शक्ति एवं शौर्य का प्रदर्शन करते हुए दुश्मन देश को जताते हैं कि इस देश की तरफ आंख उठाकर देखने वालों को हम किसी भी कीमत पर सबक सिखाने के लिए हर समय चुस्त एवं चौकस रहते हैं... ऐसा खूबसूरत नजारा तो किसी पर्व विशेष में भी देखने को नहीं मिलता, राष्ट्र के प्रति इस प्रेम को देखकर कोई भी भारतीय गर्वान्वित महसूस करेगा. अपनी भाषण के समापन में हम चाहते हैं कि हम सब मिलकर एक स्वर में बोलें...
भारत माता की जय...