Ratha Saptami Rangoli Designs 2020: रथ सप्तमी (Ratha Saptami) सबसे महत्वपूर्ण और धार्मिक त्योहारों में से एक माना जाता है जो पूरे भारत में मनाया जाता है. इस त्योहार को 'माघ सप्तमी,' माघ जयंती 'और' सूर्य जयंती' के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भक्त संध्या को सूर्यदेव की पूजा करते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, शुक्ल पक्ष के दौरान माघ महीने में 7वें दिन, अर्थात् सप्तमी तिथि, रथ सप्तमी का उत्सव मनाया जाता है. इस बार यह त्योहार 1 फरवरी को मनाया जा रहा है. रथ सप्तमी का त्योहार भगवान सूर्य की जयंती के रूप में मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य ने अपनी गर्माहट और चमक से पूरे ब्रह्मांड को रोशन कर दिया था. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार जनवरी के मध्य से फरवरी के मध्य की अवधि में आता है. आमतौर पर, रथ सप्तमी के अनुष्ठान वसंत पंचमी त्योहार के दो दिन बाद किए जाते हैं. यह भी पढ़ें: Ratha Saptami 2020: जानें कब है रथ सप्तमी, शुभ मुहूर्त, धार्मिक तथा वैज्ञानिक महत्व
रथ सप्तमी का दिन भगवान सूर्य की अपने रथ पर उत्तरी गोलार्ध की यात्रा को दर्शाता है. यह गर्मियों के आगमन का प्रतीक है और दक्षिणी भारत के क्षेत्रों में जलवायु परिस्थितियों में बदलाव का संकेत देता है. यह किसानों के लिए फसल के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है. सभी प्रकार के दान-पुण्य कार्य करने के लिए रथ सप्तमी का त्योहार अत्यधिक शुभ होता है. किंवदंतियों के अनुसार, यह माना जाता है कि इस अवसर की पूर्व संध्या पर दान करने से भक्तों को अपने पापों से छुटकारा मिलता है. लंबी उम्र, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.
इस दिन लोग अपने घर के बाहर चावल के आटे से कोलम और रंगोली बनाते हैं. इस दिन घर के बाहर रंगोली बनाना बहुत ही शुभ माना जाता है. अगर आप भी रथ सप्तमी के दिन अपने घर के बाहर आकर्षक रंगोली बनाना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आसान और आकर्षक रंगोली डिजाइन बना सकते हैं.
आकर्षक रंगोली डिजाइन:
चावल के आटे की रथ सप्तमी रंगोली:
चावल के आटे सिम्पल रथ सप्तमी रंगोल:
चावल के आटे का आकर्षक रथ सप्तमी रंगोली:
चावल के आटे की रथ में सूर्य की रथ सप्तमी रंगोली:
भारत में भगवान सूर्य के कई मंदिर बनाए गए हैं, इन सभी स्थानों पर रथ सप्तमी की पूर्व संध्या पर विशाल उत्सव और विशेष समारोह होते हैं. तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर, श्री मंगूज मंदिर, मल्लिकार्जुन मंदिर और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में भी भव्य उत्सव आयोजित किए जाते हैं.