‘Ram’ Naam ka Arth: क्या है ‘राम’ शब्द का तिलिस्म? आनंद, मुक्ति अथवा मोक्ष? जानें ‘राम’ के भिन्न-भिन्न मायने!
जय श्री राम (Photo Credits: File Image)

इन दिनों सर्वत्र जय श्रीराम का उद्घोष सुनने को मिल रहा है, आखिर क्या जादू है राम शब्द में? सनातन धर्म में राम अपरंपार महिमा बताई गई है. राम एक शब्द मात्र नहीं, बल्कि इसके पीछे कुछ गूढ़ अर्थ भी निहित हैं. देवों के देव महादेव ने एक बार पत्नी शक्ति को बताया कि राम ही परमब्रह्म परमेश्वर हैं तो देवी शक्ति को किंचित विश्वास नहीं हुआ. अंततः उन्हें श्रीराम की परीक्षा लेनी पड़ी. अधिकांश संत-महात्मा राम शब्द को अपने आपमें में एक शक्तिशाली मंत्र मानते हैं. प्राचीन एवं आधुनिक काल के विद्वानों और कवियों ने भी राम की व्याख्या अपने-अपने तरीके से की है. राम शब्द का जो व्यापक अर्थ पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है, वह किसी तिलिस्म से कम नहीं है. आइये जानते हैं प्रभु श्रीराम शब्द के पीछे छिपे उस गूढ़ रहस्य के बारे में....

हिंदू धर्म शास्त्रों रामायण, रामचरितमानस आदि में दशरथ-पुत्र श्रीराम को भगवान नारायण का मानव अवतार बताया गया है. तमाम विद्वानों ने राम नाम को भिन्न-भिन्न स्वरूपों एवं अर्थों में व्यक्त किया है. इसी संदर्भ में एक कहावत काफी लोकप्रिय है, राम से बढ़ा राम का नाम जो उपरोक्त वास्तु स्थिति को स्पष्ट करता है. मान्यताएं कहती हैं कि राम वह शब्द है, जिसका ध्यान करने मात्र से समस्त दुखों एवं कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. Ayodhya: क्या है और क्यों होती है प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा? जानें किन-किन विधियों से की जाती है मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा?

तैत्तरीय आरण्यक नामक ग्रंथ में अंकित एक श्लोक के अनुसारराम शब्द का अर्थ है, दशरथ-पुत्र राम, वहीं ब्राह्मण संहिता के अनुसार राम नाम का अर्थ है - जो सभी जगह राममय हुआ है. इस बात का वर्णन इस श्लोक में देखा सकता है,

'रमन्ते सर्वत्र इति रामः'

बता दें कि आरण्यक ग्रन्थ वस्तुतः ब्राह्मणों के परिशिष्ट भाग है, और उपनिषदों के पूर्वरूप. उपनिषदों में जिन आत्मविद्यासृष्टि और तत्त्वज्ञान विषयक गम्भीर दार्शनिक विषयों का प्रतिपादन हैउसका प्रारंभ आरण्यकों में ही दिखलायी देती है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसारजिस घर में प्रभु राम की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना एवं कथा की जाती हैउस घर में सुख एवं समृद्धि का वास होता है. दो अक्षर वाले राम शब्द के कई अर्थ हैं. अलग-अलग धर्म ग्रंथों में राम’ नाम की अलग-अलग व्याख्या है.

शास्त्रों में ऐसे कई श्लोक हैंजिसमें राम के अर्थ और इसके भिन्न-भिन्न महत्व हैं. ऐसा ही एक श्लोक है,

रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते,

अर्थात एक योगी जब ध्यान रहते हुए जिस शून्य में रमता है उसे राम कहते हैं.

राम का शाब्दिक अर्थ

राम शब्द का संधि विच्छेद करें तो अर्थ निकलता है.

र+आ+म

, से रसातल

 से आकाश

 से मृत्यु लोक

अर्थात जो आकाश, पाताल, और पृथ्वी का स्वामी है, वही राम है. लेकिन इस शब्द को अगर संस्कृत भाषा की  दृष्टि से समझा जाये तोरम् धातु और घम प्रत्यय जोड़कर राम बना है. यहां रम् का अर्थ है रमणरमना, निहित होना या निवास करना, जबकि घम का अर्थ है ब्रह्माण का रिक्त स्थान. इस प्रकार राम का अर्थ पूरे ब्रह्मांड में निहित या रमा हुआ तत्व अर्थात स्वयं ब्रह्म, जिसकी व्याख्या महादेव ने देवी शक्ति के सामने करने की कोशिश की थी.

इसी तरह एक अन्य उदाहरण है,

कुछ विद्वानों ने राम नाम का अर्थ मनोज्ञ भी माना है. यहां मनोज्ञ का अर्थ है - जो मन का ज्ञाता यानी मन को जानने वाला. वहींकुछ व्याख्यानकार (lecturerराम शब्द में आनंद की पूर्णता समझते हैं.

शव-यात्रा के समय राम नाम सत्य है उद्घोष!

इस संदर्भ में विभिन्न मत है, जिसमें गरुण पुराण के अनुसार शव यात्रा के समय राम नाम सत्य है, उद्घोष किये जाने का कारण यह बताया गया है कि, मृत्यु के बाद भी मनुष्य के कुछ अंग सक्रिय रहते हैंजिनमें एक कान भी है. इसलिए अंतिम समय में अमृतरूपी राम का नाम लिया जाता है. जिससे यह शब्द मृतक के कान में जाए और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो.