Rajmata Jijau Punyatithi 2020: शिवाजी महाराज को छत्रपति बनाने में राजमाता जीजाबाई ने निभाई थी अहम भूमिका, जानें उनके साहस-त्याग और बलिदान की वीर गाथा
राजमाता जीजाबाई पुण्यतिथि 2020 (Photo Credits: File Image)

Rajmata Jijabai Punyatithi 2020: जीजाबाई (Rajmata Jijabai) छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) की मां ही नहीं, बल्कि उनकी मित्र, गुरू, मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत भी थीं. जीजाबाई (Jijabai) का पूरा जीवन साहस, त्याग और बलिदान से भरा हुआ था. अपने पति और शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj) के पिता शाहजी भोसले की अनुपस्थिति में उन्होंने ही अपने बेटे के लिए मां और पिता की भूमिका निभाई. उन्होंने शिवाजी को बचपन से ही तीर, तलवार और भाला जैसे अस्त्र-शस्त्र चलाने की शिक्षा दी. शिवाजी को उत्तम संस्कार दिए, उनके भीतर राष्ट्रभक्ति का अलख जगाया और उन्हें छत्रपति बनाने में अहम भूमिका निभाई, जिससे शिवाजी महाराज छत्रपति कहलाए और आगे चलकर मराठा साम्राज्य के वीर योद्धा और महान शासक बने. साहस, त्याग और बलिदान की देवी राजमाता जीजाबाई की आज (17 जून 2020) पुण्यतिथि मनाई (Rajmata Jijabai Death Anniversary) जा रही है.

जीजाबाई यादव वंश के बेहद साहसी सामंत लखुजी जाधव और माता महालसाबाई की बेटी थीं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, उनका जन्म 12 जनवरी 1598 को महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के पास निजामशाह के राज्य सिंधखेड़ में हुआ था. शाहजी भोसले की पत्नी और छत्रपति शिवाजी महाराज की मां को जीजाई और जीजाऊ के नाम से भी जाना जाता था. साहस, त्याग और बलिदान से परिपूर्ण जीवन जीने वाली जीजा माता ने सभी कठिनाइयों और चुनौतियों का डटकर सामना किया. उन्होंने विपरित परिस्थितियों में कभी भी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को पाने के लिए धैर्य के साथ आगे बढ़ती रहीं.

जीजाबाई से जुड़े रोचक तथ्य

  • जीजाबाई का विवाह बहुत कम उम्र में हो गया था, उनके पति शाहजी भोसले बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह के दरबार में सैन्य दल के सेनापति और साहसी योद्धा था.
  • जीजाबाई शाहजी भोसले की पहली पत्नी थीं. शादी के बाद जीजाबाई और शाहजी भोसले की 8 संताने हुईं, जिनमें 6 बेटियां और 2 बेटे थे. वे एक वीरांगना होने के साथ-साथ आदर्श मां भी थीं.
  • जीजाबाई ने अपने पुत्र शिवाजी महाराज को अच्छी परवरिश देते हुए उनके भीतर ऐसे गुणों का विकास किया, जिसके कारण आगे चलकर शिवाजी महाराज एक वीर, महान, साहसी योद्धा, राष्ट्रभक्त और कुशल प्रशासक बने.
  • राजमाता जीजाबाई बचपन में शिवाजी महाराज को हिंदू धर्म के महाकाव्य रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाया करती थीं, जिसकी बदौलत ही शिवाजी में वीरता, धर्मनिष्ठा, धैर्य और मर्यादा जैसे गुणों का विकास हुआ. यह भी पढ़ें: Rajmata Jijabai Jayanti 2020: मराठा साम्राज्य की नींव को मजबूत बनाने में राजमाता जीजाबाई ने निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका, जानें इस वीरांगना और आदर्श माता की वीरगाथा
  • जीजाबाई ने ही शिवाजी महाराज को बचपन से तलवारबाजी, भाला चलाने की कला, घुड़सवारी, आत्मरक्षा, युद्ध-कौशल की शिक्षा दी और उन्हें एक कुशल योद्धा बनाया.
  • शिवाजी महाराज को वीर योद्धा और महान शासक बनाने में अहम योगदान देने वाली जीजाबाई ने उन्हें मातृभूमि, गौ, मानव जाति की रक्षा और महिलाओं का सम्मान करने की शिक्षा भी दी.
  • जीजाबाई ने न सिर्फ मराठा साम्राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि मराठा साम्राज्य की नींव को मजबूत बनाने में भी अपना अहम योगदान दिया
  • जीजाबाई ने शिवाजी महाराज को छत्रपति बनाने और मराठा साम्राज्य की स्थापना के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. उनके त्याग, बलिदान, वीरता और दूरदर्शिता के कारण ही उन्हें आज भी वीर माता और राष्ट्रमाता के तौर पर याद किया जाता है.
  • राजमाता जीजाबाई का निधन शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के कुछ दिन बाद 17 जून 1674 को हुआ था. उनके निधन के बाद शिवाजी ने मराठा साम्राज्य का विस्तार किया.

गौरतलब है कि आज भी छत्रपति शिवाजी महाराज को वीर माता और राष्ट्रमाता के वीर पुत्र के रूप में याद किया जाता है. अपने पुत्र को महान योद्धा, शूरवीर और छत्रपति बनाने वाली जीजाबाई का जीवन हर किसी के लिए किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं है. राजमाता जीजाबाई की देशभक्ति की भावना, शौर्य, साहस, त्याग और बलिदान की जीतनी भी तारीफ की जाए वो कम है.