Pro Govinda 2018 Promo Video: ठाणे में इस बार होगी प्रो दही हांडी लीग, नए अंदाज फूटेगी मटकी
ठाणे की दही हांडी टीम को स्टेट स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट से 'प्रो गोविंदा' की अनुमति मिली है, जिसके बाद ठाणे दही हांड़ी टीम इस साल एक नए अंदाज़ में दही हांडी उत्सव मनाएगी, 'प्रो गोविंदा' के रूप में ठाणे गोविदा टीम दही हांड़ी के लोकल उत्सव को एक नया रोमांच और उत्साह देगी.
मुंबई: श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव इस साल 2 और 3 सितंबर के दिन मनाया जाएगा. महाराष्ट्र में इस त्योहार को मुख्यतः दही हांड़ी उत्सव के रूप में मनाया जाता है. मुंबई और ठाणे की दही हांडियां इस बीच पूरे देश में आकर्षण का केंद्र होती हैं. दही हांडी की तैयारियां मुंबई में पूरे जोर-शोर से चल रही है. इसी बीच ठाणे की दही हांडी टीम को स्टेट स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट से 'प्रो गोविंदा' की अनुमति मिल गई है, जिसके बाद ठाणे दही हांड़ी टीम इस साल एक नए अंदाज़ में दही हांडी उत्सव मनाएगी, 'प्रो गोविंदा' के रूप में ठाणे गोविंदा टीम दही हांड़ी के लोकल उत्सव को एक नया रोमांच और उत्साह देगी.
एबीपी माझा की खबर के अनुसार ठाणे से शिवसेना के एमएलए प्रताप सरनाईक ने प्रो गोविंदा के लिए अनुमति मांगी थी, जिसके बाद स्टेट स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट ने दही हांडी के इस उत्सव को प्रो दही हांडी के रूप में मनाने की मांग पर हामी भरी. यह भी पढ़ें- जन्माष्टमी 2018: ना हो कंफ्यूज, इस दिन है कान्हा का जन्मदिन, जानिए पूजन विधि-मुहूर्त और महत्त्व
रिपोर्ट्स के अनुसार देश की पहली प्रो दही हांडी का आयोजन शिव सेना एमएलए प्रताप सरनाईक और संस्कृति प्रतिष्ठान द्वारा ठाणे में किया जाएगा. प्रो दही हांडी के इस उत्सव में महाराष्ट्र के खेल मंत्री विनोद तावड़े सहित खेल सचिव भी शामिल होंगे. बता दें कि प्रो दही हांड़ी के लिए सरकार द्वारा विशेष नियम भी बनाए किये गए हैं.
दही हांडी श्री कृष्ण जन्माष्टमी के समय मनाया जाने वाला अतिविख्यात उत्सव है. महाराष्ट्र सहित गोवा के कुछ भागों में यह अतिप्रचलित है. दही हांडी का उत्सव जन्माष्टमी के एक दिन बाद मनाया जाता हैं. यह भी पढ़ें- रहस्यमयी और अलौकिक निधिवन- यहां आज भी हर रात राधा के साथ श्री कृष्ण रचते हैं रास-लीला!
इस दौरान एक ऊंचाई पर हांड़ी में दही भरकर रखा जाता है, और कई लोग इकट्ठे होकर एक मानव पिरामिड जैसा बनाते हैं इसके बाद दही से भरी हांडी को फोड़ा जाता है. इस उत्सव को एक खेल प्रतियोगिता के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें विजेता टोली को इनाम भी दिए जाते हैं. इस त्योहार के भागीदारों को गोविन्दा कहा जाता हैं.